‘खेती-किसानी : 10 साल बेमिसाल’ विषय पर सेमीनार का आयोजन

‘खेती-किसानी : 10 साल बेमिसाल’ विषय पर सेमीनार का आयोजन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले एक दशक में भारतीय कृषि में कई अभिनव योजनाओं का सूत्रपात किया है जिसके परिणाम अब नजर आने लगे हैं। कृषि और किसानों के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आरंभ की गयी योजनाएं अब धरातल पर दिखने लगी है और इससे किसानों को काफी लाभ हो रहा है।

ऋषि, कृषि और कुर्सी का समायोजन ही किसानी का उत्कर्ष है – संत गणि राजेन्द्र विजयजी महाराज

नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सीडी देशमुख ऑडिटोरियम में 17 मई 2025 को ‘खेती-किसानी : 10 साल बेमिसाल’ कार्यक्रम का आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2014 से लेकर अब तक कृषि और किसान कल्याण के लिए लागू की गयी नीतियों और योजनाओं पर केन्द्रित था। इस अवसर पर कृषि चौपाल पत्रिका के विशेष वार्षिकांक ‘खेती-किसानी : 10 साल बेमिसाल’ का विमोचन भी किया गया।

मोदी सरकार द्वारा लागू की गयी योजनाओं के विश्लेषण के लिए कई विद्वान और ग्रामीण भारत और खेती-किसानी पर काम करने वाले कई पत्रकार मौजूद थे। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आरम्भ कार्यक्रम में पर्वतीय कला संगम के कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। गणेश वंदना और पर्यावरण गीत ‘डाल्यो ना काट… पर पेश किये गए नृत्य ने श्रोता वर्ग को मंत्र मुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर आदिवासी जैन संत गणि राजेंद्र विजय जी महाराज ने कहा, हमें कृषि यानि खेती-किसानी में बहुत उन्नति करनी है तो इसके लिए हमें ऋषि यानि यज्ञ, कृषि मतलब खेती और कुर्सी यानी सत्ता का संतुलित समायोजन करना होगा। ऋषि और कृषि को जीवन प्रदान करने वाले गौवंश का संरक्षण किये बिना हम भारत की ग्रामीण खेती को जिन्दा नही रख सकते। अभी भी भारत की 50 प्रतिशत से अधिक खेती ऐसे ही सीमांत किसानों के पास है। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हम लोगों ने विभिन्न संगठनों के माध्यम से खेती-किसानी में गौवंश की पुनर्प्रतिष्ठा के गंभीर प्रयास किये हैं जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक और जैविक खेती का रकबा तेजी से बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले एक दशक में भारतीय कृषि में कई अभिनव योजनाओं का सूत्रपात किया है जिसके परिणाम अब नजर आने लगे हैं। ये उद्गार बीते दशक में कृषि और किसानों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आरंभ की गयी योजनाओं को लेकर गुजरात में आदिवासी समाज के लिए पिछले चार दशकों से काम कर रहे आदिवासी जैन संत गणि राजेंद्र विजय जी महाराज ने व्यक्त किये।

खेती-किसानी में मोदी सरकार के दस साल बेमिसाल पर बोलते हुए रक्षा मंत्रालय भारत सरकार में निदेशक पद से सेवानिवृत विद्वान, कवि एवं लेखक नीलाम्बर पाण्डेय ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पिछले दस वर्ष में आरम्भ की गयी तीस से अधिक योजनाओं का विवरण सामने रखा। जनधन योजना और किसान किसान सम्मान निधि की 6000 की धनराशि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब किसान को इस राशि की किश्त का बेसब्री से इंतजार रहता है।

दो दशक नवभारत टाइम्स और आधा दशक हिंदुस्तान में काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगरान ने हॉल की अपनी गढ़वाल यात्रा का अनुभव बताते हुए कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र मैं उत्तराखंड के गाँव क्रांति कर रहे हैं। लोग खेतो में जगह-जगह सौर प्लांट लगाकर बिजली पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में इस हरित ऊर्जा प्रयोग के लिए सरकार सीमांत किसानों को भरपूर आर्थिक सहायता और तकनीकी सहयोग दे रही है। अन्य तमाम योजनाओं का सकारात्मक पक्ष सामने रखते हुए उन्होंने पत्रकारिता और हर किस्म के मीडिया में कृषि और किसान की उपेक्षा पर गहरी निराशा व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि अभी भी देश के बड़े अखबारों और चैनलों के पास कृषि नाम की ना तो कोई बीट है और न ही वे रिपोर्टिंग में कृषि को कवर कर रहे है। ऐसी ही उपेक्षा कृषि को लेकर सोशल मीडिया में भी बनी हुई है। उन्होंने देश के मीडिया समूहों से अनुरोध किया कि वे कृषि बीट को कॉमर्स से अलग कर एक अलग बीट बनाएं और ग्रामीण भारत की कृषि को महत्व प्रदान करें।

दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी और पत्रकारिता के प्रवक्ता डॉ. सूर्य प्रकाश सेमवाल ने इस बात को लेकर आयोजकों को धन्यवाद दिया कि ऐसे दौर में जब खेती-किसानी की मीडिया और समाज में घोर उपेक्षा हो रही है और लोग खेती में भी रील और ग्लैमर खोज रहे हैं, कृषि चौपाल ने 17 सालों से निरंतर पत्रिका प्रकाशित करते हुए सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने इस प्रयास के लिए कृषि चौपाल की टीम को बधाई दी।

कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार नीरज जोशी ने कार्यक्रम की आयोजन की पृष्ठभूमि और स्वरूप सामने रखा। कार्यक्रम के संचालक, लेखक पत्रकार एवं वरिष्ठ अधिवक्ता शैली विश्वजीत ने अंगूर की खेती में पिछले एक दशक में हुई भारी वृद्धि और निर्यात की प्रशंसा करते हुए वैल्यू एडिशन की वकालत करते हुए कहा कि अगर इसका अधिकतम लाभ किसान को मिलने लगे तो अगले कुछ वर्षों में भारत अंगूर उत्पादन में बहुत आगे निकल जायेगा।

इस कार्यक्रम में किसानों के साथ-साथ समाज के हर क्षेत्र के प्रबुद्ध व्यक्ति वकील, पत्रकार, सामजिक कार्यकर्ता, चार्टर्ड एकाउंटेंट, शिक्षक, राजनीतिज्ञ और कलाकार आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर निर्मल अखाड़ा लक्ष्मीनगर दिल्ली के संत अमनदीप जी भी उपस्थित थे।

अंत में सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम के मुख्य संयोजक और कृषि चौपाल पत्रिका के संपादक महेंद्र बोरा ने कहा कि इस तरह के आयोजन की यह शुरुआत मात्र है। इसके बाद में हम अलग-अलग राज्यों में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करेंगे और आम किसान तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। हम संकल्प करते हैं कि हमारा अगला आयोजन इससे भी कई गुना बेहतर होगा और अपेक्षा करते हैं कि आप सबका सहयोग हमें इसी तरह मिलता रहेगा।

नीरज जोशी

Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this