सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से लाभ उठाने के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित किया जाए। इसमें विभिन्न विभागों में संचालित योजनाओं को शामिल किया गया है। इसके समन्वय के लिए राज्य स्तर पर एक प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी।
कोविड-19 के कारण उत्तराखंड लौटे प्रवासियों के संबंध में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा तैयार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंप दी गई है। वापस आए प्रवासियों में से 21 जून तक 2,15,875 की स्किल मैपिंग की गई है। खास बात यह है कि इनमें से 58 प्रतिशत लोग हॉस्पिटालिटी सेक्टर और सर्विस सेक्टर से हैं। चूंकि राज्य सरकार का फोकस टूरिज्म, एडवेंचर स्पोर्ट्स और होम स्टे जैसे स्वरोजगार के साधनों पर है, ऐसे में माना जा रहा है कि इस सेक्टर में स्किल्ड प्रवासी इन क्षेत्रों में मददगार साबित हो सकते हैं।
आयोग की रिपोर्ट जारी करने के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से लाभ उठाने के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित किया जाए। इसमें विभिन्न विभागों में संचालित योजनाओं को शामिल किया गया है। इसके समन्वय के लिए राज्य स्तर पर एक प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी।
आयोग के उपाध्यक्ष डा. एसएस नेगी ने बताया कि 21 जून तक वापस आए प्रवासियों में से 2,15,875 का सर्वेक्षण किया गया। इनमें सबसे अधिक प्रवासी पौड़ी और अल्मोड़ा लौटे हैं। वैसे राज्य के सभी विकाखंडों में प्रवासी लौटे हैं। इनमें अन्य राज्यों से 80.66 प्रतिशत, विदेशों से 0.29 प्रतिशत, राज्य के भीतर ही एक जिले से दूसरे जिले में 18.11 प्रतिशत और एक जनपद के भीतर ही 1 प्रतिशत हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, जिन उत्तराखंड लौटे प्रवासियों की स्किल मैपिंग की गई है, उनमें सबसे अधिक 58 प्रतिशत लोग प्राइवेट नौकरी और हॉस्पिटालिटी क्षेत्र में कार्यरत थे। यानी 1,12,792 लोग प्राइवेट नौकरी या हॉस्पिटालिटी सेक्टर में काम करने वाले हैं। इसके अतिरिक्त तकनीकी, बीपीओ, स्वरोजगार से जुड़े लोग भी लौटकर उत्तराखंड आए हैं। बड़ीं संख्या में छात्र और मजदूर भी वापस आए हैं।
रिपोर्ट में प्रवासियों के रोजगार के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। इसमें तमाम विभागों की योजनाओं को शामिल किया गया है। इसलिए राज्य स्तर पर इनमें समन्वय के लिए एक प्रकोष्ठ स्थापित किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्यान, कृषि, माइक्रो फूड प्रोसेसिंग, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय, पोल्ट्री, जैविक कृषि आदि पर विशेष महत्व दिया जाए। वापस लौटे अधिकांश लोग हॉस्पिटालिटी और सेवा क्षेत्र में अनुभव रखते हैं। इसका लाभ होम स्टे, इको टूरिज्म, साहसिक खेल आदि गतिविधियों में मिल सकता है।
सीएम बोले, कई दूसरी योजनाओं पर विचार
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि जो प्रवासी उत्तराखंड लौटकर आए हैं, राज्य सरकार को उनके रोजगार की भी चिंता है। राज्य में लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को कुल 110 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है। प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को मंजूरी दी गई है। इसमें निर्माण और सेवा क्षेत्र में अपना काम करने के लिए ऋण व अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार और भी अनेक योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, युवाओं और प्रदेश में लौटे प्रवासियों के लिए एमएसएमई के तहत बनाई गई है। योजना में विनिर्माण में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख तक की लागत की परियोजना पर स्वरोजगार के लिए कर्ज ले सकेंगे। इसमें 25 प्रतिशत तक अनुदान की व्यवस्था है। मार्जिन मनी अनुदान के रूप में समायोजित की जाएगी। अन्य विभागों में संचालित स्वरोजगार योजनाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लाते हुए युवाओं को लाभ दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेरी विकास में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारंभ की गई है। डेरी विकास विभाग में राष्ट्रीय सहकारी विकास परियोजना के अंतर्गत डेयरी क्षेत्र के लिए कुल 444.62 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं। इसके तहत लगभग 5400 लाभार्थियों के लिए 20 हजार दुधारू पशु खरीदे जाएंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के तकनीकी सलाहकार डा. नरेंद्र सिंह, आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट, आईटी सलाहकार रवींद्र पेटवाल आदि उपस्थित थे।
सबसे अधिक पौड़ी में हुई घर वापसी (21 जून तक की स्किल मैपिंग)
पौड़ी- 60,440
अल्मोड़ा- 43,784
नैनीताल- 9,650
पिथौरागढ़- 5,451
चंपावत- 15,097
बागेश्वर- 1,925
चमोली- 5,877
देहरादून- 2,254
हरिद्वार- 3,136
उत्तरकाशी- 19,405
टिहरी- 19,242
रुद्रप्रयाग- 7,656
ऊधमसिंह नगर- 21,958
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