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प्रोफ़ेसर हरेन्द्र सिंह असवाल की दो पुस्तकों का आज दिल्ली में लोकार्पण किया गया। एक पुस्तक ‘खेड़ाखाल’ कविता संग्रह हैं और दूसरी ‘हाशिए के लोग’ में, हिन्दू समाज के उन कलाकारों का स्मरण किया गया जिन्होंने हिन्दू संस्कृति को हज़ारों वर्षों तक अनपढ़ होते हुए भी निरन्तर ज़िन्दा रखा। लेकिन बदले में वर्ण व्यवस्था ने उन्हें हमेशा हाशिए पर रखा।
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प्रोफ़ेसर हरेन्द्र सिंह असवाल की दो पुस्तकों का आज दिल्ली में लोकार्पण किया गया। एक पुस्तक ‘खेड़ाखाल’ कविता संग्रह हैं और दूसरी ‘हाशिए के लोग’ में, हिन्दू समाज के उन कलाकारों का स्मरण किया गया जिन्होंने हिन्दू संस्कृति को हज़ारों वर्षों तक अनपढ़ होते हुए भी निरन्तर ज़िन्दा रखा। लेकिन बदले में वर्ण व्यवस्था ने उन्हें हमेशा हाशिए पर रखा।
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