आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड की सड़कों पर आए दिन उभर रहे भूस्खलन क्षेत्र चिंता बढ़ा रहे हैं। उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण और प्रबंधन केंद्र ने अभी तक तक राज्य की सड़कों पर ऐसे 132 भूस्खलन हॉटस्पॉट क्षेत्र चिह्नित किए हैं, जिनमें वर्षाकाल के दौरान विशेष निगरानी की आवश्यकता है।
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
राष्ट्रीय राजमार्गों पर इन हॉटस्पॉट की संख्या 95 है, जबकि अन्य सड़कों पर 37। उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण और प्रबंधन केंद्र की ओर से बीते दिवस मानसून की तैयारियों को की तैयारियों को लेकर हुई बैठक में प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह जानकारी दी गई। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले भूस्खलन का ब्योरा भी भूस्खलन न्यूनीकरण और प्रबंधन एकत्र कर रहा है। इसके लिए सभी जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों को बाकायदा प्रपत्र दिए गए हैं। भूस्खलन का आंकड़ा प्राप्त होने के बाद वर्षा के आंकड़ों के साथ यह भविष्य में उत्तराखंड के भूस्खलन की पूर्व चेतावनी और भूस्खलन की संवेदनशीलता मानचित्र के लिए उपयोगी साबित होगा।
देहरादून जिले की सड़कों पर मलबा आने का क्रम शुरू हो गया है। प्रमुख मार्गों से लेकर ग्रामीण मार्गों तक के जगह जगह बाधित होने के खतरा बढ़ गया है। हालांकि, इस बार लोनिवि (राजमार्ग सहित) के अधिकारियों का दावा है कि मानसून सीजन में सड़कों पर आवागमन बहाल रखने के लिए पहले की तैयारी की जा चुकी थी। वर्तमान में जिलेभर में सड़कों को तत्काल बहाल करने के लिए 45 जेसीबी और अन्य मशीनों को तैनात किया गया है। जिलाधिकारी के मुताबिक 37 मशीनें लोनिवि की सड़कों पर, जबकि 08 मशीनें राजमार्ग खंड के अंतर्गत आने वाली सड़कों पर तैनात की गई हैं। सभी मशीनों पर जीपीएस लगाया गया है। ताकि उनके मूवमेंट को भी ट्रैक किया जा सके। मशीनों की तैनाती भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के दोनों तरफ की गई हैं। ताकि सड़क बाधित होने के तत्काल बाद ही मार्ग को बहाल करने का काम शुरू किया जा सके।
लोनिवि के प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता के मुताबिक राजधानी क्षेत्र में मसूरी रोड के गलोगी के पास के भूस्खलन संभावित क्षेत्र, लंबीधार किमाड़ी रोड और मालदेवता क्षेत्र की सड़कों पर विशेष निगाह रखी जा रही है। मानसून को लेकर पर्वतीय जनपदों के लिए खास तौर पर अलर्ट जारी किया गया है। आपदा प्रबंधन विभाग के साथ ही एसडीआरएफ और जिला प्रशासन को भी बारिश की भविष्यवाणी के चलते अलर्ट पर रहने के निर्देश मिले हैं। मौसम विभाग की माने तो कई पर्वतीय जनपदों में तेज बारिश हो सकती है। ऐसे में लैंडस्लाइड होने की भी संभावना बनी हुई है। खास तौर पर चारधाम यात्रा मार्गो को लेकर विशेष एहतियात बरतने के लिये कहा गया है। उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान भारी बारिश के बीच भूस्खलन के कारण मलबा आने से छह स्टेट हाईवे समेत प्रदेश की 96 सड़कें बंद हो गईं। इनमें सबसे ज्यादा 47 ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। हालांकि, लोक निर्माण विभाग ने 24 सड़कों को खोल दिया है। अब भी 72 सड़कें बंद हैं और उन्हें खोलने के लिए मशीनरी मौके पर तैनात है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पूर्वानुमान के अनुसार, बुधवार को पिथौरागढ़, चंपावत, नैनीताल, बागेश्वर, अल्मोड़ा और ऊधमसिंह नगर जिले के कुछ इलाकों में गराज के साथ भारी बारिश की संभावना जताई है। वहीं देहरादून समेत पौड़ी, टिहरी और हरिद्वार जिले में भारी बारिश के साथ ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार, गढ़वाल मंडल में 6 और 7 जुलाई को बारिश बढ़ने की भी संभावना है। बारिश के अलर्ट के साथ ही प्रशासन भी सतर्क हो गया है। मौसम विभाग ने कुमाऊं के जिलों में भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट और गढ़वाल मंडल के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार, इन सभी जिलों में तेज बारिश होने से जलभराव और भूस्खलन की समस्या हो सकती है। ऐसे में इन इलाकों के लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। चार्टन लाज आवागढ़ और रुसी बाइपास क्षेत्र स्थित निर्माणाधीन सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में हुए भूस्खलन की रोकथाम कार्य इसी सुस्ती को बयां कर रहे है। समय रहते सिस्टम ने रोकथाम के प्रयास तो नहीं किये, अब मानसून सिर पर आने के बाद इन दोनों भूस्खलन क्षेत्रों की रोकथाम तिरपाल के भरोसे टिकी हुई है।
बता दे कि बीते वर्ष सितंबर माह में चार्टन लॉज आवागढ़ कंपाउंड क्षेत्र में भारी भूस्खलन हुआ था। जिसमें एक दो मंजिला भवन पूरी तरह ध्वस्त होने के साथ ही अन्य तीन भवन क्षतिग्रस्त हो गए थे। साथ ही भूस्खलन क्षेत्र के ऊपर स्थित भवनों में बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई थी। एहतियात की दृष्टि से दो दर्जन परिवारों को अन्यत्र विस्थापित किया गया था। लोनिवि ने अस्थाई रोकथाम के तौर पर जिओ बैग की दीवार लगाकर भूस्खलन तो रोक दिया। मगर दस माह बीतने के बाद भी पहाड़ी की स्थाई रोकथाम के प्रयास नहीं हो सके है। बीती रात से हुई वर्षा से अस्थाई कट्टो की दीवार भी नीचे को खिसकने लगी है। जिससे आवासीय भवनों में निवासरत दर्जनों परिवारों पर खतरा मंडरा रहा है। मगर रोकथाम के नाम पर भूस्खलन क्षेत्र को तिरपाल से ढका जा रहा है। ऐसा ही कुछ हाल रुसी बाइपास में पूर्व में प्रस्तावित एडीबी के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट स्थल का है।
पहाड़ी में लगातार भू-कटाव होने से भूस्खलन निर्माणधीन भवन की तलहटी तक पहुंच गया है। जिससे रुसी बाइपास और उसके ठीक ऊपर स्थित ग्रामीण क्षेत्र में भी खतरा बढ़ने लगा है। इधर भूस्खलन बढ़ने के बाद विभागीय स्तर पर पहाड़ी को तिरपाल से ढक दिया गया है। इस बीच, राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, पहाड़ों से हुए भूस्खलन के मलबे से राज्य में 88 ग्रामीण सड़कें, दो सीमांत सड़कें, एक राज्य राजमार्ग और एक राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित हो गया। रुद्रप्रयाग की पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिले में स्थित एक पुरानी सुरंग के मुंह पर पहाड़ी का मलबा गिर गया। उन्होंने कहा कि इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग चमोली जिले में लामबगड़ में भूस्खलन से बाधित है जिसे खोलने का प्रयास किया जा रहा है।
यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं और वह दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।
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