‘चुप्पेचाप आ रही आप’, गंगोत्री विधानसभा से चुनावी समर में उतरे कर्नल कोठियाल का दावा जमीन पर कितना मजबूत, देखिए ELECTION ROUNDUP

‘चुप्पेचाप आ रही आप’, गंगोत्री विधानसभा से चुनावी समर में उतरे कर्नल कोठियाल का दावा जमीन पर कितना मजबूत, देखिए ELECTION ROUNDUP

उत्तराखंड में अभी तक रवायत यही रही है कि जनता हर बार सत्ताधारी दल को बदल देती है। अभी तक यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहा है। लेकिन क्या 2022 के चुनावी महासमर में भी ऐसा होगा। क्या उत्तराखंड के सियासी संग्राम में पहली बार खम ठोक रही आम आदमी पार्टी कुछ ‘अप्रत्याशित’ जा रही है। क्या आम आदमी के सीएम पद के प्रत्याशी कर्नल अजय कोठियाल को लेकर ‘अंडर करंट’ भाजपा और कांग्रेस को बड़ा झटका दे सकता है। आखिर इस बार मतदाता साइलेंट क्यों है। क्या यही चुप्पा वोटर उत्तराखंड का सियासी भविष्य बदलने जा रहा है। इसी की पड़ताल करने के लिए हिल-मेल की टीम उत्तरकाशी की चर्चित विधानसभा सीट गंगोत्री पहुंची।

गंगोत्री सीट के बारे में कहा जाता है कि जो गंगोत्री जीता, उत्तराखंड की सत्ता उसकी। शायद यही वजह है कि आम आदमी पार्टी ने यहां अपने मुख्यमंत्री पद के चेहरे कर्नल अजय कोठियाल को मैदान में उतारा है। हालांकि कर्नल कोठियाल ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि वह सेना में सेवा के दौरान पांच साल तक उत्तरकाशी में स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रिंसिपल रहे। यह उनकी कर्मभूमि रही है। यहीं से उन्हें केदारनाथ आपदा के बाद केदारघाटी में पुनर्निर्माण कार्य करने का मौका मिला। यहीं से उन्होंने यूथ फाउंडेशन जैसे संगठन की नींव रखी। आज यह संगठन किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उत्तराखंड का शायद ही कोई ऐसा कोना होगा, जहां यूथ फाउंडेशन से ट्रेंनिंग लेकर कोई युवा भारतीय सेना का हिस्सा नहीं बना।

गंगोत्री सीट पर अभी तक एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस का प्रत्याशी जीतता रहा है। 2017 के विधायक गोपाल रावत की असमय मृत्यु के बाद भाजपा ने यहां से सुरेश चौहान को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की ओर से विजयपाल सिंह सजवाण चुनावी समर में हैं। आम आदमी पार्टी के नेता कर्नल कोठियाल यहां मजबूती से दोनों मुख्य दलों को चुनौती दे रहे हैं। उनका दावा है कि उत्तरकाशी में बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा उनके साथ आया है। उनका यह दावा जमीन पर भी मजबूत दिखता है। महिलाओं और युवाओं में कर्नल कोठियाल को लेकर एक स्वीकार्यता नजर आती है। कर्नल कोठियाल के चुनाव कैंपेन को कवर करने के दौरान कई गांवों में उनके लिए जबरदस्त उत्साह दिखा। इसका एक बड़ा कारण उनका यहां के लोगों से परिचित होना है। यूथ फाउंडेशन से निकलकर सेना में शामिल हुए युवाओं के परिजन उनके सबसे बड़े समर्थन नजर आते हैं। यहां पूर्व सैनिकों और युवाओं में भी कर्नल कोठियाल की अच्छी पैठ दिखती है।

उत्तराकाशी में फौजी स्टाइल में उन्होंने चुनावी वॉर रूम तैयार किया है। यहां उनकी करीब 100 लोगों की टीम दिन रात लोगों से संपर्क बना रही है। सुबह नाश्ते के बाद कार्यकर्ताओं की ब्रीफिंग और टॉस्क देना कर्नल कोठियाल का रुटीन है। इसके बाद शुरू होता है फौजी स्टाइल में एक निर्धारित रूट पर पूरी प्लानिंग के साथ अमल और जनसंपर्क। हिल-मेल ने यहां कुंसी, मांगलीसेर, जसपुर, सिंगोट, पाव, डूंडा बीरपुर समेत कई गांवों में उनके जनसंपर्क को कवर किया। बड़ी सभाओं की जगह कर्नल कोठियाल छोटे-छोटे समूहों से चर्चा करते हैं। पूरा फोकस रोजगार और महिलाओं की स्थिति पर होता है।

कर्नल कोठियाल ने साल 2013 में यूथ फाउंडेशन की स्थापना की थी। उनका कहना है कि यूथ फाउंडेशन से ट्रेनिंग लेकर उत्तराखंड के करीब 12 हजार युवाओं ने गढ़वाल, कुमाऊं रेजीमेंट और दूसरे अर्धसैनिक बलों में नियुक्ति पाई है। यूथ फाउंडेशन के सक्सेस स्टोरी का फायदा उन्हें जनसंपर्क के दौरान होता दिख भी रही है। जसपुर गांव में हम ऐसे ही एक परिवार से मिले, जिनका बेटा यूथ फाउंडेशन से ट्रेनिंग लेकर साल 2016 में सेना में भर्ती हुआ। वह इस समय लद्दाख में तैनात है। कर्नल कोठियाल के जसपुर गांव पहुंचने पर इस परिवार ने बड़े आदर भाव के साथ उनका आभार व्यक्त किया।

इस दौरान हम पाव गांव भी पहुंचे। करीब 400 की आबादी वाले इस गांव में लगभग हर घर में किसी न किसी दल के झंडे नजर आए। यहां कर्नल कोठियाल ने सबसे पहले नरसिंह मंदिर के दर्शन किए और फिर लोगों के बीच पहुंचे। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से इतना करीब होने के बावजूद इस पूरे इलाके में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है। इसका सबसे बड़ा नुकसान इमरजेंसी के दौरान होता है। यहां हम एक ऐसे परिवार से मिले, जहां दो दिन पहले 25 साल की एक महिला ने असमय प्रसव के दौरान दम तोड़ दिया। मोबाइल कनेक्टिविटी न होने को लेकर स्थानीय लोगों में भी भारी रोष नजर आता है। उनका कहना है कि मोबाइल इस समय की सबसे अहम जरूरत है। लेकिन नेटवर्क न होने के कारण इमरजेंसी में कई तरह की दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।

जनसंपर्क के इस क्रम में तीन बज गए थे। वक्त लंच का था और वह हुआ भी फौजी स्टाइल में। अचानक सड़क पर कर्नल कोठियाल का काफिला रुका और उनकी टीम ने तुरंत मोबाइल लंच लगाना शुरू कर दिया। पूरी टीम ने हल्की बूंदाबांदी के बीच पहाड़ी इलाके में खाने का लुत्फ उठाया। कर्नल कोठियाल का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान उनकी टीम इसी तरह फौजी स्टाइल में वर्किंग लंच करती है।

कर्नल कोठियाल का दावा है कि नए सर्वेक्षण बता रहे हैं कि कई सीटों पर आम आदमी पार्टी को दोनों मुख्य दलों पर अच्छी खासी बढ़त हासिल है। मतदान तक यह बढ़त एक डिसाइसिव मेंडेट में बदल जाएगी। उनकी पार्टी को सही टाइम पर मोमेंटम मिल रहा है। कर्नल कोठियाल का कहना है कि उनकी टीम लंबे समय से गंगोत्री में कई तरह के कैंपेन चला रही है। उसका सारा डेटा उनके पास उपलब्ध है। जब उनकी टीम ने इन लोगों संपर्क किया तो करीब 17 हजार लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट देने की बात कही। यहां पांच हजार लोगों ने पार्टी की सदस्यता ली है। उसमें बड़ी संख्या में महिलाएं हैं। कर्नल कोठियाल का कहना है कि आम आदमी पार्टी के यहां मजबूती से लड़ने से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही हिली हुई हैं। गंगोत्री विधानसभा में कई जगह यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि कर्नल अजय कोठियाल चुनाव ही नहीं लड़ रहे हैं। वह तो दूसरी जगह से चुनाव लड़ रहे हैं। हाल ही में भाजपा और कांग्रेस के बीच हिंदू-मुस्लिम को लेकर तीखी बयानबाजी पर वह कहते हैं कि भाजपा की आईटी सेल का काम ही सामुदायिक विभेद को बढ़ाना है। मैं तो सेना से आया हूं, जहां सर्वधर्म स्थल होता है। जहां तक हरीश रावत की बात है कि तो उन्होंने सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए कुछ ऐसे काम किए, जिन्हें हाईलाइट कर भाजपा उन्हें निशाना बना रही है। भाजपा और कांग्रेस विकास की राजनीति को छोड़कर, एक दूसरे को नीचा दिखाने की राजनीति पर आ गए हैं। भाजपा के तीन मुख्यमंत्री बनाने पर भी कर्नल कोठियाल निशाना साधते हैं। वह कहते हैं, भाजपा का तीन सीएम बदलना दर्शाता है कि इफेक्टिव लीडरशिप नहीं है। ऐसे में कोई भी सरकार अपनी नीतियों को कैसे आगे बढ़ा सकती है।

चुनाव प्रचार को लेकर प्लानिंग के साथ बनाई रणनीति कर्नल कोठियाल को गंगोत्री सीट पर मुकाबले में मजबूत दिखाती है। हालांकि मतदाता अंत में किसे अपनी विधानसभा की बागडोर सौंपता है, इसका पता 10 मार्च को ही पता चल पाएगा।

 

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