इन दिनों बदरीनाथ में अलकनंदा किनारे मास्टर प्लान के तहत निर्माण कार्य चल रहे हैं। यहां नारायण पर्वत क्षेत्र में नदी किनारे लगभग 20 फीट तक नदी की चौड़ाई कम कर दी गई है, इससे बदरीनाथ मंदिर की तलहटी में स्थित ब्रह्मकपाल से लेकर तप्तकुंड क्षेत्र में बरसात के दौरान पानी भरने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इसको लेकर तीर्थ पुरोहितों ने नाराजगी जताई है।
मास्टर प्लान के तहत चल रहे रिवर फ्रंट के कार्यों में की जा रही लापरवाही से तीर्थ पुरोहितों में नाराजगी है। उनका कहना है कि कार्यदायी संस्था ब्रह्मकपाल से तप्तकुंड के बीच नदी की ओर काम करा रही है, जिससे नदी की चौड़ाई कम हो गई है। ऐसे में बरसात में तप्तकुंड और ब्रह्मकपाल क्षेत्र में नदी का पानी भर जाने की आशंका बनीं हुई है। उन्होंने नदी किनारे खोदाई बंद करने और लोनिवि पीआईयू के अधिकारियों को मामले का संज्ञान लेने की मांग उठाई है।
इन दिनों बदरीनाथ में अलकनंदा किनारे मास्टर प्लान के तहत निर्माण कार्य चल रहे हैं। यहां नारायण पर्वत क्षेत्र में नदी किनारे लगभग 20 फीट तक नदी की चौड़ाई कम कर दी गई है, इससे बदरीनाथ मंदिर की तलहटी में स्थित ब्रह्मकपाल से लेकर तप्तकुंड क्षेत्र में बरसात के दौरान पानी भरने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इसको लेकर तीर्थ पुरोहितों ने नाराजगी जताई है।
ब्रह्मकपाल के तीर्थ पुरोहित आनंद सती और हरीश सती ने बताया कि कार्यदायी संस्था बिना जांच परख के नदी किनारे काम किया जा रहा है। यहां भारी मात्रा में मलबा जमा है, जो बरसात में नदी को बदरीनाथ की ओर डायवर्ट कर सकता है।
कहा कि मंदिर क्षेत्र को नुकसान से बचाने के लिए बरसात से पहले सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं। इधर, कार्यदायी संस्था गावर कंपनी के सीनियर मैनेजर रविंद्र सोढ़ी का कहना है कि सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही रिवर फ्रंट के काम किए जा रहे हैं। नदी से मंदिर क्षेत्र की ओर कोई कटाव नहीं होगा।
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