देहरादून जिले में डोईवाला एक ऐसी सीट रही, जिस पर लोगों की दिलचस्पी शुरू से बनी रही। इस सीट से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत विधायक हैं। उनके सीएम रहते डोईवाला में कई ऐसे काम हुए जिन्होंने इस जगह को चर्चा के केंद्र में लाने का काम किया।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का शोर थम गया है। अब 14 फरवरी को उत्तराखंड के मतदाता अपनी नई सरकार का चयन करेंगे। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन डोईवाला से भाजपा प्रत्याशी ब्रज भूषण गैरोला ने जनसंपर्क कर खुद के लिए समर्थन मांगा। भाजपा कार्यालय से शुरू हुए इस जनसंपर्क में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता जुटे। इस जनसंपर्क के जरिये भाजपा ने डोईवाला सीट पर अपनी सियासी पकड़ भी दिखाई। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी माने जाने वाले ब्रज भूषण गैरोला को यहां बड़ी संख्या में महिलाओं का समर्थन मिलता दिख रहा है। इसका एक बड़ा कारण डोईवाला में त्रिवेंद्र सिंह की महिलाओं के बीच लोकप्रियता भी है।
इस जनसंपर्क के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं जुटीं। भाजपा ने प्रचार के अंतिम दिन अपनी सांगठनिक मजबूती दिखाकर बड़ा संदेश दिया है। देहरादून जिले में डोईवाला एक ऐसी सीट रही, जिस पर लोगों की दिलचस्पी शुरू से बनी रही। इस सीट से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत विधायक हैं। उनके सीएम रहते डोईवाला में कई ऐसे काम हुए जिन्होंने इस जगह को चर्चा के केंद्र में लाने का काम किया। ऐसे में जब त्रिवेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव न लड़ने की इच्छा से पार्टी को अवगत करा दिया तो सभी के मन में यह सवाल था कि यहां से उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। इस दौरान लगातार कई नाम चलते रहे। अंत में पार्टी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की पसंद को तरजीह देते हुए ब्रजभूषण गैरोला को प्रत्याशी बनाया।
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हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी बालावाला में ब्रज भूषण गैरोला के समर्थन में बड़ी रैली की थी। त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रदेश के कई दूसरे हिस्सों में प्रचार के साथ-साथ डोईवाला में भी लगातार जनसंपर्क कर रह हैं। यही वजह है कि यह सीट भाजपा के लिए काफी मजबूत बनी हुई है। शनिवार को जनसंपर्क अभियान के दौरान जुटी भीड़ ने भी इस सीट पर भाजपा की सांगठनिक मजबूती को दिखाया है। डोईवाला उन सीटों में है, जहां भाजपा अपनी सरकार के विकास कार्य के नाम पर चुनाव मैदान में उतरी है।
डोईवाला का चुनाव इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि कांग्रेस की ओर से इस सीट पर पहले हां हरक सिंह के लड़ने की अटकलें लगीं। उसके बाद कांग्रेस ने युवा मोहित उनियाल को टिकट दिया, लेकिन नॉमिनेशन से पहले प्रत्याशी बदल दिया। इसके बाद मोहित की जगह गौरव चौधरी को टिकट दिया गया। ऐन वक्त पर प्रत्याशी बदलकर कांग्रेस की बेचैनी भी साफ नजर आई। भाजपा के लिए परेशानी का एक सबब बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरे जितेंद्र नेगी हैं। इस सीट पर राज्य गठन के बाद वर्ष 2002, 2007 और 2017 में भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत विजयी रहे थे। जबकि 2012 में भाजपा के टिकट पर रमेश पोखरियाल निशंक जीते। निशंक के सांसद बनने पर 2014 में उप चुनाव में यहां कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट विजयी हुए।
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