मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व होता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब ये पर्व मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति आज 15 जनवरी को मनाई जा रही है।
इस दिन गंगा स्नान करने से 10 अश्वमेध यज्ञ और 1000 गाय दान करने के समान शुभ फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है और मकर राशि में प्रवेश करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं।
मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान स्नान-दान से कई गुना फल प्राप्त होता है। मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व होता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब ये पर्व मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति आज 15 जनवरी को मनाई जा रही है।
आज 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का शुभ समय महा पुण्य काल में सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09ः00 बजे तक है। वैसे मकर संक्रांति पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 27 मिनट से सुबह 06 बजकर 21 मिनट तक है।
मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक है। इस दिन रवि योग बना है, जो सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 07 मिनट तक है।।
इस साल सूर्य देव 15 जनवरी को 02ः54 एएम पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उस समय मकर संक्रांति का क्षण होगा। सूर्य देव 15 जनवरी से 13 फरवरी तक मंगलवार को दोपहर 03ः54 पीएम तक मकर राशि में रहेंगे, उसके बाद शनि की दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे।
मकर संक्रांति पर सूर्य देव की कृपा पाने के लिए अर्घ्य दिया जाता है। उससे पहले स्नान करना जरूरी है। स्नान करने से शरीर पवित्र होता है और मन निर्मल हो जाता है। उसके बाद ही सूर्य देव को जल, लाल चंदन, लाल फूल आदि से अर्घ्य दिया जाता है। श्रद्धालु सूर्य पूजा करते हैं और उनसे संबंधित वस्तुओं का दान करते हैं। मकर संक्रांति पर स्नान के बाद गेहूं, गुड़, तिल, गरम कपड़े, अनाज आदि का दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
मकर संक्रांति पर स्नान के बाद आपको अपने पितरों के लिए तर्पण और दान करना चाहिए। इससे आपको अपने पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आएगी।
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करना महत्वपूर्ण होता है। गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। विष्णु पुराण में बताया गया है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को अपने कठोर तप से पृथ्वी पर बुलाया। मां गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल से निकलकर भगवान शिव की जटाओं में होती हुई गंगोत्री हिमालय से पृथ्वी पर आईं।
आज मकर संक्रांति पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस त्यौहार को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। आज के दिन काले तिल से सूर्य देव की पूजा की जाती है। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य उत्तरायण होता है। हिंदू धर्म में सूर्य का दक्षिण से उत्तर दिशा की तरफ बढ़ना बहुत शुभ माना गया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करता है, तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। उत्तर की ओर गमन करते हुए सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर संक्रांति भी कहा जाता है।
आइए जानते हैं मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करना इतना शुभ क्यों माना जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की। उनकी इस कठिन तपस्या को देखकर गंगा जी को पृथ्वी पर आने को मजबूर हो गईं। मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर अवतरित हुईं थीं और इसी दिन महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था।
इसके बाद उनके पीछे चलते-चलते गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में समा गईं। तभी से मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान बहुत शुभ माना जाने लगा।।
हिंदू धर्म में इसे आस्था का महापर्व भी कहा जाता है। इस अवसर पर स्नान, दान, धर्म और पूर्वजों को तर्पण करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन देशभर में कई जगह गंगा तट पर मेले भी लगते हैं।
इस मौके पर लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं। मकर संक्रांति के दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्यों का उल्लेख मत्स्य पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है।
पूजा-अर्चना के लिए उत्तरायण काल विशेष फलदायी होता है। कहा जाता है कि मां गंगा जब कपिल मुनि के आश्रम के पास पहुंचीं तो उस दिन मकर संक्रांति थी। उनके स्पर्श मात्र से राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई। उनको कपिल मुनि ने अपने श्राप से भस्म कर दिया था क्योंकि उन लोगों ने कपिल मुनि पर अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा चुराने का आरोप लगाया था। उसके बाद मां गंगा सागर में जाकर मिल गईं।
लोकेंद्र सिंह बिष्ट, उत्तरकाशी
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