उत्तराखंड में चीन बॉर्डर तक भारत ने बनाई सड़क, कैलास मानसरोवर यात्रियों को अब पैदल नहीं जाना होगा

उत्तराखंड में चीन बॉर्डर तक भारत ने बनाई सड़क, कैलास मानसरोवर यात्रियों को अब पैदल नहीं जाना होगा

आपने अगर निकट भविष्य में कैलास मानसरोवर की यात्रा का प्लान बनाया तो आपके लिए अच्छी खबर है। जो यात्रा करने में अबतक दो हफ्ते से भी ज्यादा का समय लग जाता था अब पिथौरागढ़ के रास्ते आसानी से 1-2 दिन में पहुंचकर आ सकेंगे।

शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर है। अब वे पहाड़ के दुर्गम रास्तों पर पैदल चले बिना ही कैलास मानसरोवर की यात्रा कर सकेंगे। अब उत्तराखंड में लिपुलेख सीमा तक सड़क बन गई है और इस रास्ते से तीर्थयात्री सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन करके एक-दो दिन में ही भारत लौट सकेंगे। इससे पहले यात्रा में कई दिन लग जाते थे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को पिथौरागढ़ धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उद्घाटन किया। इस मौके पर सीडीएस जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और बीआरओ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह मौजूद थे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा कि मानसरोवर यात्रा लिए लिंक रोड का उद्घाटन कर अतिप्रसन्नता हो रही है। बीआरओ ने कैलास मानसरोवर रूट पर धारचुला से लिपुलेख (चीन सीमा) तक सड़क संपर्क स्थापित कर दिया है। वीडियो कांफ्रेंसिंग से जरिये पिथौरागढ़ से गुंजी तक वाहनों के एक काफिले को भी हरी झंडी दिखाई।

 

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा,उत्तराखंड में 17060 फीट की ऊंचाई पर कैलास मानसरोवर रूट को लिपुलेख पास तक जोड़ने के लिए बीआरओ को बधाई दी है। उन्होंने लिखा कि इससे सीमा पर स्थापित गांव पहली बार सड़क संपर्क से जुड़ सके हैं। अब कैलास यात्रियों को 90 किलोमीटर के कठिन पैदल सफर को नहीं करना पड़ेगा और वे गाड़ियों से चीन सीमा तक पहुंच सकेंगे।

 

https://www.facebook.com/444312885552/posts/10163842654350553/

 

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर का रास्ता खुलने से पर्यटकों और श्रद्धालुओं सभी को फायदा होगा। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने साल 1999 में रक्षा मंत्रालय के तहत बीआरओ द्वारा इन सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी थी। इस परियोजना को 2003 से 2006 के बीच पूरा किया जाना था, लेकिन उस अवधि में कार्य न हो पाने के कारण समय सीमा को 2012 तक बढ़ा दिया गया था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी लिपुलेख तक सड़क संपर्क स्थापित हो जाने बीआरओ का आभार जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, यह मार्ग न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होगा बल्कि कैलास मानसरोवर यात्रियों के लिए भी सुविधा देगा। इस मार्ग से स्थानीय व्यापार को भी नई दिशा मिलेगी। इस उपलब्धि पर माननीय प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और BRO के सभी जवानों का हार्दिक आभार।

आपको बता दें कि 17 हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर 80 किलोमीटर लंबी यह सड़क कैलास मानसरोवर को जोड़ने वाले लिपुलेख तक जाएगी। इसका काम कई सालों से चल रहा था लेकिन पहाड़ और विषम परिस्थितियों से मुश्किल हो रही थी। श्रद्धालुओं को कितना फायदा होगा, यह इससे ही समझा जा सकता है कि अभी तक कैलास मानसरोवर जाने में करीब 20 दिन लग जाते हैं जबकि लिपुलेख के रास्ते केवल 90 किलोमीटर की सड़क यात्रा कर कैलास मानसरोवर पहुंचा जा सकेगा।

सूत्रों के मुताबिक, इस परियोजना पर प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी नजर रख रहे थे। ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र में सड़क बनाने केकाम में वायुसेना के एमआई-17 और 26 हेलीकॉप्टरों का भी इस्तेमाल किया गया। पहाड़ काटने के लिए ऑस्ट्रेलिया से विशेष अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई गई थी। इन मशीनों की मदद से करीब तीन माह के अंदर 35 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पहाड़ काटा जा सका। घटियाबगढ़ से लेकर लिपुलेख तक करीब 75.54 किलोमीटर रोड का काम बीआरओ कर रहा है। लिपुलेख की तरफ 62 किलोमीटर तक रोड का काम पूरा हो चुका है।

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