सूर्यधार झील आने वाले समय में वन्य जीवन प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी। झील में वोटिंग के साथ साथ बर्ड वाचिंग और ट्रेकिंग का भी आनंद लिया जा सकेगा। भोगपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली इस झील को लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से करीब डेढ़ साल में तैयार किया गया है।
उत्तराखंड में चर्चा का केंद्र बनी सूर्यधार झील को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनता को समर्पित कर दिया है। यह झील सीएम त्रिवेंद्र का ड्रीम प्रोजेक्ट रही है। डोबराचांठी, जानकी सेतु के बाद सूर्यधार झील पर सबसे तेज गति से काम हुआ है। झील को जनता को समर्पित करते हुए सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि इसे नए पर्यटन डेस्टीनेशन के रूप में विकसित करने की योजना है, जिससे यहां पर स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके।
सूर्यधार झील आने वाले समय में वन्य जीवन प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी। झील में वोटिंग के साथ साथ बर्ड वाचिंग और ट्रेकिंग का भी आनंद लिया जा सकेगा। भोगपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली इस झील को लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से करीब डेढ़ साल में तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि इस झील के बनने से करीब तीस हजार की आबादी को सिंचाई और पीने के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ क्षेत्र का विकास भी होगा।50.25 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस झील की क्षमता 77 हजार घन मीटर है। यह झील 550 मीटर लंबी, 28 मीटर चौड़ी एवं 10 मीटर गहरी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने झील पर नौकायन किया एवं मछलियों के बीज डाले। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विकासखंड डोईवाला में सुसवा नदी के दाएं किनारे पर लाल माटी खाले से बडकली पुल तक सुरक्षात्मक कार्य के लिए 2.63 करोड़ की सुरक्षात्मक कार्ययोजना, विकासखंड रायपुर के बांदल नदी पर सरखेत ग्राम की 1.85 करोड़ रुपये की लागत की बाढ़ सुरक्षा योजना एवं डोईवाला विकासखंड के अन्तर्गत सिमलासग्रांट नहर के विस्तारीकरण/ सुरक्षा एवं नवीनीकरण की 2.31 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने संघ से जुड़े समाजसेवी स्व. गजेंद्र दत्त नैथानी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्हीं के नाम पर इस जलाशय का नाम रखा गया है। सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि सूर्याधार क्षेत्र में लोगों को संचार सुविधाओं हेतु जियो का टावर लगाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उत्तराखंड को एक ऐसा प्रोजेक्ट समर्पित किया जा रहा है, जिसके पीछे एक दूरगामी सोच है। इसका प्रयोजन और संदेश बहुत बड़ा है। इस झील को बनाने का उद्देश्य सिर्फ पेयजल एवं सिंचाई ही नहीं है, इसके व्यापक परिणाम आयेंगे। इससे पानी के सोर्स रिचार्ज होंगे, पर्यावरण के लिए बेहतर ईको सिस्टम होगा। राज्य सरकार का प्रयास है कि आने वाले समय में यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से बेहतर डेस्टीनेशन बने। इससे आने वाले समय में इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि झील से 18 गांवों को ग्रैविटी वाटर की उपलब्धता होगी एवं 1247 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। पहले इस क्षेत्र में 534 हेक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई हो पाती थी। इस जलाशय के बनने से क्षेत्र की 30 हजार आबादी की प्रति व्यक्ति की प्रतिदिन 40 लीटर पानी की उपलब्धता से बढ़कर 100 लीटर प्रतिदिन हो जायेगी, अर्थात् प्रतिव्यक्ति को ढाई गुना अधिक पानी की उपलब्धता हो जाएगी। इस सूर्याधार में वाटर स्पोर्ट्स को विकसित करने के प्रयास किए जाएंगे। यहां पर साल में 3-4 दिन के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
यह बहुउद्देशीय झील के तौर पर तैयार की गई है। इससे कई गांवों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा, साथ ही यह देहरादून जिले में पर्यटकों के आकर्षण का नया केंद्र होगी। यहां पर सरकार की योजना नौकायन के साथ ही लोगों को प्रकृति का दीदार कराने व अन्य पर्यटन गतिविधियां संचालित करने की है। इस बहुउद्देशीय योजना के माध्यम से प्रति वर्ष 7 करोड़ रुपये की बिजली की बचत भी होगी। इससे किसानों को बारह महीने पानी मिलेगा। इससे लगभग 18 गांवों को सिंचाई और 19 गांवों को पेयजल मिलेगा जो पूरी तरह से ग्रैविटी आधारित होगी। इस क्षेत्र में लंबे समय से पेयजल और खेतों की सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता न होने की समस्या रही है। क्षेत्रवासियों की इसी दिक्कत को समझते हुए मुख्यमंत्री ने सूर्यधार में झील बनाने का ऐलान किया था।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *