राष्ट्रीय युवा संगोष्ठी 2025ः स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से प्रेरित युवा भारत का निर्माण

राष्ट्रीय युवा संगोष्ठी 2025ः स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से प्रेरित युवा भारत का निर्माण

विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानन्द की 163वीं जयंती के शुभ अवसर पर युवाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से 20वीं राष्ट्रीय युवा 2025 संगोष्ठी ‘मंथन’ का आयोजन यूनिवर्सिटी सेंटर नाहेप भवन में किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान द्वारा पद्मश्री डॉ. जे.के. बजाज, मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में किया गया।

विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय युवा जागृति महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय युवा संगोष्ठी 2025 का शुभारम्भ किया गया। 20वें युवा जागृति महोत्सव की शुरुआत युवा रैली के साथ हुआ जिसमें विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ-साथ देश के विभिन्न विश्वविद्यालय से आए विद्वान, छात्र-छात्राएं, शिक्षक तथा सभी गणमान्य जुड़े। भव्य युवा रैली की शुरुआत पंतनगर के स्टीवेंसन स्टेडियम से हुई तथा कृषि महाविद्यालय में जाकर सम्पन्न हुई। रैली में सभी ने जोश के साथ हिस्सा लिया एवं भारत माता की जय के नारे जोर-शोर से लगाए। राष्ट्रीय युवा संगोष्ठी के प्रथम सत्र में संगोष्ठी का उद्घाटन ईश्वर एवं स्वामी विवेकानंद के सिद्धान्तो को स्मरण करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।

पद्मश्री डॉ. जे.के. बजाज ने भारत के गहन सामाजिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक और साहित्यिक परिप्रेक्ष्य दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर डाला कि अब समय आ गया है कि हम 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए पूर्ण रूप से जनसांख्यिकीय लाभांश के अवसर का लाभ उठाएं। उन्होंने ये भी बताया की स्वामी विवेकानन्द के विचार भारत के विकास के लिए एक आधारभूत स्तंभ है।

कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए युवाओं के योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने युवाओं को स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों को अपने हृदय में धारण करते हुए राष्ट्र कल्याण में अग्रसर रहने के लिए प्रेरित किया और उन मूल्यों को उजागर किया जो एक आदर्श युवा में होने चाहिए।

उन्होंने स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों को अपनाने एवं अपने जीवन में स्वाभिमान, समर्पण एवं देश भक्ति तीनों को लेकर विश्वविद्यालय की सेवा करने का सभी से आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवाओं में कौशल विकास के साथ-साथ चरित्र का विकास अनिवार्य है। प्रकृति और संस्कृति के बीच सामंजस्य स्थापित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 60 के दशक में जब देश भूखमरी से जूझ रहा था तब पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय ने हरित क्रांति लाने में योगदान देकर अपने उत्कृष्ट नेतृत्व का परिचय दिया था और इसे ‘हरित क्रांति की जननी’ का गौरव प्राप्त हुआ। इस समय हमको गुणवत्ता और पोषक तत्व से भरपूर अन्न को पैदा करने की आवश्यकता है जिससे कि देष में कुपोषण के षिकार लगभग 19 करोड़ लोग को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन प्राप्त हो सके। वैज्ञानिक नेतृत्व एवं टीम वर्क से हम राष्ट्र सेवा कर सकते हैं।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉ. शिवेंद्र कश्यप ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए स्वामी विवेकानंद के जीवन को मार्गदर्शक बताते हुए उनको निरंतर प्रेरणा का स्रोत कहा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी को उद्धृत करते हुए कहा, ‘यह नश्वर कारण चला जाएगा, लेकिन मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा’।

रमा पोपली, संस्थापक, एकल विद्यालय एवं पाणिनी फाउंडेशन, रचना जानी, प्रांत संघठक, मध्य प्रांत, विवेकानंद केंद्र, नितिन गुप्ता, संस्थापक, सिकल इनोवेशन, ममता कारकी, पीसीएस अधिकारी, एवं रुद्रपुर के व्यावसायी समुह द्वारा चलाया जा रहा एक प्रतिषठान स्माइल फैक्ट्री, राजेन्द्र चड्ढा, केंद्रीय टोली सदस्य, प्रज्ञा प्रवाह, जगदीश जी, डॉ. हरमेश सिंह चौहान, पूर्व निदेशक, केंद्रीय औषधीय एवं सुगंधित पौधा संस्थान, सुधीर चड्ढा, संस्थापक, इडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजीज को उद्घाटन सत्र में सम्मानित किया गया। अपना पूरा जीवन विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी में कार्यरत रचना जानी ने ‘युवा 2025’ के मंच माध्यम से बताया कि किस प्रकार भारतीय संस्कृति की जड़े कितनी मज़बूत है। हमें अपना कर्तव्य निभाते हुए अपने संस्कृति के विरासत को अपनी आने वाली पीढ़ियों को सौपना है।

सत्र के दूसरे भाग में गणमान्य व्यक्तियों ने जिज्ञासु और उत्साहित दर्शकों द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रश्नों पर चर्चा की और उत्तर दिए और विचारों और ज्ञान का एक सफल मंथन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन्ही प्रेरणादायक शब्दों के साथ प्रथम सत्र का समापन हुआ। धन्यवाद प्रस्ताव अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. ए.एस. जीना ने दिया एवं विष्वविद्यालय तथा विवेकानंद स्वाध्याय मंडल को 20 वर्षों से लगातार राष्ट्रीय युवा सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए बधाई दी। संध्या में, आनंद लहर नामक एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें ‘रुद्र फाउंडेशन’ एवं ‘वनवासी कल्याण आश्रम, रुद्रपुर’ ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया और कार्यक्रम को और यादगार बनाया। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा युवाओं द्वारा तैयार की गयी एक पुस्तक एवं डॉ. अमन कम्बोज द्वारा तैयार की गयी एक पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्वेता गुप्ता द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विवेकानन्द स्वाध्याय मण्डल से जुडे़ सदस्य, विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र एवं अधिष्ठाता, निदेशकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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