कोरोना काल में उत्तराखंड सरकार किसानों पर भी विशेष ध्यान दे रही है। आज मुख्यमंत्री ने कई ट्वीट किए और प्रदेश की जनता को किसानों के हित में लिए जा रहे फैसलों की जानकारी दी। योजनाओं, खेती, बीमा आदि पर उन्होंने जो बताया, पूरी बात जानिए….
उत्तराखंड सरकार ने किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की कुल कृषि भूमि के 23% भाग (1.54 लाख हेक्टेयर) पर जैविक कृषि की जा रही है और वर्ष 2020-21 का लक्ष्य इसे बढाकर 30% करना निर्धारित किया गया है। 2019-20 में प्रदेश में कुल खाद्यान उत्पादन 18.60 लाख मैट्रिक टन से बढ़कर 18.89 मैट्रिक टन होने का अनुमान है।
सीएम ने बताया कि PM नरेंद्र मोदी की प्रेरणा एवं केंद्र के सहयोग और मार्गदर्शन को आधार बनाकर राज्य सरकार ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के दो मुख्य लक्ष्य निर्धारित किए हैं- किसानों की आय दोगुनी करना और कृषि को बढ़ावा देकर पर्वतीय/सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन रोकना।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 8.81 लाख जोत धारकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत सॉइल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराए गए हैं। मृदा परीक्षण के उपरांत मानकों के अनुरूप संतुलित उर्वरकों के प्रयोग पर बढ़ावा दिए जाने के फलस्वरूप रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग में कमी आई है।
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इसके साथ-साथ डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) के माध्यम से उर्वरक वितरण करने से 2016-17 की तुलना में 2019-20 में 1.17 लाख एमटी उर्वरक की कम खपत हुई और 202 करोड़ की बचत हुई। अच्छी बात यह है कि इसके बावजूद कृषि उत्पादन लगातार बढ़ा है। सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप उत्तराखंड को खाद्यान उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रशंसा पुरस्कार एवं साल 2018-19 में किसानों को विभिन्न तकनीक उपलब्ध कराने और कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने के लिए कृषि कर्मणा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ 2017 से रबी 2019-20 तक प्रदेश में 6.27 लाख कृषकों की फसलों का कृषि बीमा किया गया और बीमा कंपनियों द्वारा 2.31 लाख किसानों को 168.33 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति की गई।
उत्तराखंड में 8.81 लाख जोत धारकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत Soil Health Card उपलब्ध कराये गए हैं. Soil Testing के उपरांत मानकों के अनुरूप संतुलित उर्वरकों के प्रयोग पर बढ़ावा दिए जाने के फलस्वरूप रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग में कमी आई है. #AatmaNirbharKrishi
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) August 9, 2020
इस पहल के पहले चरण में 250 एकड़ की बंजर भूमि पर अदरक क्लस्टर विकसित किया गया है और कृषकों को उचित मूल्य पर उम्दा बीज, कृषि यन्त्र एवं उत्पादन को बाजार तक ले जाने का भी प्रावधान किया गया है। इस प्रयोग को 30,000 एकड़ तक ले जाने का संकल्प लिया गया है।
सीमावर्ती/पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि को आधार बनाकर रिवर्स-पलायन को बढ़ावा देने/पलायन रोकने के उद्देश्य से सहकारी सामूहिक कृषि मॉडल के माध्यम से चंपावत जिले के सूखी डांग, धुरा, कोट-अमोरी, खरातक आदि गांवों में बंजर भूमि पर अदरक क्लस्टर विकसित करने की पहल की गई।
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