‘अजय’ पथ पर बढ़ रहे पहाड़ के योगी बने सुशासन, विकास, सांस्कृतिक-धार्मिक चेतना और राष्ट्रवाद के प्रतीक

‘अजय’ पथ पर बढ़ रहे पहाड़ के योगी बने सुशासन, विकास, सांस्कृतिक-धार्मिक चेतना और राष्ट्रवाद के प्रतीक

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर के पंचूर गांव का एक युवा भारतीय राजनीति में इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लेगा, इसकी कल्पना शायद ही कभी किसी ने की होगी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय फलक पर चमक रहे उस सितारे की तरह हैं, जिसका प्रकाश आने वाले दिनों में और व्यापक होने वाला है। भाजपा की नई पीढ़ी के नेताओं के योगी आदित्यनाथ सबसे बड़े नायक है। योगी को पंसद करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उनके मामले में यह चाहत महज किसी राज्य तक सीमित नहीं है। उनके प्रति आकर्षण का स्वरूप राष्ट्रव्यापी है।

पिछले कुछ वर्षों में हिंदुत्व को लेकर प्रखरता और मुखरता देश-विदेश में देखी गई है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उसके सबसे बड़े चेहरे हैं। दूसरी बार यूपी के सीएम पद की शपथ लेने वाले योगी खुलकर इस मुद्दे पर बोलते हैं। योगी आदित्यनाथ संघ और भाजपा नेतृत्व की सोच को व्यवहारिक बनाने वाले शीर्ष नेता हैं। पहाड़ से निकलकर एक संन्यासी ने भारतीय राजनीति में ऐसी बड़ी लकीर खींच दी है, जो आने वाले समय में और बड़ी होती जाएगी। वह सुशासन, विकास, सांस्कृतिक-धार्मिक चेतना और राष्ट्रवाद के ऐसे प्रतीक बन गए हैं, जो भविष्य के भारत का नेतृत्व करेगा। उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक जनादेश हासिल करके उन्होंने अपने क्षमताओं का लौहा मनवा दिया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगी हैं उपयोगी के नारे को उठाया और उनके सियासी कद का एहसास विरोधियों को कराया।

यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक नया इतिहास लिखा है। कई सारे मिथक तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद भाजपा को यूपी की सत्ता पर लगातार दूसरी बार काबिज कराने का कारनामा कर दिखाया है। भाजपा ने गठबंधन के सहयोगियों के साथ दो तिहाई बहुमत लेकर सत्ता में वापसी की। 37 साल पहले कांग्रेस बहुमत के साथ सत्ता में लौटी थी। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यूपी में ऐसी उपलब्धि डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह और मायावती जैसे दिग्गजों को भी हासिल नहीं हुई। यूपी के राजनीतिक इतिहास के अनुसार, प्रदेश में 1951-52 के बाद से अब तक डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव और मायावती मुख्यमंत्री बने, लेकिन इन्हें यह मौका दो अलग-अलग विधानसभाओं के लिए मिला। करीब ढाई दशक पहले उन्हें उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरक्षपीठ का उत्तराधिकारी बनाया गया। इसके बाद से उनके नाम रिकॉर्ड जुड़ते गए। मसलन 1998 में जब वह पहली बार सांसद चुने गए तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। 42 की उम्र में एक ही क्षेत्र से लगातार 5 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम है। मुख्यमंत्री बनने के पहले सिर्फ 42 वर्ष की आयु में एक ही सीट से लगातार पांच बार चुने जाने वाले वह देश के इकलौते सांसद हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव की दिशा तय करने वाला माना जा रहा था। कई राजनीतिक पंडितों के आंकलनों को गलत साबित करते हुए योगी आदित्यनाथ 37 साल में पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर सत्ता की बागडोर संभाली है। योगी आदित्यनाथ सरकार की वापसी में मुफ्त राशन, कानून व्यवस्था के साथ अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं भी सहायक बनीं। उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में रहने वाले यहां के लोग भी योगी सरकार के कामकाज से संतुष्ट थे।

लोगों की नजर में सुदृढ़ कानून व्यवस्था सरकार की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी, जो पिछली सरकारों में लचर थी। आम तौर पर लोगों का यही कहना था कि योगी सरकार में हर तरह के माफिया का आतंक कम हुआ है। उनकी बुलडोजर बाबा की छवि इसकी तस्दी करती है। राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 15 अगस्त 2021 तक 62423.89 हेक्टेयर जमीन को भूमाफिया से मुक्त कराया गया। 144 नए थानों और 50 पुलिस चौकियों की स्थापना के साथ ही 1.38 लाख पुलिस कर्मियों की नियुक्ति की गई। लखनऊ में पुलिस फोरेंसिक विज्ञान संस्थान की नींव रखी गई, साइबर सेल की स्थापना की गई। इसके अलावा ई-प्रॉक्सीक्यूशन प्रणाली और विधि विज्ञान प्रयोगशाला बनाने जैसे कदमों ने कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।


महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में योगी सरकार ने कुछ ऐसे बुनियादी काम किए, जिन्होंने उनमें आत्मविश्वास जगाया। प्रधानमंत्री आवास योजना में मिले आवासों का पंजीकरण महिला के नाम से किया गया। उज्जवला योजना में गैस चूल्हा-सिलिंडर वितरण, शौचालय निर्माण और तीन तलाक-कानून को यूपी में तन्मयता से लागू किया गया। राज्य सरकार की मुख्यमंत्री सुमंगला योजना, बैंकिंग सखी योजना, मिशन शक्ति, पिंक पेट्रोलिंग, पिंक बस, एंटी रोमियो स्कवाड, कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए मुखबिर योजना के साथ ही मुफ्त राशन वितरण जैसे कदमों ने मोदी और योगी को महिलाओं का मसीहा बना दिया। महिलाओं ने जाति, समुदाय और पार्टी लाइन से हटकर भाजपा को वोट दिया।

योगी आदित्यनाथ ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया और गोरखपुर सदर सीट पर भारी अंतर से जीत हासिल की। इसके साथ ही भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी लगातार जीत के साथ कई अन्य रिकॉर्ड बनाए। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 255 सीटें जीतीं और राज्य में उसके सहयोगियों ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली ‘डबल इंजन’ सरकार ने उत्तर प्रदेश के तेजी से विकास के लिए कई कदम उठाए, जिसमें एक्सप्रेसवे के साथ-साथ रक्षा गलियारा और एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाना शामिल है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चुनावी अभियान के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने योगी आदित्यनाथ के काम की जमकर सराहना की। इसके अलावा उन्होंने – ‘यूपी प्लस योगी बहुत है उपयोगी। (यूपी प्लस योगी बहुत उपयोगी है) का नारा दिया। यह सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हुआ।
योगी आदित्यनाथ ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया और गोरखपुर सदर सीट पर भारी अंतर से जीत हासिल की। इसके साथ ही भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी लगातार जीत के साथ कई अन्य रिकॉर्ड बनाए हैं। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 255 सीटें जीतीं और राज्य में उसके सहयोगियों ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया। अब उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री अपने दूसरे कार्यकाल में राज्य के विकास को और आगे बढ़ाएंगे।

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