उत्तराखंड के लोकपर्व ईगास को लेकर चलाई गई राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की मुहिम को लोगों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। उत्तराखंड में 25 नंवबर को ईगास पर्व मनाया जाना है। बड़ी संख्या में लोगों ने इस बार ईगास पर्व अपने गांवों में मनाने
उत्तराखंड के लोकपर्व ईगास को लेकर चलाई गई राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की मुहिम को लोगों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। उत्तराखंड में 25 नंवबर को ईगास पर्व मनाया जाना है। बड़ी संख्या में लोगों ने इस बार ईगास पर्व अपने गांवों में मनाने का फैसला किया है।
एक वीडियो जारी करते हुए अनिल बलूनी ने लोगों से अपील की कि वो अपने परिजनों के साथ मिलकर ईगास का पर्व मनाएं, यह हमारी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है।
अनिल बलूनी की इस अपील को सोशल मीडिया पर काफी समर्थन मिला है। उनके ईगास अपने गांव में जाकर मनाने की अनुरोध को लोग लगातार शेयर कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार के कई मंत्रियों और भाजपा के कई नेताओं ने गांव में ईगास में शामिल होने की बात कही है।
ईगास के दिन भैलो खेलने की परंपरा है। इस दिन का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस दिन वह एक साथ भैलो खेलकर या नृत्य कर अपनी खुशी एक दूसरे के साथ बांटते हैं। भैलो का मतलब एक रस्सी से है, जो पेड़ों की छाल से बनी होती है। लोग रस्सी के दोनों कोनों में आग लगा देते हैं और फिर रस्सी को घुमाते हुए भैलो खेलते हैं। यह परंपरा उत्तराखंड के हर कोने में सदियों से चली आ रही है। इसके अलावा लोग समूहों में एकत्रित होकर पारंपरिक गीतों पर नृत्य करते हैं, जिसकी छटा देखते ही बनती है।
पिछले साल पिछले साल अनिल बलूनी ने लोगों से अपील की थी कि वो ईगास पर्व को अपने घर जाकर मनाएं। खुद बलूनी भी अपने घर जाकर ईगास पर्व मनाना चाहते थे, मगर स्वास्थ्य खराब होने की वजह से वह अपने गांव नहीं आ पाए थे। तब भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा और भाजपा के कई नेताओं ने बलूनी के कोट ब्लाक स्थित गांव नकोट में ईगास मनाई थी।