पिछले कुछ वर्षों में इस इलाके में पीएलए की ओर से घुसपैठ के कई प्रयास हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि चीनी सैनिक सेना के घोड़ों के साथ तुन जुन ला पास पार करके बाड़ाहोती के चारागाह पर आ गए थे। माना जा रहा है कि चीनी सैनिक यहां करीब 3 घंटे तक रहे।
पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के बीच अब चीनी सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने उत्तराखंड के चमोली जिले के बाड़ाहोती में घुसपैठ कर उकसाने वाली हरकत की है। चीन के 100 से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सीमा में पांच किलोमीटर तक अंदर घुसकर कई जगह तोड़फोड़ की। यही नहीं लौटते समय चीनी सैनिक एक पुल को भी क्षतिग्रस्त कर गए।
एक अंग्रेजी समाचार पत्र ने अधिकारियों के हवाले से खबर दी है कि यह घटना 30 अगस्त की है। तुन जुन ला पास से चीन के 55 घोड़े और 100 से ज्यादा सैनिक भारतीय क्षेत्र में 5 किमी से ज्यादा अंदर आ गए थे। हालांकि इस दौरान भारत और चीनी सैनिकों के बीच आमना-सामना नहीं हुआ। भारतीय सैनिकों से सामना होने से पहले ही पीएलए के सैनिक लौट गए।
बाड़ाहोती में पहले भी चीन की ओर से पहले भी घुसपैठ के कई प्रयास किए गए है। सितंबर 2018 में भी चीनी सैनिकों ने यहां 3 बार घुसपैठ की थी। 1954 में यह पहला इलाका था, जहां चीन के सैनिकों ने घुसपैठ की थी और बाद में दूसरे इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश हुई और फिर दोनों देशों के बीच 1962 की जंग लड़ी गई।
पिछले कुछ वर्षों में इस इलाके में पीएलए की ओर से घुसपैठ के कई प्रयास हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि चीन के सैनिक सेना के घोड़ों के साथ तुन जुन ला पास पार करके बाराहोती के करीब चारागाह पर आ गए थे। माना जा रहा है कि चीनी सैनिक यहां करीब 3 घंटे तक रहे।
असैन्यीकृत क्षेत्र (डिमिलिट्राइज जोन) में इतनी बड़ी संख्या में पीएलए के सैनिकों की मौजूदगी ने सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। सूत्रों मुताबिक, स्थानीय लोगों के इस घुसपैठ की जानकारी देने के बाद आईटीबीपी और सेना की टीम घटना की पुष्टि के लिए वहां पहुंची। हालांकि भारतीय दल के पहुंचने से पहले चीनी सैनिक लौट गए थे।
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