• महज मिट्टी का टीला नहीं होती जमीनः उत्तराखंड में भू-कानून, क्यों और कैसे?

    महज मिट्टी का टीला नहीं होती जमीनः उत्तराखंड में भू-कानून, क्यों और कैसे?2

    उत्तराखंड में भू-कानून की मांग काफी समय से हो रही है। इस समय यह मुद्दा सुर्खियों में है और सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग टॉपिक है। ऐसे में इस ज्वलंत मुद्दे पर बात करने के लिए हिल-मेल और ओहो रेडियो ने उन विशेषज्ञों को आमंत्रित किया, जिन्हें इस मुद्दे की पृष्ठभूमि, महत्व और जरूरत के हर पहलू की जानकारी है। इस कार्यक्रम में पर्यावरणविद् और मैती आंदोलन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, हमारा उत्तरजन मंच के अध्यक्ष रणबीर सिंह चौधरी,  गरीब क्रांति अभियान के संयोजक कपिल डोभाल और वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत जुड़े। हिल-मेल से अर्जुन रावत और ओहो रेडियो से आरजे काव्य भू-कानून के तमाम पहलुओं पर बात की।

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  • आह! दरक रहे रैणी से गौरा देवी की ‘स्मृतियों का विस्थापन’

    आह! दरक रहे रैणी से गौरा देवी की ‘स्मृतियों का विस्थापन’0

    Guest Article by पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, पर्यावरणविद् एवं मैती आंदोलन के प्रणेता I

    गौरा देवी के चिपको आंदोलन में शामिल रही महिलाओं ने साल 2010 में ‘चिपको स्मृति यात्रा’ के दौरान एक धार में खड़े होकर ऋषिगंगा में बन रही जल विद्युत परियोजना को दिखाते हुए कहा था कि यह हमारे विनाश का कारण बनेगा। हमारे सारे पेड़ काट दिए गए हैं और हमारा गांव अंदर ही अंदर से खोखला हो गया है। गौरा देवी के साथ प्रमुख रूप से कार्य करने वाली तथा गौरा देवी की सहेली श्रीमती बटनी देवी ने कहा था कि हमने कितना समझा दिया है इनको, पर ये समझते ही नहीं। सरकार भी हमारी कुछ सुनती नहीं, हम क्या करें?

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