आईपीएस रघुबीर लाल को विशिष्ट सेवा के लिए मिलेगा राष्ट्रपति पुलिस पदक

आईपीएस रघुबीर लाल को विशिष्ट सेवा के लिए मिलेगा राष्ट्रपति पुलिस पदक

लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद की सुरक्षा का दायित्व रुद्रप्रयाग के बेटे रघुबीर लाल के हाथ में है। वह उत्तर प्रदेश के 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।

संसद के लोकसभा सचिवालय में संयुक्त सचिव (सुरक्षा) आईपीएस रघुबीर लाल को स्वतंत्रता दिवस 2023 के अवसर पर विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक और सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया जायेगा। वह अत्यंत उत्साह, प्रतिबद्धता और उत्साह के साथ संस्थान की सेवा कर रहे हैं।

रुद्रप्रयाग में 12 फरवरी, 1970 को जन्मे रघुबीर लाल ने बीएससी की और इसके बाद वह आईपीएस बने। उत्तर प्रदेश के 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी रघुबीर लाल संयुक्त सचिव (सुरक्षा) के तौर पर यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस समय लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद की सुरक्षा का दायित्व रुद्रप्रयाग के बेटे रघुबीर लाल के हाथ में है।

पुलिस का इतिहास कई रोमांचक किस्सों और जांबाजी से भरा हुआ है। अनेक पुलिस अफसर अपने काम से सुर्खियों में रहते हैं और उनमें से रघुबीर लाल भी एक हैं जिन्होंने नागरिकों का विश्वास जीता। रघुबीर लाल की अपनी एक अलग पहचान है।

आईपीएस रघुबीर लाल ने अपने कैडर में विभिन्न क्षमताओं में काम करते हुए लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करके दिखाया है। उन्होंने एसपी सोनभद्र और चित्रकूट के रूप में संवेदनशील कार्यभार संभाला है, कई नक्सल-डकैत विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया है।

एसएसपी अलीगढ, आगरा, मेरठ, गाज़ियाबाद और एसएसपी (लॉ एंड ओ) लखनऊ के रूप में उन्होंने अनुकरणीय सेवाएं प्रदान कीं, उन्हें मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से निपटने के लिए ओएसडी के रूप में तैनात किया गया था।

आज भी उन्हें लखनऊ पुलिस का कप्तान होते हुए अपराधियों को पकड़ने के लिए थानेदार के साथ खुद दबिश देने और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए याद किया जाता है। बेहद तेजतर्रार पुलिस अधिकारी रहे रघुबीर लाल को लखनऊ में उनके जबरदस्त कार्यकाल के लिए याद किया जाता है।

लखनऊ में पुलिस कप्तान होते हुए अपराधियों को पकड़ने के लिए थानेदार के साथ खुद दबिश देने और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए आईपीएल रघुबीर लाल को याद किया जाता है।

4 फरवरी 2009 को लखनऊ में एसएसपी के स्थान पर डीआईजी की तैनाती के साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानून व्यवस्था का पद सृजित करके 1997 बैच के आईपीएस रघुबीर लाल को नियुक्ति दी गई। थानेदारों के तबादले या तैनाती का उनके पास अधिकार नहीं था।

कार्यभार संभालने के साथ रघुबीर लाल ने कानून व्यवस्था के साथ अपराधियों की धरपकड़ शुरू की। तैनाती भले ही महत्वहीन पद पर रही हो, लेकिन रघुबीर लाल हर वारदात की सूचना पर खुद जल्द मौके पर पहुंचते।

कुछ ही समय में उनके दफ्तर में फरियादियों की भीड़ उमड़ने लगी। तैनाती के चंद दिनों बाद मीडियाकर्मियों के साथ खुद भी बैंक लुटेरे के भेष में निकले। वायरलेस पर संदेश प्रसारित किया और पॉश इलाकों में गाड़ी दौड़ाकर पुलिस की मुस्तैदी परखी।

अक्टूबर 2015 में उन्होंने दिल्ली मेट्रो के सुरक्षा प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभाई। डीएमआरसी के उपमहानिरीक्षक के रूप में उनके कार्यकाल में उत्कृष्ट पहल और उपलब्धियों के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें गिनीज बुक में प्रवेश भी शामिल है।

बतौर डीआईजी उन्होंने दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा में तैनात सेंट्रल इंडस्ट्रियल पुलिस फोर्स (सीआईएसएफ) के 4,500 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों का नेतृत्व किया। इससे पहले उन्होंने एसएसपी गाजियाबाद के तौर पर भी सेवाएं दी और फिर मेरठ में आईटी (कारागार) भी रहे।

उन्हें सीएम उत्कृष्ट सेवा स्वर्ण पदक, वीरता के लिए पुलिस पदक, सराहनीय सेवा पदक और नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सामुदायिक पुलिसिंग और पर्वतारोहण की मान्यता में दो बार 25000 रु. कर्तव्यों के निर्वहन में उनके निरंतर प्रदर्शन ने उनकी सेवाओं के दौरान 8 प्रशंसाएं और 13 प्रशंसाएं अर्जित कीं, जो राष्ट्र के लिए उनकी सेवाओं को पर्याप्त रूप से बढ़ाती हैं।

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