रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देहरादून में देश के पहले सीडीएस स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उपस्थिति थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के टॉनसब्रिज स्कूल, देहरादून में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत की प्रतिमा का अनावरण किया। रक्षा मंत्री ने जनरल रावत की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके शौर्य की प्रशंसा करते हुए उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत को याद करते हुए राजनाथ सिंह ने उस घटना का उल्लेख किया जब जम्मू-कश्मीर की दूरस्थ सीमा चौकी पर गोली लगने से वे घायल हो गए थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस घटना ने जनरल रावत को सीडीएस बनने के बाद नियंत्रण रेखा एवं वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारतीय सेना को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि जनरल बिपिन रावत भारत की उस सैन्य परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमें सैनिक भले ही जन्म देश के किसी भी क्षेत्र में ले, मगर वह पूरे भारतवर्ष को अपना क्षेत्र समझ कर सदैव राष्ट्र की सुरक्षा के लिए तत्पर रहता है।
राजनाथ सिंह ने जनरल रावत के अंतिम क्षणों को याद करते हुए कहा कि वे योद्धा की वीरगति के सही अर्थ को दर्शाता है। उन्होंने ट्वीट किया, ’’जनरल रावत का निधन राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। अपने अंतिम क्षणों में भी वह ड्यूटी पर थे, राष्ट्र की सेवा कर रहे थे। उनकी प्रतिबद्धता, समर्पण और देशभक्ति को अंत तक महसूस किया जा सकता था।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि जनरल बिपिन रावत को पहले सीडीएस के रूप में नियुक्त किया गया था जो देश के सैन्य इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण सुधारों में से एक है। इस पद का सृजन सशस्त्र सेनाओं को सुदृढ़ बनाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राजनाथ सिंह ने सैनिकों की गरिमा को बनाए रखने और उनके योगदान का सम्मान करने को सरकार का कर्तव्य बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम अपने सैनिकों की वीरता और बलिदान का सम्मान कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जहां सरकार सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियारों/प्लेटफार्मों से लैस कर रही है, वहीं उसने बहादुरों को उचित श्रद्धांजलि देने के लिए नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का भी निर्माण किया है।
स्कूल परिसर के अंदर प्रतिमा स्थापित करने के विचार की सराहना करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों की वीरता की कहानियों को बच्चों तक पहुंचाना और उनमें देशभक्ति व समर्पण पैदा करना है। उन्होंने कहा “प्रतिमाएं हमारे समाज और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण महत्व रखती हैं। यह हमारी समृद्ध विरासत का हिस्सा है, जो भविष्य के लिए प्रेरणा का भी काम करता है। स्कूल न केवल शिक्षा प्रदान करते हैं बल्कि छात्रों के व्यक्तित्व को भी आकार देते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और जनरल बिपिन रावत जैसे व्यक्तित्वों से हर बच्चा सीख सकता है और राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकता है।”
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि स्व. जनरल बिपिन रावत जी की 08 दिसम्बर 2021 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई आकस्मिक मृत्यु से देश को जो अपूरणीय क्षति पहुंची है, उसकी भरपाई संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक सैनिक बाहुल्य प्रदेश है तथा भारतीय सेना के गौरवमयी इतिहास में उत्तराखंड के वीर सैनिकों का अति विशिष्ट योगदान रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं का सेना में शामिल होना प्रमुख प्राथमिकता रही है। सैन्य सेवा हमारे लिये मात्र रोजगार का अवसर नहीं, वरन देश एवं समाज के लिये जीवन समर्पित करने का उत्कृष्ट मौका भी है। स्व.जनरल बिपिन रावत ने भी अपने जीवनकाल में उत्तराखंड की इसी सैन्य परम्परा का निर्वहन किया। मातृभूमि के लिए उनकी चार दशकों की निस्वार्थ सेवा असाधारण वीरता और रणनीतिक कौशल से परिपूर्ण थी।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, आईएमए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल संदीप जैन, जनरल बिपिन रावत की पुत्री तारिणी रावत, विधायक सहदेव सिंह पुंडीर, मुन्ना सिंह चौहान, सविता कपूर, स्कूल के प्रबंधक विजय नागर आदि उपस्थित रहे।
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