हौसला अगर पहाड़ से भी ऊंचा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी आखिरकार घुटने टेक ही देती है। इसी का उदाहरण पेश करती है लौंथरू गांव के एक साधारण परिवार में जन्मी सविता कंसवाल। उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी की भटवाडी ब्लॉक के लौंथरु गांव की
हौसला अगर पहाड़ से भी ऊंचा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी आखिरकार घुटने टेक ही देती है। इसी का उदाहरण पेश करती है लौंथरू गांव के एक साधारण परिवार में जन्मी सविता कंसवाल।
उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी की भटवाडी ब्लॉक के लौंथरु गांव की सविता कंसवाल ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट ( 8,848.86 मीटर ) फतह कर जिले के साथ अपने प्रदेश और देश का मान बढ़ाया है। यह खबर सुनने के बाद क्षेत्र में खुशी की लहर है। नेपाल की एक्सपीडिशन कंपनी पीक एंड प्रमोशन के ओनर बाबू सेरपा के साथ टीम गई है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि 12 मई 2022 की सुबह सविता कंसवाल सहित अन्य तीन लोगों ने माउंट एवरेस्ट फतह किया है।
25 वर्षीय सविता कंसवाल का बचपन कठिनाइयों में गुजरा। पिता राधेश्याम कंसवाल और मां कमलेश्वरी देवी ने किसी तरह चार बेटियों का पालन-पोषण किया। चार बहनों में सविता सबसे छोटी है। वर्ष 2011 में इंटर कॉलेज मनेरी से सविता का चयन दस दिवसीय एडवेंचर कोर्स के लिए हुआ। इस दौरान जब सविता ने भारत की प्रथम एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल, वरिष्ठ पर्वतारोही चंद्रप्रभा ऐतवाल समेत कई पर्वतारोही महिलाओं के नाम सुने तो आंखों में सपने तैर गए। तय किया अब तो एवरेस्ट ही मंजिल है।
कर चुकी है कई चोटी फतह
सविता माउंट एवरेस्ट से पहले त्रिशूल पर्वत (7120 मीटर), हनुमान टिब्बा (5930 मीटर), कोलाहाई (5400 मीटर), द्रौपदी का डांडा (5680 मीटर), तुलियान चोटी (5500 मीटर) के साथ सविता ने दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से (8516 मीटर) को भी फतह किया है। अब सविता के खाते में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट ( 8,848.86 ) मीटर भी जुड़ गई है।
बता दें कि अभी सविता NIM में गेस्ट इंस्ट्रेक्टर के तौर पर काम भी कर रही है। एवरेस्ट सबमिट की खबर सुनकर NIM के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट, माउंटेनियरिंग इंस्ट्रेक्टर दीप शाही भी बहुत खुश हैं।
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