दुनियां की अनोखी बेल है गिलोय

दुनियां की अनोखी बेल है गिलोय

पेड़ पर चढ़ने के बाद अगर किसी ने नीचे जड़ से गिलोय को काट लिया तो पेड़ों पर अवशेष बची गिलोय की बेल जीवित रहने के लिए ऊपर से नीचे जमीन की ओर अपनी जड़े भेजती हैं। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि।

लोकेंद्र सिंह बिष्ट

पेड़ पर चढ़ने के बाद अगर किसी ने नीचे जड़ से गिलोय को काट लिया तो पेड़ों पर अवशेष बची गिलोय की बेल जीवित रहने के लिए ऊपर से नीचे जमीन की ओर अपनी जड़े भेजती हैं। पतली पतली रस्सी की तरह पेड़ से नीचे जमीन की ओर पहुंचने पर ये जड़े जमीन में धंस जाती है और ऊपर पेड़ में बची गिलोय की टहनियों को पोषण भेजती हैं। इस अपकमव में यही दिखाने का मैं प्रयास कर रहा हूं।

पाव बरसाली जाते हुए एक पेड़ से ऊपर से नीचे की ओर बहुत सारी गिलोय की जड़ें जमीन की ओर लटक रही हैं, जो जमीन में धंसने के बाद ऊपर लटक रही बची हुई गिलोय को फिर से पोषण देकर पुनर्जीवित करेंगी। हैं न अद्भुत प्रकृति का करिश्मा।
गिलोय (अंग्रेजीःटीनोस्पोरा कार्डीफोलिया) (अन्य नाम – गुच्छ) की एक बहुवर्षीय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि।

‘बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है।’ आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है।

नीम, आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं। इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। इसका काण्ड छोटी अंगुली से लेकर अंगूठे जितना मोटा होता है। बहुत पुरानी गिलोय में यह बाहु जैसा मोटा भी हो सकता है।

इसमें से स्थान-स्थान पर जड़ें निकलकर नीचे की ओर झूलती रहती हैं। चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर जड़ें जमीन में घुसकर अन्य लताओं को जन्म देती हैं। गिलोय का उपयोग विभिन्न बीमारियों से लड़ने एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में किया जाता है।

गिलोय को हम कई तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे –

  • ताजी पत्तियां और तना को रात भर भिगोकर रखें, सुबह कूचकर एक गिलास पानी में आधा होने तक उबालें और छानकर पी लें।
  • सूखा रूप में गिलोय को एक मग पानी में रात भर भिगो दें। सुबह इसे एक चौथाई कम होने तक उबालें और छानकर पी लें, इसका स्वाद पसंद नहीं आने पर आप इसमें गुड़ मिला सकते हैं।
  • आप काढ़ा उबालते समय इसमें तुलसी के पत्ते, हल्दी और लौंग भी डालकर इसकी इम्यूनिटी पावर बढा सकते हैं।
  • गिलोय पाउडर को सुबह गर्म पानी या शहद के साथ 1 चम्मच सेवन करें। गिलोय की गोलियों का भी आप सेवन कर सकते हैं।

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