युवा लेखकों के लिए मेंटरशिप कार्यक्रम राष्ट्रीय पुस्तक न्यास यानी एनबीटी द्वारा चलाया जा रहा है। पीएम मोदी के इस सपने को एनबीटी कैसे पूरा करेगा, इसके हिल-मेल के संपादक अर्जुन एस. रावत ने बात की राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक युवराज मलिक से। इस साक्षात्कार में पूछे गए कुछ सवालों के जवाब…।
अगर कोई युवा लेखक बनने का सपना देखता है सरकार उसकी मदद के लिए तैयार है। युवा लेखकों को परामर्श देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक राष्ट्रीय योजना शुरू की है। इसका लक्ष्य 30 साल से कम उम्र के युवा लेखकों के एक ऐसे समूह को तैयार करना है, जो खुद को और भारतीय संस्कृति को लेखन के माध्यम से दुनिया के सामने लाने की इच्छा रखते हों। इस योजना में सरकार भारतीय विरासत, संस्कृति और ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए युवा लेखकों को तैयार करने में मदद करेगी। युवा लेखकों को फिक्शन, नॉन फिक्शन, यात्रा, संस्मरण, नाटक, कविता और ऐसी ही विभिन्न शैलियों में लेखन में कुशल बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
युवा लेखकों के लिए ’मेंटरशिप (मार्गदर्शन) कार्यक्रम‘ के बारे में बताइए, यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति से किस प्रकार जुड़ा है, अब तक इस कार्यक्रम में क्या प्रगति हुई है?
युवा लेखकों कें लिए मेंटरशिप कार्यक्रम इक्कीसवीं सदी के भारत में युवा लेखकों की एक ऐसी पीढ़ी तैयार करने में सहायक होगा, जिसे भारतीय साहित्य का राजदूत बनाया जा सके। यह कार्यक्रम लेखकों का एक ऐसा वर्ग विकसित करने में मदद करेगा, जो भारतीय विरासत, संस्कृति और ज्ञान-प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए विविध विषयों पर लिख सकता है। इसके अतिरिक्त, यह कार्यक्रम इच्छुक युवाओं को अपनी मातृभाषा में स्वयं को व्यक्त कर सकने और वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वातायन भी प्रदान करेगा। अतः यह कार्यक्रम युवाओं को लेखन, सृजन, विचार, संपादन, प्रकाशन तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित लेखकों के साथ परस्पर संवाद की रोमांचक दुनिया प्रदान करने के लिए संरचित है जो कि युवा लेखकों के लिए रचनात्मक अवसरों के द्वार खोलने का प्रयास करता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में युवा मानस के सशक्तीकरण तथा एक सीखने वाला इको-सिस्टम बनाने पर विशेष बल दिया गया है, जो युवा पाठकों को भविष्य में नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए तैयार कर सके। इस संदर्भ में युवा लेखकों को मार्गदर्शन देने का यह राष्ट्रीय कार्यक्रम, सर्जनात्मक जगत में भावी नेताओं की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ’मन की बात‘ कार्यक्रम में युवाओं के साहित्यिक कौशल का अधिकतम उपयोग करने का आह्वान किया था, इसमें अभी तक क्या किया जा रहा है?
’युवाओं के लिए मैंटरशिप योजना‘ 1 जून, 2021 को शुरू की जा चुकी है और अभी तक की प्रतियोगिता में सहभागिता का स्तर अत्यंत सराहनीय रहा है। इस योजना में हिस्सा लेने के लिए युवा लेखकों के आवेदन आने शुरू हो चुके हैं और अब तक बहुत अधिक संख्या में इच्छुक लेखकों ने अखिल भारतीय प्रतियोगिता के जरिये अपनी पांडुलिपि भी हमें भेज दी है। हमारे देश में रचनात्मक लेखकों की कमी नहीं है, केवल उन्हें एक मंच और सही प्रशिक्षण की आवश्यकता है जिससे वे अपनी क्षमताओं को निखार सकें। इसके लिए प्रधानमंत्री की युवा लेखकों के लिए मेंटरशिप योजना बेहद उचित साबित होगी।
75वें स्वतंत्रता दिवस पर ’ 75 युवा भारत‘ की परिकल्पना रखी गई है, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा इसमें किस प्रकार भागीदारी की जा रही है?
युवा लेखकों के लिए मेंटरशिप/मार्गदर्शन कार्यक्रम ’ 75 युवा भारत‘ परियोजना का ही भाग है, जो राष्ट्रीय आंदोलन एवं अन्य संबंधित विषयों पर युवा लेखकों के दृष्टिकोण को रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत करेगा।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत इस कार्यक्रम की कार्यान्वयन एजेंसी है, जो पुस्तकों का प्रकाशन करेगा तथा नियमानुसार लेखकों को मूल भाषा के साथ-साथ संभावित अनूदित सस्करणों पर रॉयल्टी भी प्रदान करेगा। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास लेखकों को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे-साहित्यिक उत्सवों, पुस्तक मेलों, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में भागीदारी कर अपने कौशल को निखारने के अवसर पर प्रदान करेगा। साथ ही, भारतीय युवाओं के कार्य को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर युवा लेखकों में लेखकत्व तथा लेखन आकांक्षाओं को भी प्रोत्साहित करेगा।
इस कार्यक्रम को लेकर एनबीटी की पूरी योजना क्या है, इन भविष्य के लेखकों को तराशने के लिए विशेषज्ञ कौन होंगे?
एनबीटी चयनित उम्मीदवारों के लिए दो सप्ताह का लेखकों का ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित करेगा। इस दौरान युवा लेखकों को एनबीटी के निपुण लेखकों/रचनाकारों के पैनल से दो प्रख्यात लेखकों/मार्गदर्शकों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा, एनबीटी की विभिन्न भाषा सलाहकार समिति के तहत प्रख्यात लेखक/मार्गदर्शक, इन युवा लेखकों के साहित्यिक कौशल को निखारने में मार्गदर्शन देंगे। इस योजना के अंतर्गत युवा लेखकों की पुस्तकों के प्रकाशन तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद के माध्यम से भारत के विभिन्न राज्यों के बीच संस्कृति एवं साहित्य का आदान-प्रदान सुनिश्चित होगा और इससे ’एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस कार्यक्रम का ऐलान स्वयं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया है, आप इसे कितना बड़ा दायित्व मानते हैं और एनबीटी इस पर किस प्रकार कार्य कर रहा है?
यह यकीनन एक बहुत बड़ा दायित्व है और एनबीटी भी इस दायित्व को सफलतापूर्वक निभाने के लिए पूर्णतः तत्पर है। एनबीटी पिछले 64 साल से देश में पुस्तक प्रकाशन एवं पठन प्रवृत्ति को बढ़ावा देता आया है। हम 50 से भी अधिक भारतीय भाषाओं और बोलियों में पुस्तकों का प्रकाशन और अनुवाद करते आए हैं। हमें पूरा विश्वास है कि इस योजना के तहत युवा लेखकों के प्रशिक्षण और पुस्तकों के प्रकाशन के लिए एनबीटी के साधन बेहद उपयोगी साबित होंगे। कार्यक्रम को सफल एवं उपयोगी बनाने के लिए एनबीटी के अथक प्रयास निश्चित रूप से सफल साबित होंगे।
कौन हैं युवराज मलिक?
कर्नल युवराज मलिक भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) के निदेशक और वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के चेयरमैन हैं। पिछले 17 वर्ष के दौरान भारतीय सेना के साथ-साथ उन्होंने भारत सरकार में विभिन्न दायित्वों को निभाया है। वह संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत अफ्रीका में चीफ ऑपरेशन ऑफीसर और सैन्य सूचना अधिकारी का दायित्व भी संभाल चुके हैं। इसके साथ ही वह जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों में भी शामिल रहे हैं। वह जम्मू-कश्मीर में राजभवन में राज्यपाल के परिसहायक रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के अलावा सिक्किम, पंजाब और राजस्थान में रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अधीन कई ऑपरेशनल इलाकों में प्रशासनिक एवं ऑपरेशनल जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। वह कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-अलग भूमिका में शिरकत करते रहे हैं।
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