200 से ज्यादा परिवारों पर दुखों पर पहाड़ टूट पड़ा है। इनमें से कुछ लोगों को तो अपने परिजन का पार्थिव शरीर मिला पर ज्यादातर लोगों को यह भी पता नहीं चला कि उनके अपनों का क्या हुआ। 7 फरवरी को चमोली में आई आपदा में उनका घर संसार उजड़ गया। अब सरकार ने लापता लोगों को मृत मानते हुए कार्रवाई शुरू की है।
यह दर्दभरी दास्तान है पर सच्चाई है कि सरकार ने 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में लापता लोगों को मृत मान लिया है। इसके साथ ही रही बची उम्मीद भी उन लोगों की खत्म हो गई है, जो अब तक अपनों के लौटने का चमत्कार होने की आस लगाए बैठे थे। शासन की ओर से लापता लोगों को मृत घोषित करने के लिए गाइडलाइन जारी की गई है।
इसके लिए परगना अधिकारी, उपजिला मजिस्ट्रेट को मृत्यु पंजीकरण अधिकारी नामित किया गया है। मृत्यु का पंजीकरण अधिनियम के तहत मृत्यु होने से संबंधित स्थान पर किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया है कि लापता व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाण पत्र तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किए जाएंगे। पहली श्रेणी में आपदा प्रभावित, निकटवर्ती स्थानों के स्थायी निवासी, दूसरी श्रेणी में उत्तराखंड के अन्य जिलों के लोग, तीसरी श्रेणी में अन्य राज्यों के पर्यटक होंगे जो आपदा के समय आपदा प्रभावित स्थानों पर उपस्थित थे।
उधर तपोवन सुरंग और आसपास के इलाकों से मलबा हटाने और लापता लोगों की तलाश का काम जारी है। अब भी लापता 205 लोगों में से 70 शव और 30 मानव अंग ही बरामद हो सके हैं। लापता लोगों मृत घोषित करने से परिजनों को मदद मिल सकेगी।
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अब भी 135 लोगों के बारे में कोई खबर नहीं है। इनमें से 25 से 35 लोगों के तपोवन सुरंग में फंसे होने की आशंका जताई गई थी। युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य चला पर सुरंग से केवल शव ही निकले।
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