हमारे समाज में कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने काम को पूरी ईमानदारी से करके परिवर्तन लाने के प्रयास करते हैं और मिसाल बन जाते हैं। #UttarakhandPositive सीरीज की अगली कड़ी में ऐसी महिला शिक्षकों और उनके स्कूल की कहानी, जिसकी तस्वीरें पूरे पौड़ी जिले में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों के मन में एक अलग तरह की धारणा बनी हुई है। अच्छा नहीं होगा, दीवारें खराब होंगी, बच्चों को सूट नहीं करेगा लेकिन अब ऐसा नहीं है। पहाड़ के स्कूल अब बदलाव की कहानी कह रहे हैं। ये बदलाव सरकार की ओर से मिलने वाली वित्तीय मदद, शिक्षकों की इच्छाशक्ति और लगन के दम पर आ रहा है।
स्कूल की इन आकर्षक तस्वीरों से आपने अंदाजा लगा लिया होगा कि यह कोई पहाड़ पर बना स्कूल है। यह पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में धारकोट का राजकीय प्राथमिक विद्यालय है। यह स्कूल अपनी पढ़ाई के तौर-तरीकों और दो महिला शिक्षकों के प्रयासों से क्षेत्र में एक आदर्श बन गया है। यहां की प्रधान अध्यापिका रेखा शर्मा और सहायक अध्यापिका सुनीता नेगी के काम को क्षेत्र के लोग काफी सराह रहे हैं।
अब इस स्कूल की चर्चा कोरोना काल में हुए कायाकल्प के लिए हो रही है। इस प्राइमरी स्कूल को बड़े ही खूबसूरत ढंग से कोरोना के बाद यहां आने वाले बच्चों के लिए तैयार किया गया है। यह सब सरकार से मिली वित्तीय मदद, स्थानीय लोगों के सहयोग और स्कूल प्रबंधन समिति के साथ समन्वय से संभव हो सका।
हिल-मेल को यहां की प्रधान अध्यापिका रेखा शर्मा ने बताया कि हमें सरकार से जो पैसा मिला उसका हमने स्कूल का रंगरूप बदलने में सही तरीके से इस्तेमाल किया। ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर को हमने स्कूल की तस्वीरें भेजी, उसके बाद हमें रुपांतरित विद्यालय कायाकल्प योजना के तहत यह पैसा मिला। पौड़ी जिले में तीन स्कूलों को यह वित्तीय मदद मिली। इससे हमनें स्कूल की इमारत की मरम्मत, सौंदर्यीकरण किया। यह काम अभी चल रहा है।
उन्होंने बताया कि स्कूल की परफॉर्मेंस की बदौलत प्राथमिक विद्यालय धारकोट का इस योजना के लिए चयन हुआ। हमें 2019-20 का फंड इस साल जनवरी में मिला। जैसे ही काम शुरू हुआ कोरोना काल हो गया। इसके बावजूद हमने जून में काम किया। मैंने और मेरी सहायक अध्यापिका सुनीता नेगी ने स्कूल में रहकर सारा काम कराया। इसमें हमें विद्यालय प्रबंध समिति अध्यक्ष का भी सहयोग मिला। उन्होंने हमें पूरी आजादी दी ताकि हम स्कूल में बच्चों के लिए एक बेहतर माहौल बना सकें। हमने विद्यालय प्रबंध समिति के सामने पूरी बात रखी कि हमें क्या-क्या करवाना है। हमारे लिए दो लाख 80 हजार रुपये का बजट आया था। हमारे विद्यालय में 30 बच्चे पढ़ते हैं।
उन्होंने बताया कि हमने यहां बच्चों पर ज्यादा फोकस किया है। हम यहां बच्चों को स्कूल के बाद अतिरिक्त क्लास देते रहते हैं। बच्चे शब्दों को कैसे समझ रहे हैं, उन्हें कैसे बना रहे हैं, क्या उन्हें शब्दों को समझने में परेशानी तो नहीं हो रही। बच्चों पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने के सकारात्मक नतीजे भी सामने आए हैं। यहां से एक बच्ची हिमज्योति के लिए चयनित हुई, आज वह वकालत कर रही है। यहां से बच्चे जवाहर नवोदय विद्यालय के लिये चुने गए। दो बच्चे राजीव गांधी स्कूल के लिए चयनित हुए।
क्षेत्र के समाजसेवी बेलम सिंह नेगी ने बताया कि स्कूल ने हाल के समय में बहुत अच्छे नतीजे दिए हैं। यहां के बच्चे नवोदय विद्यालय, नवज्योति, राजीव गांधी स्कूल के लिए चयनित हो रहे हैं। दोनों महिला टीचरों ने बच्चों पर स्कूल के बाद भी ध्यान देना शुरू किया। इससे बच्चों का चौतरफा विकास भी हुआ। यहां के बच्चे खेलकूद में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
प्राथमिक विद्यालय धारकोट, यमकेश्वर। ( कोरोना काल से पहले की फोटो)