#Mankibaat: कारगिल विजय दिवस पर पाकिस्तान का जिक्र कर मोदी बोले- दुष्ट का स्वभाव होता है, बेवजह दुश्मनी

#Mankibaat: कारगिल विजय दिवस पर पाकिस्तान का जिक्र कर मोदी बोले- दुष्ट का स्वभाव होता है, बेवजह दुश्मनी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को याद करते हुए देशवासियों को दिनभर उनकी वीरता की कहानियां जानने और शेयर करने का सुझाव दिया। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों का भी जिक्र किया।

पीएम नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत कारगिल विजय दिवस का जिक्र करते हुए की। उन्होंने कहा कि आज 26 जुलाई है और आज का दिन बहुत खास है। 21 साल पहले आज के ही दिन कारगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था। कारगिल का युद्ध जिन परिस्थितियों में हुआ था, वो भारत कभी भूल नहीं सकता। पाकिस्तान ने बड़-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था। भारत तब पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयासरत था लेकिन कहा जाता है न- दुष्ट का स्वभाव ही होता है, हर किसी से बेवजह दुश्मनी करना।

पाकिस्तान ने पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की

पीएम ने कहा कि ऐसे स्वभाव के लोग, जो हित करता है, उसका भी नुकसान ही सोचते हैं इसीलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई थी, लेकिन उसके बाद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, भारत ने अपनी जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखे। उन्होंने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं ऊंचे पहाड़ों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेना, हमारे वीर जवान लेकिन जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं, भारत की सेनाओं के ऊंचे हौसले और सच्ची वीरता की हुई।

आगे पढ़िए पीएम का पूरा संबोधन…

साथियो, उस समय, मुझे भी कारगिल जाने और हमारे जवानों की वीरता के दर्शन का सौभाग्य मिला। वो दिन, मेरे जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक है। मेरा, देश के नौजवानों से आग्रह है कि आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियां, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएं, शेयर करें। साथियों, मैं आपसे आग्रह करता हूं http://gallantryawards.gov.in वेबसाइट पर आप ज़रूर जाएं। वहां आपको, हमारे वीर पराक्रमी योद्धाओं और उनके पराक्रम के बारे में बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होंगी।

साथियो, कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने लालकिले से जो कहा था, वो आज भी हम सभी के लिए बहुत प्रासंगिक है।

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अटल जी ने कहा था कि कारगिल युद्ध ने, हमें एक दूसरा मंत्र दिया है- ये मंत्र था, कि कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले, हम ये सोचें कि क्या हमारा ये कदम, उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी। युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। ये बात हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए।

सोशल मीडिया यूजर्स के लिए नसीहत

कभी-कभी हम इस बात को समझे बिना सोशल मीडिया पर ऐसी चीजों को बढ़ावा दे देते हैं जो हमारे देश का बहुत नुकसान करती हैं। कभी-कभी जिज्ञासावश फॉरवर्ड करते रहते हैं। पता है गलत है ये – करते रहते हैं। आजकल, युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते हैं, देश में भी कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाता है और हर एक देशवासी को उसमें अपनी भूमिका तय करनी होती है।

कोरोना पर मोदी की बड़ी बात

पिछले कुछ महीनों से पूरे देश ने एकजुट होकर जिस तरह कोरोना से मुकाबला किया है, उसने अनेक आशंकाओं को गलत साबित कर दिया है। आज, हमारे देश में रिकवरी रेट अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, साथ ही हमारे देश में कोरोना से मृत्यु-दर भी दुनिया के ज्यादातर देशों से काफ़ी कम है।

कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। हमें बहुत ही ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। चेहरे पर मास्क लगाना या गमछे का उपयोग करना, दो गज की दूरी, लगातार हाथ धोना, कहीं पर भी थूकना नहीं, साफ़-सफाई का पूरा ध्यान रखना – यही हमारे हथियार हैं जो हमें कोरोना से बचा सकते हैं। मैं आपसे आग्रह करूंगा जब भी आपको मास्क के कारण परेशानी होती हो, मन करता हो उतार देना है, तो पल-भर के लिए उन डॉक्टरों का स्मरण कीजिए, उन नर्सों का स्मरण कीजिए, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिए।

सकारात्मक अप्रोच से हमेशा आपदा को अवसर में, विपत्ति को विकास में बदलने में मदद मिलती है। हम कोरोना के समय भी देख रहे हैं, कि कैसे देश के युवाओं-महिलाओं ने टैलेंट और स्किल के दम पर कुछ नये प्रयोग शुरू किये हैं।

मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क, बांस से पानी की बोतल का जिक्र

बिहार में कई महिला स्वयं सहायता समूहों ने मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क बनाना शुरू किया है, और देखते-ही-देखते, ये खूब लोकप्रिय हो गए हैं। ये मधुबनी मास्क एक तरह से अपनी परम्परा का प्रचार तो करते ही हैं, लोगों को, स्वास्थ्य के साथ, रोजगारी भी दे रहे हैं।

पूर्वोत्तर में बांस कितनी बड़ी मात्रा में होता है, अब इसी बांस से त्रिपुरा, मणिपुर, असम के कारीगरों ने उच्च गुणवत्ता की पानी की बोतल और टिफिन बॉक्स बनाना शुरू किया है।

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