प्रसिद्ध लेखक, कवि, भाषाविद और नाटककार परम श्रद्धेय आदरणीय ललित केशवान जी का 85वां जन्मदिवस ‘उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच’, नई दिल्ली द्वारा ‘गांधी शांति प्रतिष्ठान’, दिल्ली के सभागार में अनेक प्रबुद्ध जनों की उपस्थिति में धूमधाम से मनाया गया।
इस अवसर पर संस्था द्वारा उन्हें ‘गढ़ साहित्य आ जनम सेवा सम्मान’ से पुरस्कृत करते हुए 51,000 रुपए की सम्मानित धनराशि, शॉल और प्रशस्ति पत्र, संस्था के संरक्षक, डी.पी.एम.आई. के अध्यक्ष विनोद बछेती व अन्य उपस्थित गणमान्य जनों की उपस्थिति में प्रदान किया गया। इस शुभ अवसर पर आदरणीय केशवान जी सपत्नीक मंच पर उपस्थित रहे जिनका स्वागत-सत्कार मातृ शक्ति द्वारा सुसंपन्न हुआ।
कविवर केशवान जी के परिवार के सदस्यों सहित अपने क्षेत्र की अनेक विधाओं में पारंगत जन समुदाय इस समारोह में सम्मिलित हुआ और केशवान जी के दीर्घ जीवन की कामना करते हुए अपने द्वारा लाए गए अनेक उपहार भी बहुत श्रद्धा से उन्हें भेंट किए। जिनमें फूलों की माला सहित नोटों की माला भी उनके गले की शोभा बनी।
लेखिका हेमा उनियाल द्वारा ‘केदारखंड’ ग्रंथ उन्हें भेंट करते हुए शुभकामना सहित, विचार व्यक्त किया गया कि आप यशस्वी हों, शतायु हों, आपका जीवन सुखद एवम आरोग्यप्रद हो। सभी मंचासीन साहित्यिक एवं पत्रकारिता से जुड़े लोगों द्वारा उनके दीर्घ, यशस्वी जीवन की कामना करते हुए शुभकामनाएं प्रदान की गईं।
विभिन्न विधाओं से जुड़े, कार्यक्रम में उपस्थित जनों में सर्वश्री रमेश घिल्डियाल, विनोद बछेती, दिनेश ध्यानी, जगदीश ढौडियाल, महेश चंद्रा, सुशील बुडाकोटी, गिरीश चंद्र बिष्ट ‘हँसमुख’, डॉ. रमेश कांडपाल, महावीर सिंह राणा, डॉ कुसुम भट्ट, डॉ. हेमा उनियाल, निर्मला नेगी, प्रेमा धौनी, प्रतिबिंब बड़थ्वाल, जगमोहन सिंह रावत ’जगमोरा’, दर्शन सिंह रावत, चारु तिवारी, सुनील नेगी, सुरेश नौटियाल, प्रदीप वेदवाल, द्वारिका प्रसाद चमोली, जयपाल सिंह रावत ‘छिपड़दा’, राजेंद्र सिंह चौहान, राकेश धस्माना, अनिल पंत, नीरज बवाडी, कुसुम बिष्ट, रमेश हितैषी आदि रहे।
सम्मानित हुए ललित केशवान जी का जन्म 17/8/1939 को गांव सिरोली, इडवालस्यू, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ। उनकी हिंदी और गढ़वाली की प्रकाशित पुस्तकों में :- (१) खिल्दा फूल हंसदा पात हास्य (गढ़वाली कविता संग्रह)। (२) हरि हिंडवाणःऐतिहासिक नाटक गढ़वाली तथा हिंदी में। (३) दिख्यां दिन तप्यां घाम (गढ़वाली कविता संग्रह)। (४) सब मिलिक रौला हम (बाल कविता संग्रह गढ़वाली)। (५) दीवा ह्वेजा दैणी (खंड काव्य)। (६) जै बदरी नारैण (पांच गढ़वाली एकांकी नाटक)। (७) जागा है मेरा देश (कविता संग्रह हिंदी)। (८) सबको गले लगाते फूल (बाल कविता संग्रह)। (९) छोटी सी तो गुड़िया थी (बाल कविता संग्रह हिंदी)। (१०) अंधेरों के साए में (उपन्यास हिंदी)। (११) बाल कहानी संग्रह (हिंदी)। (१२) बाल कविता संग्रह (हिंदी)। (१३) हाथी दादा की चौपाल (हास्य बाल कहानियां, हिंदी)। (१४) हमारी एकता जिंदाबाद (हिंदी)
ललित केशवान जी ने कविता, कहानी लेखन के साथ ही अभिनय के क्षेत्र में भी कार्य किया जिसे गढ़वाली फिल्म ‘धै’ में सराहा गया। उनका लिखा ऐतिहासिक गढ़वाली नाटक ‘हरि हिंडवाण’ खूब लोकप्रिय और चर्चित रहा।
वृक्षों को पूजने की यह परंपरा अति महत्वपूर्ण है। तभी शाखाओं का अस्तित्व भी बचा रहता है और वह फलती – फूलती हैं। आदरणीय केशवान जी उम्र के इस दौर में हैं जहां वह चलने में कठिनता महसूस करते हैं किन्तु अपने दौर में उन्होंने बहुत कुछ किया, रचा और समाज को प्रदान किया।
उनका व्यक्तित्व बहुत सरल और उदार रहा है इसीलिए इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के प्रबुद्धजन की उपस्थिति इसका प्रमाण रही। उनका सम्मान हर साहित्य सेवा से जुड़े का सम्मान है। ‘उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच’ नई दिल्ली को इस आयोजन के लिए हार्दिक साधुवाद, शुभकामनाएं हैं।
– डॉ. हेमा उनियाल
1 comment
1 Comment
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
August 19, 2023, 8:49 amआदरणीय केशवान जी थे बधे. हेमा जी आयोजन का सुंदर संक्षिप्त विवरण
REPLY