उत्तराखंड के राहुल के नाम बड़ी उपलब्धि, करेंगे अंतरिक्ष में धमाल

उत्तराखंड के राहुल के नाम बड़ी उपलब्धि, करेंगे अंतरिक्ष में धमाल

अंतरिक्ष में सेटेलाइट लॉचिंग और ऑपरेशन के लिए स्पेस मैप तैयार कर रही दिगंतारा स्टार्टअप को जापान और भारत की कंपनियों से 83 करोड़ का फंड मिला है। अब दिगंतारा इसी साल तक स्पेस मैपिंग को लांच करने की तैयारी में है। दिगंतारा गूगल मैप की तर्ज पर अंतरिक्ष में सेटेलाइट लॉचिंग और ऑपरेशनल प्लेटफार्म बना रही है।

राहुल रावत दिगंतारा के सह-संस्थापक और मुख्य परिचालन अधिकारी हैं। भौतिकी में गहरी रुचि और ऑप्टिक्स डोमेन में अनुभव रखने वाले इंजीनियरिंग ग्रेजुएट राहुल रावत, अनिरुद्ध शर्मा और तनवीर अहमद ने मिल कर साल 2018 में दिगंतारा की स्थापना की। चार साल से अधिक की प्रबंधकीय विशेषज्ञता के साथ वह सीओओ यानी मुख्य परिचालन अधिकारी के रूप में दिगंतारा के संचालन और वित्त की देखरेख करते हैं। दिगंतारा ने अंतरिक्ष की स्थिति की जागरूकता के लिए स्पेस मैपिंग का काम शुरू किया। दिगंतारा स्टार्टअप कंपनी को 2020 में पहली सीड फंडिंग हुई।

अंतरिक्ष में सेटेलाइट लॉचिंग और ऑपरेशन के लिए स्पेस मैप तैयार कर रही दिगंतारा स्टार्टअप को जापान और भारत की कंपनियों से 83 करोड़ का फंड मिला है। अब दिगंतारा इसी साल तक स्पेस मैपिंग को लांच करने की तैयारी में है। दिगंतारा गूगल मैप की तर्ज पर अंतरिक्ष में सेटेलाइट लॉचिंग और ऑपरेशनल प्लेटफार्म बना रही है।

इसरो और स्पेस एज के साथ मिल कर दो बार टेक्नोलॉजी के प्रदर्शन के तौर पर स्पेस लांच कर चुके हैं। वर्ष 2018 में राहुल रावत, अनिरुद्ध शर्मा और तनवीर अहमद ने मिल कर दिगंतारा स्टार्टअप कंपनी बनाई और अंतरिक्ष की स्थिति की जागरूकता के लिए स्पेस मैपिंग का काम शुरू किया। 2020 में दिगंतारा को पहली सीड फंडिंग हुई। जून 2022 में इसरो के साथ मिल कर उसने स्पेस मैपिंग का पहला प्रदर्शन किया। सात महीने के बाद ही 3 जनवरी 2023 को स्पेस एज के साथ दूसरी बार स्पेस लांच किया।

वर्ष 2021 में, कलारी कैपिटल ने 2.5 मिलियन डॉलर के सीड फंडिंग के साथ दिगंतारा का समर्थन किया. इस फंडिंग का उपयोग करते हुए, स्टार्टअप ने एक वर्ष से भी कम समय में एक एसेट को अंतरिक्ष में भेजकर अपने हार्डवेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक टेक्नोलॉजी प्रदर्शन प्रस्तुत करने के लिए अपनी क्षमताओं को आक्रामक रूप से मजबूत किया.

दिगंतारा स्टार्टअप कंपनी के सह संस्थापक राहुल रावत ने बताया कि भारत की पीक एक्सवी, कलारी कैपिटल और जापान की ग्लोबल ब्रेन कंपनी से 83 करोड़ का फंड मिला है। इसी साल स्पेस मैपिंग की लॉचिंग की तैयारी कर रहे हैं। राहुल का कहना है कि अंतरिक्ष में सेटेलाइट लगातार बढ़ रहे हैं। जिस तरह से जमीन पर ट्रैफिक के लिए गूगल मैप रास्ता बताता है। उसी तर्ज पर अंतरिक्ष में सेटेलाइट लॉचिंग के लिए स्पेस मैपिंग तैयार किया जा रहा है। इससे कोई भी एजेंसी स्पेस मैपिंग से सुरक्षित सेटेलाइट को लांच कर सकती है।

हिल-मेल ने पिछले साल अप्रैल में राहुल रावत से बातचीत की थी और उन्होंने बताया था कि हम स्पेस के क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बेंगलुरु स्थित दिगंतारा, अंतरिक्ष से ही अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करता है। यह दुनिया की उन मुट्ठी भर कंपनियों में से एक है, जो ऐसा कर रही हैं। इन-ऑर्बिट स्पेस मलबे को मॉनिटर करते हैं। उन्होंने एक सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन के साथ हार्डवेयर को जोड़ा है। एक नैनो उपग्रह से जुड़े हार्डवेयर, जो अंतरिक्ष में जाते हैं, उनमें एक लेजर मॉड्यूल है, जो 1 सेमी और 20 सेमी आकार के बीच की वस्तुओं को ट्रैक कर सकता है। डेटा को पृथ्वी पर रिले किया जाता है और वस्तु के भविष्य के प्रक्षेपवक्र की भविष्यवाणी करने के लिए संसाधित किया जाता है।

अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान, राहुल रावत अंतरिक्ष अन्वेषण परियोजना पर काम कर रहे साठ से अधिक अंतर-अनुशासनात्मक इंजीनियरिंग उत्साही लोगों की एक टीम का प्रबंधन किया। इंटरनेट ऑफ थिंग्स सेक्टर में उनके पास पर्याप्त अनुभव है, जिन्होंने रिमोट डेटा डाउनलोड के लिए इंटरनेट टू ऑर्बिट गेटवे के साथ एक उद्योग-ग्रेड नियंत्रण केंद्र और साइबरनेटिक्स ग्राउंड स्टेशन बनाने के प्रयास का नेतृत्व किया है। दिगंतारा अंतरिक्ष संचालन और स्थितिजन्य जागरूकता की कठिनाइयों को दूर करने के लिए दो-आयामी प्रणाली विकसित कर रहा है। इसका लक्ष्य सैटेलाइट ऑपरेटरों और अन्य अंतरिक्ष हितधारकों (रक्षा, एंश्योरेंस कंपनियों, वाणिज्यिक अंतरिक्ष कंपनियों) के लिए संचालन को आसान बनाना है।

राहुल रावत ने बताया कि दिगंतारा एक इन-ऑर्बिट एलआईडीएआरसिस्टम का उपयोग करके लोअर अर्थ ऑर्बिट में 1 सेमी या उससे अधिक की निवासी अंतरिक्ष वस्तुओं का पता लगाने के लिए एक सक्रिय कक्षीय निगरानी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म बना रहा है। उत्पन्न डेटा का उपयोग अंतरिक्ष क्षेत्र के हितधारकों और नियामकों द्वारा उनकी संपत्ति से जुड़े जोखिमों की पहचान करने और उन्हें कक्षा में टकराव से बचाने के लिए किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि स्पेस एमएपी (मैप) – स्पेस मिशन एश्योरेंस प्लेटफॉर्म – गूगल मैप्स की तरह ही शक्तिशाली और परिष्कृत होगा, जो अंतरिक्ष संचालन और खगोल विज्ञान के लिए एक आधारभूत परत के रूप में काम करेगा। एस-एमएपी का उद्देश्य डेटा फीडबैक लूप के माध्यम से सभी अंतरिक्ष संचालन के लिए एक समाधान प्रदान करना है, यानी अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता के लिए सभी डेटा स्रोतों (दूरबीन, रडार, दिगंतारा सॅटॅलाइट, जीपीएस, और स्टार ट्रैकर्स) से डेटा एकत्र करना।

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