आईटीबीपी के बचाव दल को 40 किलोमीटर का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ा। जवानों ने मिलम जोहार घाटी के लस्पा गांव से स्ट्रेचर पर महिला को उफनते नालों एवं बारिश के कारण लैंड स्लाइड जोन बन चुके क्षेत्रों से होते हुए अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान ग्रामीणों ने भी आईटीबीपी के बचाव दल की मदद की।
भारतीय-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को हिमवीर कहा जाता है। उत्तराखंड के दुर्गम और सीमांत इलाकों में आपदा के समय आईटीबीपी के जवान राहत एवं बचाव अभियान में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर लोगों की हरसंभव मदद करने को भी तैयार रहते हैं।
आईटीबीपी के जवान एक बार फिर देवदूत बनकर आए और गिरने से घायल हुई एक महिला को दुर्गम इलाके से निकालकर अस्पताल पहुंचाया। दरअसल, पिथौरागढ़ के मुनस्यारी के मिलम-जोहार घाटी के लस्पा गांव में एक महिला गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गई थी। तमाम कोशिशों के बावजूद तीन दिन तक महिला का हेलीकॉप्टर से भी रेस्क्यू नहीं किया जा सका। जब महिला की हालत बिगड़ने लगी तो आईटीबीपी से मदद मांगी गई। ऐसे में आईटीबीपी के जवानों ने तुरंत मोर्चा संभाला और महिला को स्थानीय लोगों की मदद से अस्पताल पहुंचाया।
इसके लिए आईटीबीपी के बचाव दल को 40 किलोमीटर का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ा। जवानों ने स्ट्रेचर पर महिला को उफनते नालों एवं बारिश के कारण लैंड स्लाइड जोन बन चुके क्षेत्रों से होते हुए अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान ग्रामीणों ने भी आईटीबीपी के बचाव दल की मदद की।
इस घटना ने एक बार फिर उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों में विपरीत परिस्थितियों के लिए की जाने वाली तैयारियों को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। पिथौरागढ़ इस समय भारी बारिश की मार झेल रहा है। मुनस्यारी और धारचूला में लगातार हो रही बारिश ने कई जगह भूस्खलन हुआ है। जगह-जगह सड़कों के टूटने से कई इलाकों का संपर्क कटा हुआ है। कई गांवों में तबाही हुई है। जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। लोग स्कूलों में शरण लिए हुए हैं।
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