अगले 20 साल में लोगों ने जिन लक्ष्यों को जरूरी माना है उनमें स्टार्ट अप और स्वरोजगार प्रमुख है। लोगों का यह भी मानना है कि उत्तराखंड में रिनेबल एनर्जी, सॉफ्ट वेयर हब, आईटी इंफ्रा और डिजिटल पाथवे के क्षेत्र में बेहतर रोजगार की संभावनाएं हैं।
एक राज्य के तौर पर 20 साल के उत्तराखंड के आने वाले 20 साल कैसे होंगे, इसमें कौन से सेक्टरों में संभावनाएं बनेंगी, किस सेक्टर पर काम किया जा सकता है, इस पर राज्य के लोगों से सोशल मीडिया के जरिये रायशुमारी की गई है। उत्तराखंड राज्य स्थापना के 20 वर्ष पूरे होने के मौके पर सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन ने राज्य के अगले 20 वर्ष के लिए पब्लिक फीडबैक के आधार पर 20 लक्ष्य निर्धारित किए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से “20 गोल्स ऑफ नेक्स्ट 20 ईयर्स” विषय पर लोगों से सुझाव मांगे गए थे, जिसके आधार पर ये लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल के अनुसार, इन सुझावों को विश्लेषण करने पर राज्य के लिए अगले 20 सालों में लोगों ने जिन लक्ष्यों को जरूरी माना है उनमें स्टार्ट अप और स्वरोजगार प्रमुख है। लोगों का यह भी मानना है कि राज्य में रिनेबल एनर्जी, सॉफ्ट वेयर हब, आईटी इंफ्रा और डिजिटल पाथवे के क्षेत्र में बेहतर रोजगार की संभावनाएं हैं। राज्य में लोग कनेक्टिविटी बढ़ाने पर भी जोर देते हैं। सड़क कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाने के साथ ही ज्यादातर लोग एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के पक्षधर हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के मुद्दे पर उत्तराखंड के लोगों की सर्वाधिक अपेक्षाएं हैं और अगले 20 वर्षों में इन मामलों में 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने की जरूरत बताते हैं।
आय के स्रोत विकसित करने पर जोर देते हुए ज्यादातर लोग इसके लिए आर्गेनिक खेती, हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर जैसी गतिविधियां अपनाने की जरूरत बताते हैं। इसके साथ की पर्यटन को नया रूप देने के लिए भूटान की तर्ज पर हाई एंड टूरिज्म और होम स्टे जैसी योजनाओं को बढ़ाने की बात करते हैं। लोगों का कहना है कि ऋषिकेश जैसे पर्यटन नगरों को बेहतर पहचान दिलाई जानी चाहिए। स्थानीय उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने को भी कई लोग अगले 20 वर्षों के लक्ष्य में शामिल करते हैं।
इसके साथ ही राज्य के लोगों ने जमीन के स्वामित्व, नदी जल के संवर्द्धन, कचरे और प्लास्टिक कचरे से निजात, अवैध खनन और अतिक्रमण पर अंकुश लगाने की भी लोग वकालत करते हैं, ताकि राज्य में ग्रीन इकोनॉमी को विकसित किया जा सके। राज्य के लोग भविष्य की राजनीति से भी आशंकित हैं और परिसीमन जैसे मुद्दों के साथ ही स्थाई राजधानी का मसला हल करने को अगले 20 वर्षों के लक्ष्य में शामिल करने के हिमायती हैं।
इसके साथ ही ज्यादातर लोग युवाओं और महिलाओं के हाथों में नेतृत्व देने के हिमायती हैं। वे लीडर शिप से और प्रशासनिक अधिकारियों से उम्मीद करते हैं कि वे आम लोगों के प्रति अपनी सोच और अपने व्यवहार में बदलाव लाएंगे। ज्यादातर ने अगले 20 वर्षों में राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य संस्कृति में बदलाव लाने की जरूरत बताई है।
हिल-मेल ने जब अनूप नौटियाल से पूछा कि इन सब क्षेत्रों में हाल के समय में कुछ अच्छी पहल हुई हैं, तो उन्होंने कहा कि यह एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया है, इसमें समय लगेगा। जहां तक स्वरोजगार की बात है तो उत्तराखंड के लोग प्राकृतिक तौर अपना बिजनेस करने वाले नहीं होते। खास तौर पर सर्विस सेक्टर के लिए उन्हें सबसे अच्छा माना जाता है। हमारी संस्कृति आंत्रप्रेन्योरशिप वाली नहीं रही है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी बदलेगी। लोगों के बीच में एक सोच विकसित होने में समय लगेगा। अच्छी बात यह है कि यह अब शुरू हो गया है। चाहे इसमें सरकार को कोशिशें कह ली जाएं या हाल के समय में बनी परिस्थितियां।
आर्गेनिक खेती, हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर जैसी गतिविधियों की जब हम बात करते हैं तो इसका दायरा काफी बढ़ाना होगा। सरकार भी कृषि सेक्टर की क्षमता को समझ रही है। यह सेक्टर जितनी अधिक संभावनाओं वाला है, इसमें उतनी ही चुनौतियां भी हैं।
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