रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान द्वारा लिखी पुस्तक ‘रेडी, रिलेवेंट एंड रिसर्जेंट: ए ब्लूप्रिंट फॉर द ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ इंडियाज मिलिट्री’ का विमोचन किया।
यह पुस्तक 21वीं सदी के युद्ध की मांगों को पूरा करने और राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने के लिए संयुक्तता, एकीकरण और आत्मनिर्भरता द्वारा संचालित भारतीय सशस्त्र बलों के चल रहे परिवर्तन पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यह पुस्तक भारत के उच्च रक्षा संगठन में एक नए युग की शुरुआत को दर्शाता है। इस पुस्तक में आकर्षक लेखों की एक श्रृंखला के माध्यम से, 2047 तक सशक्त, सुरक्षित, समृद्ध और विकसित भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध भविष्य के लिए तैयार बल के निर्माण के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण को व्यक्त करती है।
जनरल चौहान ने इस पुस्तक में लिखा है कि हम 21वीं सदी के तूफानी भूराजीनति में आगे बढ़ रहे हैं और भविष्य में खतरों की प्रकृति, प्रकार और समय को लेकर अस्थिरता बढ़ रही है। उनकी इस पुस्तक का नाम ‘रेडी, रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट: अ ब्लूप्रिंट फॉर द ट्रांसफोर्मेशन ऑफ इंडियाज मिलिट्री’ है।
यह एक दुर्लभ घटना है कि एक चार सितारा जनरल ने अपनी सेवा के दौरान ही एक किताब लिखी है। यह पुस्तक भारतीय सशस्त्र बलों में आ रहे बदलावों पर गहरी समझ देती है, जो संयुक्तता, एकीकरण और आत्मनिर्भरता पर आधारित है, ताकि 21वीं सदी की युद्ध की चुनौतियों का सामना किया जा सके और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस पुस्तक में सीडीएस ने लिखा, भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा रखता है। एक आर्थिक रूप से मजबूत और राजनीतिक रूप से स्थिर भारत की नींव एक मजबूत सेना पर टिकी होनी चाहिए। देश की ताकत के चार मुख्य उपकरणों (कूटनीतिक, अंतरराष्ट्रीय, सैन्य और आर्थिक) को एक साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि भारत अपनी मंजिल हासिल कर सके।
जनरल अनिल चौहान ने अपनी किताब में याद किया कि मार्च 2023 के अंतिम दिनों में हुए संयुक्त कमांडर सम्मेलन का विषय ‘रेडी, रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट’ चुना गया था। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के विभिन्न अध्याय लिखते हुए मुझे एहसास हुआ कि ये तीन शब्द हमारे सशस्त्र बलों के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सीडीएस जनरल चौहान ने आगे कहा कि सशस्त्र बल हमेशा देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खतरे का सामना करने वाले पहले लोग रहे हैं और उन्होंने हमेशा अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। उन्होंने कहा, लेकिन जैसे-जैसे हम 21वीं सदी के कठिन भूराजनीतिक माहौल में आगे बढ़ रहे हैं, भविष्य में खतरों की प्रकृति, प्रकार और समय को लेकर अनिश्चितता बढ़ रही है। इस संदर्भ में सुरक्षा की धारणा को समझना जरूरी है, जो अब कई क्षेत्रों तक फैल गई है।
जनरल चौहान ने बताया कि 2014 में दिल्ली में पहली संयुक्त कमांडर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी सुरक्षा की योजना बताई थी। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की सबसे खास बात थी कि तीनों सेनाओं को एक आधुनिक ताकत बनाना, जो पुराने और नए दोनों क्षेत्रों में भारत के हितों की रक्षा कर सके। इसके लिए तीनों सेनाओं के बीच हर स्तर पर मजबूत तालमेल और एकजुटता जरूरी थी।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *