सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, इसको लेकर अलग-अलग तरह के दावे किए जाते हैं और तात्कालिक घटनाओं से उसे जोड़कर देखा जाता है लेकिन पंडित सुशील बलूनी बता रहे हैं कि वास्तव में सूर्य ग्रहण को कैसे समझना चाहिए और इस घटना से क्या ग्रहण करना चाहिए… विस्तार से पढ़िए रिपोर्ट।
21 जून को सूर्य ग्रहण लगने वाला है। कोरोना वायरस के प्रकोप और भारत-चीन टेंशन के बीच पड़ने वाले सूर्य ग्रहण के बारे में जानने की लोगों में काफी उत्सुकता है। कई तरह की भ्रांतियां और झूठ भी सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे हैं। ऐसे में ‘हिल मेल’ ने देहरादून के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित सुशील बलूनी से ग्रहण के बारे प्रामाणिक जानकारी इकट्ठा की है, जिसके बारे में आपको जानने की जरूरत है।
पंडित बलूनी ने बिंदुवार तरीके से ग्रहण को समझाया। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर जब हम ग्रहण (solar eclipse 2020) की बात करते हैं तो यह कोई ऐसी विचित्र सी चीज नहीं है जो कभी नहीं होती। लगभग हर साल 7 ग्रहण लगते हैं। कभी वे हमारे देश में दिखाई देते हैं तो कभी दुनिया के किसी दूसरे हिस्से में। उनमें से 2 या 2 से अधिक सूर्य ग्रहण और बाकी चंद्र ग्रहण लगते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में ग्रहण से घबराने की जरूरत नहीं है। शब्द में अर्थ छिपा है- ग्रहण, यानी आप इससे कितना सीख पाते हैं। इससे आप काफी सकारात्मकता पा सकते हैं।
कब से कब तक लगेगा ग्रहण
पंडित सुशील बलूनी ने बताया कि आषाढ़ मास की कृष्ण अमावस्या को यह ग्रहण लग रहा है। अमावस्या का दिन रविवार को आ रहा है। ये दोनों बहुत अच्छे योग नहीं माने जाते हैं। सूर्य पर ग्रहण का लगना रविवार (सूर्यवार) के दिन नकारात्मक बात है। सुबह 10.18 से शुरू होकर दोपहर 2.04 मिनट तक यह ग्रहण काल रहेगा।
उन्होंने कहा कि सूर्य के दिन अमावस्या और सूर्यवार के दिन ग्रहण को अगर हम देखें तो रोगों के आधार पर और प्रतिष्ठा की हानि के आधार पर तारतम्य खासतौर पर अधिकारियों, नेताओं, राजनीतिक दलों के बीच ठीक दिखाई नहीं देता है।
अच्छा-खराब की बात भी समझ लीजिए
उन्होंने कहा कि ग्रहण से आमतौर पर कोई बड़ी दिक्कत नहीं होती है। हर साल ग्रहण लगते हैं। हर बार लोग उस ग्रहण को आसपास की घटनाओं से जोड़ देते हैं और उससे नकारात्मकता का प्रचार होने लगता है। इससे लोग सेमी-डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। एक स्पष्ट तौर पर बात जान लेनी चाहिए कि इस ग्रहण से डरने की जरूरत नहीं है।
बीमार और गर्भवती माताएं न देखें ग्रहण
पंडित बलूनी ने बताया कि 12 घंटे पहले ही ग्रहण का सूतक लग जाएगा। शनिवार रात करीब 11 बजे के बाद भोजन आदि न करें। घर में जितनी भी तरल चीजे हैं- पानी, दूध आदि में तुलसी के पत्ते तोड़कर डाल दें। फ्रीज के अंदर बासी भोजन को शनिवार रात में ही खा लें, इसके बाद में ग्रहण न करें।
उन्होंने समझाया कि ग्रहण के समय जब सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए बाधित होता है तो अलग-अलग रेडिएशन आते हैं, वे भोजन, बीमार व्यक्ति या गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करते हैं इसलिए बीमार और गर्भवती माताएं सूर्य ग्रहण को न देखें। इसकी रोशनी से खुद को दूर रखें।
पूजा करें या नहीं?
पूजापाठ को लेकर भी उन्होंने भ्रम दूर किया है। पंडित बलूनी ने बताया कि इस कालखंड में उपवास करना अच्छा रहेगा। अगर जरूरी हो या बीमार हों तो उस भोजन को करें जिस पर सूर्य का प्रकाश न पड़ा हो। ग्रहण के समय मंदिरों के कपाट बंद कर देने चाहिए। मूर्ति और पुस्तक को छुए बगैर कुलदेवी के मंत्रों का जाप करें। ग्रहण के कालखंड में गणेश जी या शिवजी की आराधना कर सकते हैं। यह अत्यधिक लाभदायक होता है।
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