भारतीय सेना आने वाली हर चुनौती का सामना करने को तैयार

भारतीय सेना आने वाली हर चुनौती का सामना करने को तैयार

भारतीय सेना के 14 कोर मुख्यालय द्वारा ‘लद्दाख के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, सभ्यताओं का मिलन’ पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का उद्घाटन लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा ने किया।

भारतीय सेना चीन और पाकिस्तान से कई लड़ाइयां लड़ चुकी है अब भारतीय सेना चीन और पाकिस्तान की सेना का कड़ा मुकाबला करने को तैयार है। पिछले दशकों में हुए इन युद्धों में भारतीय सेना को काफी कुछ सीखने को मिला है। इन युद्धों और संघर्षों से सीख लेकर अब भारतीय सेना भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।

लेह में संपन्न हुए लद्दाख के ऐतिहासिक संदर्भ, सभ्यताओं का मिलन विषय पर सेमिनार में भारतीय सेना के सेवानिवृत्त, सेवारत वरिष्ठ अधिकारियों, आईटीबीपी, पुलिस अधिकारियों के साथ रक्षा विशेषज्ञों ने प्रदेश के इतिहास, भू रणनीतिक महत्व जैसे मुद्दों पर अपने अनुभव साझा कर सुरक्षा रणनीति को दिशा दी।

भारतीय सेना के 14 कोर मुख्यालय द्वारा ‘लद्दाख के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, सभ्यताओं का मिलन’ पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का उद्घाटन लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा ने किया।

लद्दाख व सियाचिन ग्लेशियर का महत्व

सेमिनार के अंतिम दिन पश्चिमी लद्दाख व सियाचिन ग्लेशियर का महत्व, विचार विमर्श के मुद्दे रहे। सेमिनार में सेना की उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, उत्तरी कमान के पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रणबीर सिंह, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने लद्दाख की मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के की जाने वाले कार्रवाई के बारे में सुझाव दिए।

सेमिनार के दौरान क्षेत्र में चीन व पाकिस्तान से लड़े गए युद्धों से हासिल अनुभवों पर चर्चा के साथ लद्दाख के भू रणनीतिक महत्व, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रख प्रभावी तरीके से राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के सुझाव दिए गए।

दूसरे दिन के अंतिम सत्र की अध्यक्षता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने की। इस दौरान उत्तरी कमान के पूर्व आर्मी कमांडर सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने ग्रे जोन वारफेयर की बारीकियों, वर्तमान भू-राजनीति पर विचार व्यक्त किए। ग्रे जोन वारफेयर ऐसी स्थिति है, यहां दो देशों में न तो शांति है और न ही युद्ध। इस दौरान आतंक, साइबर चुनौतियों, परोक्ष युद्ध से दूसरे का नुकसान करने के प्रयास होते हैं।

आईटीबीपी के एडीजी मनोज रावत, आईटीबीपी ने बल के योगदान के बारे में बताया। सेवानिवृत्त मेजर जनरल हरविजय सिंह 1947 से 1971 तक के भारत-पाकिस्तान युद्धों पर बात की। वहीं सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी ने भारत के वाच टावर सियाचिन ग्लेशियर व पश्चिमी लद्दाख की रक्षा पर विचार व्यक्त किए। सेमिनार में हिस्सा लेने वालों में प्रो श्रीकांत कोंडापल्ली, गौतम बांबावाले, पी स्तोब्दान भी शामिल थे।

केंद्र शासित प्रदेश के स्वर्णिम इतिहास, भू रणनीतिक महत्व पर भारतीय सेना की 14 कोर का दो दिवसीय सेमिनार लेह के रिनचेन ऑडिटोरियम में वीरवार को शुरू हुआ था। लद्दाख के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, सभ्यताओं का मिलन विषय पर सेमिनार का उद्घाटन लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा ने किया था। पहले दिन लद्दाख के ऐतिहासिक महत्व, मध्य एशिया से व्यापार में भूमिका व सैन्य दृष्टि से इसकी अहमियत पर चर्चा हुई थी।

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