सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार व धन शोधन मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी है।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया बीते 17 महीनों से जेल में बंद थे। सीबीआई-ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां उनके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच कर रही थी। मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए अपील की थी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया को लंबे समय से जेल में रखा गया है। बिना सजा के किसी को इतने लंबे समय तक जेल में नही रखा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया को निचली अदालत फिर हाई कोर्ट जाने को कहा था। फिर सुप्रीम कोर्ट आने को आने को कहा गया था। उन्होंने दोनों अदालत में याचिका दाखिल की थी। इसके बाद मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। पहले आदेश के मुताबिक 6 से 8 महीने की समय सीमा बीत गई है। देरी के आधार पर जमानत की बात हमने पिछले साल अक्टूबर के आदेश में कही थी। इस मामले में ट्रिपल टेस्ट आड़े नहीं आएगा क्योंकि यहां मामला ट्रॉयल के शुरू होने मैं देरी को लेकर है। अगर मनीष सिसोदिया को जमानत के लिए फिर से ट्रायल कोर्ट जाने को कहा जाता है तो ये न्याय का मखौल उड़ाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि निचली अदालत ने राइट टू स्पीडी ट्रॉयल को अनदेखा किया और मेरिट के आधार पर जमानत रद्द नहीं की थी। मनीष सिसोदिया ने सीबीआई मामले में 13 और ईडी मामले में निचली अदालत में 14 अर्जियां दाखिल की थीं।
बता दें मनीष सिसोदिया को रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण व कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं में संलिप्तता के लिए 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था।
मनीष सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। मनीष सिसोदिया ने यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। ईडी और सीबीआई ने उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया था।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *