उत्तराखंड के कई इलाकों में खूब बारिश हो रही है जिसके कारण कई जगहों पर सड़क मार्ग बंद हो गया है। इस साल कई स्थानों में तो खूब बारिश हुई लेकिन कुछ जगहों में बारिश सामान्य से भी कम हुई है। कहीं यह ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण तो नहीं हो रहा है। इस विषय पर सब लोगों को चिन्तन करने की आवश्यकता है।
उत्तराखंड में भारी बारिश ने लोगों की मुश्किले बढ़ा दी है। प्रदेश के कुछ जिलों में मौसम विभाग की ओर से आज भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग मलबा आने से बंद हो गया है, रास्ता बंद हो जाने के कारण इस रास्ते पर आवाजाही नहीं हो पा रही है। बीआरओ द्वारा मार्ग खोलने के काम किया जा रहा है। वहीं कर्णप्रयाग पंचपुलिया के पास बाईपास रोड पर पहाड़ी से पत्थर आने से बंद हो गया। जिससे आवगमन पूरी तरह से ठप हो गया है।
गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग मनेरी झरने के पास नेताला, बिशनपुर, के पास मालवा व पत्थर आने के कारण मार्ग बाधित है। बीआरओ यातायात सुचारु करने के काम जारी है। डाबरकोट में बारिश के कारण लगातार मलबा और बोल्डर गिर रहे है। एनएच बड़कोट द्वारा उक्त स्थान पर मशीनरी तैनात हैं। बारिश व मलवा रुकने पर कार्य शुरू किया जाएगा।
दूसरी तरफ कर्णप्रयाग पंचपुलिया के पास बाईपास रोड पर पहाड़ी से पत्थर आने से बंद हो गया। जिससे यहां पर यातायात ठप हो गया है। कल रात से कर्णप्रयाग सहित आसपास के इलाकों में लगातार बारिश हो रही है। सड़क के दोनों ओर गाड़ियों की लाइन लग रखी है। सभी लोग सड़क खुलने का इंतजार कर रहे हैं।
उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के कारण आज 44 सड़के बंद हो गई है। लोनिवि के अनुसार, राज्य में पहले से भी 54 मार्ग बंद थे। इसमें से 61 यातायात मार्गों को खोल दिया गया है और बाकी सड़कमार्ग को खोलने का काम लगातार जारी है। बताया जा रहा है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में और अधिक समस्या है, राज्य के ग्रामीण इलाकों में 33 मार्ग बंद है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार टिहरी बांध का जल स्तर 782.44 मीटर पर है। अधिकतम जल स्तर 830 मीटर है। मौसम विज्ञान केंद्र ने चम्पावत, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों में भारी बारिश होने की चेतावनी दी है। वहीं, पौड़ी, पिथौरागढ़, बागेश्वर और अल्मोड़ा जिले के कुछ हिस्सों में तेज बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। जबकि, देहरादून समेत अन्य जिलों में भी कई दौर की तेज बारिश होने के आसार हैं। ऐसे में मौसम वैज्ञानिकों ने तेज बारिश के दौरान लोगों को दिन और रात के समय अधिक सतर्क रहने की हिदायत दी है।
देश के कुछ शोधार्थियों ने एक शोध में यह दावा किया है कि पिछले 40 वर्षों के दौरान उत्तराखंड के मौसम में व्यापक बदलाव आया है। इस बार मानसून की वर्षा में अनियमितता भी इस ओर इंगित कर रही है। उन्होंने कहा कि मानसून की दस्तक के बाद पहले सप्ताह उत्तराखंड में अत्यधिक वर्षा हुई। कुमाऊं में तो वर्षों का रिकार्ड भी टूटा। हालांकि, प्रदेश में बीते दो सप्ताह में सामान्य से कम वर्षा हुई, जिसमें गढ़वाल मंडल के जिलों में वर्षा बेहद कम दर्ज की जा रही है। इसके साथ ही प्रदेश में वर्षा का पैटर्न भी पूरी तरह बदलने लगा है। कुछ क्षेत्रों में अतिवृष्टि तो कुछ क्षेत्रों में सूखे की स्थिति भविष्य के खतरे की ओर इशारा कर रही है।
बीते 27 जून को मानसून उत्तराखंड पहुंचने के बाद जुलाई की शुरुआत में रिकॉर्ड वर्षा दर्ज की गई। पहले सप्ताह में ही प्रदेश में सामान्य से करीब तीन गुना अधिक वर्षा हुई है। जबकि कुमाऊं में भारी से बहुत भारी वर्षा से एक ही दिन में वर्षा का 34 वर्ष पुराना रिकार्ड टूट गया। ऊधम सिंह नगर, चंपावत और नैनीताल में 400 मिमी तक वर्षा दर्ज की गई। इसके अलावा बागेश्वर और अल्मोड़ा में भी कई गुना अधिक वर्षा हुई है।
इधर, गढ़वाल मंडल में देहरादून टिहरी और पौड़ी में भी सामान्य से अधिक वर्षा हुई। इसके बाद अचानक मानसून रूठ गया। खासकर गढ़वाल के ज्यादातर क्षेत्रों में जुलाई के दूसरे और तीसरे सप्ताह में नाम मात्र की वर्षा हुई। दून में कहीं-कहीं वर्षा का क्रम बना रहा।
उधर, कुमाऊं के कुछ क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा का दौर अब भी जारी है। जुलाई के पहले सप्ताह में प्रदेश में औसत सामान्य वर्षा 94 मिमी के सापेक्ष 228 मिमी दर्ज की गई, जो कि सामान्य से 142 मिमी अधिक है। इसमें भी कुमाऊं के जिलों में सामान्य से पांच से सात गुना अधिक वर्षा दर्ज की गई है। बीते 34 वर्ष में यह सर्वाधिक है। इसके बाद जुलाई में अब तीन सप्ताह में प्रदेश में कुल औसत वर्षा 348 मिमी रिकार्ड की गई है, जो कि सामान्य वर्षा 275 मिमी से 26 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, इसमें गढ़वाल के ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम वर्षा हुई है।
पिछले कुछ सालों से मौसम में हो रहे बदलाव के कारण लोगों को इससे काफी समस्यायें पैदा हो रही है। अगर हम लोगों ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्निंग पर समय रहते ध्यान नहीं दिया तो यह आने वाले समय में हमें और नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए जितना हो सके हमें प्रकृति से कम से कम खिलवाड़ करना चाहिए। ताकि हमारी प्रकृति सुरक्षित रहेगी तो तभी हम लोग भी सुरक्षित रहेंगे।
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