एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देंगे…. राजनाथ ने संसद में बताया पूर्वी लद्दाख में कैसे हैं हालात

एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देंगे…. राजनाथ ने संसद में बताया पूर्वी लद्दाख में कैसे हैं हालात

राजनाथ ने आज संसद को बताया कि मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि चीन के साथ बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है। सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी LAC पर तैनाती तथा पेट्रोलिंग के बारे में कुछ मसले बचे हैं। हालांकि डिसइंगेजमेंट पर सहमति बनी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज राज्यसभा में पूर्वी लद्दाख के मौजूदा हालात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पैंगोंग लेक इलाके में चीन के साथ पीछे हटने को लेकर समझौता हो गया है। पिछले 8 महीने से ज्यादा समय से भारत और चीन की सेनाएं आमने सामने हैं। राजनाथ ने कहा कि मैं सदन को यह भी बताना चाहता हूं कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं, साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि LAC पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारी द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ता है। कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयानों में भी यह जिक्र किया गया है कि LAC तथा सीमाओं पर शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है। पिछले वर्ष मैंने इस सदन को अवगत कराया था कि LAC के आस-पास पूर्वी लद्दाख में टकराव के कई इलाके बन गए हैं।

हमारे सशस्त्र सेनाओं द्वारा भी भारत की सुरक्षा की दृष्टि से उचित तथा प्रभावी तैनाती की गई है। मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय पैंगोंग सो के दक्षिण और उत्तरी किनारे पर दिया है। भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाड़ियों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं। हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं।

टकराव वाले क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने के लिए भारत का यह मत है कि 2020 की फॉरवर्ड तैनाती जो एक-दूसरे के बहुत नजदीक हैं, वे दूर हो जाएं और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थायी एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं। बातचीत के लिए हमारी रणनीति तथा अप्रोच माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दिशा निर्देश पर आधारित है कि हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही यह फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं। इन दिशा निर्देशों के दृष्टिगत सितम्बर, 2020 से लगातार सैन्य और राजनयिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई है कि पीछे हटने का पारस्परिक स्वीकार्य तरीका निकाला जाए। अभी तक सीनियर कमांडर्स के स्तर पर 9 राउंड की बातचीत हो चुकी है।

मुझे सदन को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे इस अप्रोच तथा सतत बातचीत के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग लेक के उत्तर एवं दक्षिण किनारे पर disengagement का समझौता हो गया है। पैंगोंग लेक एरिया में चीन के साथ पीछे हटने का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष फॉरवर्ड तैनाती को चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से हटाएंगे।

मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है। सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी LAC पर तैनाती तथा पेट्रोलिंग के बारे में कुछ मसले बचे हैं। इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौते तथा प्रोटोकॉल के तहत पूर्ण रूप से पीछे हटने को जल्द से जल्द कर लिया जाए।

उन्होंने कहा कि चीन भी देश की सम्प्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है। यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर बचे हुए मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा। मैं इस सदन से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे साथ संपूर्ण सदन हमारी सशस्त्र बलों की इन विषम एवं भीषण बर्फबारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता के प्रदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करे। मैं यह कहना चाहता हूँ कि जिन शहीदों के शौर्य एवं पराक्रम की नींव पर यह डिसइंगेजमेंट आधारित है, उसे देश सदैव याद रखेगा। मैं आश्वस्त हूं कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा।

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