एडीजी दीपम सेठ प्रतिनियुक्ति अवधि पूरे किए बगैर ही बीच में छोड़कर उत्तराखंड वापस लौट रहे हैं। उन्हें मूल कैडर में वापस भेजने के लिए गृह सचिव ने पत्र लिखा था, जिसके बाद सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) से रिलीव कर दिया गया।
उत्तराखंड पुलिस का कामकाज कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार देख रहे हैं। नए डीजीपी को लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही हैं। उत्तराखंड को हिमालयी राज्यों के तहत पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की तैनाती के लिए नियमों में कुछ राहत दी गई थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की फटकार और यूपीएससी के हस्तक्षेप के बाद नियमित डीजीपी तैनात करना सरकार की मजबूरी हो गई है।
इस बीच शासन की मांग पर एडीजी दीपम सेठ प्रतिनियुक्ति अवधि पूरे किए बगैर ही बीच में छोड़कर उत्तराखंड वापस लौट रहे हैं। उन्हें मूल कैडर में वापस भेजने के लिए गृह सचिव ने पत्र लिखा था, जिसके बाद सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) से रिलीव कर दिया गया।
अचानक आईपीएस दीपम सेठ को वापस बुलाए जाने और तत्काल रिलीव होने से डीजीपी पद पर उनकी नियुक्ति को लेकर पहले से चल रही चर्चाओं को फिर हवा दे दी है। दीपक सेठ जनवरी में महानिदेशक पद पर पदोन्नत भी हो जाएंगे। ऐसे में वरिष्ठता के हिसाब से अब उनसे ऊपर कोई नहीं है।
केंद्र सरकार ने ऐसे पांच राज्यों के लिए नियमों में शिथिलता दी थी, जहां पर डीजी रैंक के पुलिस अफसर नहीं हैं। इनमें 25 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके एडीजी रैंक के अधिकारियों का ही पैनल डीजीपी के लिए मांगा गया था। इस दायरे में प्रदेश के पांच एडीजी रैंक के अधिकारी आ रहे थे। इनमें सबसे वरिष्ठ दीपम सेठ हैं।
लेकिन, प्रतिनियुक्ति के कारण आईपीएस दीपम सेठ की जगह शिथिलता के नियमों के आधार पर पिछले साल 30 नवंबर को एडीजी अभिनव कुमार को कार्यकारी डीजीपी बना दिया गया। उस वक्त यह बात भी उठी कि अभिनव कुमार का मूल कैडर उत्तर प्रदेश है, बावजूद सरकार ने उनको तरजीह दी।
इस बीच कई राज्यों को सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकारी डीजीपी की व्यवस्था पर फटकार भी लगाई। ऐसे में अक्तूबर में फिर से पैनल यूपीएससी को भेजा गया। उस वक्त भी उनका मूल कैडर का ही पेंच फंसा और अभिनव कुमार का नाम इस पैनल में शामिल नहीं किया गया, तब से ही लगातार अटकलें लगाई जा रही थी कि उनको हटाया जा सकता है और उत्तराखंड कैडर के आईपीएस अधिकारी को नया डीजीपी बनाया जाएगा।
गृह सचिव शैलेश बगौली ने सेठ को मूल कैडर उत्तराखंड भेजने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। उनके पत्र के अगले ही दिन भारत सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से रिलीव भी कर दिया है। इस संबंध में अंडर सेक्रेटरी भारत सरकार की ओर से आदेश भी जारी कर दिया गया है।
कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार ने गृह सचिव शैलेश बगौली को डीजीपी के चुनाव की प्रक्रियाओं को बताते हुए पत्र भी लिखा था। उन्होंने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर डीजीपी नियुक्त करने की सिफारिश की थी। इसके लिए शासन स्तर पर ही समिति बनाई जानी थी। डीजीपी के चुनाव के लिए यूपीएससी की दखल को भी उन्होंने गैर जरूरी बताया था।
उन्होंने उत्तराखंड पुलिस अधिनियम 2007 के नियमों का भी हवाला गृह सचिव को दिया था। बताया गया था कि शासन खुद दो साल के लिए उपयुक्त अधिकारी को डीजीपी बना सकती है। इसका प्रावधान पहले से ही एक्ट में है।
दीपम सेठ ने अविभाजित उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया था। उन्होंने आगरा के नगर पुलिस अधीक्षक के रूप में भी काम किया था।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *