फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा और लॉकडाउन में भूखे लोगों को खाना खिलाने का छेड़ दिया अभियान। जी हां, देहरादून की इस बेटी की पूरे प्रदेश में चर्चा है। अपने बचत के पैसों से इन्होंने 13 दिनों तक गरीबों को खाना खिलाया और उसके बाद कई लोग जुड़े और अब सैकड़ों लोगों को खाना पहुंचाया जा रहा है।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन तो शुरू हुआ पर उसके साथ-साथ एक बड़ी आबादी के लिए खाने-पीने का संकट भी पैदा हो गया। कंपनियां बंद हो गईं, रिक्शा, ऑटो, ठेले, दुकानें सब बंद। ऐसे में दिहाड़ी मजदूरों के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ करना असंभव सा होने लगा पर इस मुश्किल वक्त में समाज के लोग ही आगे आए और इन जरूरतमंदों और बेसहारा लोगों का सहारा बने।
आज हम आपको एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पिछले 40 दिनों से गरीबों, मजदूरों, बेसहारा लोगों और साथ ही दिन-रात ड्यूटी पर तैनात कोरोना योद्धाओं के खाने-पीने का इंतजाम कर रही हैं। इनका नाम शिल्पा भट्ट बहुगुणा (Shilpa Bhatt Bahuguna dehradun) है। ‘हिल मेल’ से विशेष बातचीत में उन्होंने अपने इस अभियान की शुरुआत से लेकर अब तक की हर बात बताई।
उन्होंने बताया कि देहरादून में उनका रेस्टोरेंट हैं और जब जनता कर्फ्यू हुआ तो 2-3 दिन तक खाना-पीना बंद रहा। ऐसे में उन्होंने जिलाधिकारी से अनुमति लेकर अपने रेस्टोरेंट में काम करने वाले 17-18 लोगों का खाना बनाना जारी रखने का फैसला किया। उन्होंने अपना किचन शुरू किया, आगे उन्हें लगा कि कि जब इतने लोगों का खाना बन ही रहा है तो क्यों न बाकी जो लोग लॉकडाउन में फंसे हैं और भूखे हैं तो क्यों न उनके लिए भी खाने का इंतजाम किया जाए।
शिल्पा ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी और उनके पास कॉल आने लगी। पहले दिन 700 से 800 लोगों के फोन आए। इनमें कुछ बच्चे पीजी के और कुछ ऐसे कामगार थे, जो होटलों में काम कर रहे थे पर उनके मालिक ने उन्हें लॉकडाउन में निकाल दिया था।
वह बताती हैं कि इस तरह से करीब 500 लोगों का खाना बनाना शुरू किया गया। जिन लोगों को राशन की जरूरत होती थी, उन्हें पहुंचाया जाने लगा। इसके साथ-साथ शाम में 4-5 बजे के बीच सड़क पर ड्यूटी कर रहे पुलिसवालों को चाय और नाश्ता दिया जा रहा है। शिल्पा ने बताया कि पहले वह और उनकी टीम खुद खाना बांटने निकलती थी लेकिन अब उन्होंने फूड डिपार्टमेंट को बनाकर देना शुरू किया है। पुलिसवालों को वह खुद जाकर बांट रही हैं। आज की तारीख में 300 से 400 लोगों का खाना बन रहा है। शाम में 200 पुलिसवालों के लिए नाश्ता और चाय दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि पहले 13 दिन तक शिल्पा जी ने अपने बचत के पैसों से जरूरतमंदों को खाना खिलाया। इसके बाद लोग जुड़ते गए और मदद मिलती गई। बाइकर ग्रुप रॉयल एनफील्ड ग्रुप (royal enfield group in dehradun) उनकी फेसबुक पोस्ट देखकर मदद के लिए आगे आया। कुछ लोगों ने राशन पहुंचाना शुरू किया। विदेश से भी कुछ लोगों ने मदद की। शिल्पा के माता-पिता ने विदेश से धनराशि भेजी।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के समय में लोग अपने बच्चों के जन्मदिन या कोई खास दिन होने पर खाना खिलाने के लिए मदद दे रहे हैं। राशन या किसी दूसरे तरीके से वे मदद पहुंचाते हैं कि आज के दिन का खाना उनकी तरफ से।
शिल्पा ने बताया कि शुरुआत में कुछ लोगों के प्रैंक कॉल भी आए। संपन्न घरों से भी लोगों ने खाने के लिए फोन किया जबकि उनके पास सारा इंतजाम था। उन्होंने बताया कि जब उनकी टीम खाना बांट रही थी तो कुछ मजदूरों की बस्ती में खाना कई तरफ से आ जाता था, जिससे बर्बाद होने लगा इसीलिए उन्होंने फूड डिपार्टमेंट को देना शुरू किया जिससे खाना जरूरतमंदों तक पहुंच सके। उत्तराखंड में शिल्पा की इस पहल की काफी प्रशंसा हो रही है।
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