स्वामी वीरेंद्रानंद एशियन सत्कर्मा मिशन के माध्यम से समाज सेवा के नए मापदंड स्थापित किए हैं। धारचूला क्षेत्र में ऐसा कोई गांव नहीं है, जहां उनके मिशन के परोपकार की छाया नहीं पहुंची हो।
एशियन सत्कर्मा मिशन के संस्थापक और भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य स्वामी वीरेंद्रानंद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद डीडीहाट द्वारा मुनस्यारी में आयोजित जिला छात्रा सम्मेलन में सीमांत क्षेत्र की छात्राओं से रूबरू हुए। इस अवसर पर उन्होंने छात्राओं के कहा कि शिक्षा नारी को सशक्त बनाती है और वह देश को सशक्त बनाती है।
इस दौरान स्वामी वीरेंद्रानंद ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज छात्राएं भाग्यशाली हैं, उनके लिए शिक्षा के सभी जरूरी साधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा नारी को सशक्त बनाती है। अब नारी शिक्षा में सशक्त होकर देश को मजबूत बनाने और सुसंस्कार को आगे बढ़ाने का जिम्मा आप लोगों पर है। इस सम्मेलन में छात्राओं को स्वामी वीरेंद्रानंद ने जीवन के 7 संकल्प सूत्र बताए। साथ ही कहा कि यह निश्चित है कि अब भारत विकास की ओर है।
स्वामी वीरेंद्रानंद एशियन सत्कर्मा मिशन के माध्यम से समाज सेवा के नए मापदंड स्थापित किए हैं। धारचूला क्षेत्र में ऐसा कोई गांव नहीं है, जहां उनके मिशन के परोपकार की छाया नहीं पहुंची हो। इससे पहले कोरोना के चलते लौटे उत्तराखंडियों के लिए लंबे समय तक खाने-पीने, रहने और राशन की व्यवस्था की। उन्होंने इस दौरान 20,000 लोगों को राहत पहुंचाई। इसके बाद पिथौरागढ़ में बारिश और भूस्खलन से हुई तबाही के बाद लोगों के बीच सबसे पहले सत्कर्मा मिशन के कार्यकर्ता पहुंचे। खुद स्वामी वीरेंद्रानंद ने कई गांवों का दौरा कर लोगों को ढांढस बंधाया और हरसंभव मदद देने का भरोसा दिया। इस सीमांत क्षेत्र में सामाजिक कार्यक्रमों को लेकर उनका अलग रुख रहा है। वह अक्सर कहते रहे हैं कि समाज को सही दिशा देना बहुत जरूरी है और इसके लिए निरंतर प्रयास किए जाने चाहिए।
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