कार्बेट पार्क में गश्त करने वाले 17 हाथियों के महावतों के घर आने-जाने और परिजनों से मिलने पर तत्काल रोक लगा दी गई है। पार्क प्रशासन को कोशिश है कि कोरोना वायरस किसी भी तरह से जंगल में न पहुंचने पाए, क्योंकि इससे पूरे पार्क में संक्रमण फैल सकता है।
अमेरिका के न्यूयार्क में एक बाघिन को कोरोना संक्रमण होने के बाद दुनिया भर के वन्यजीव पार्कों में हड़कंप मचा हुआ है। भारत में वन्यजीव पार्कों में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क में जहां रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है, वहीं कॉर्बेट रिजर्व पार्क की बिंजरानी और कालागढ़ रेंज में दो आइसोलेशन वार्ड बना दिए गए हैं। इन जगहों पर पार्क प्रशासन ने पांच क्वारेंटाइन सेंटर भी बनाए हैं। ये दोनों ही पार्क घनी आबादी वाले इलाकों से सटे हैं, लिहाजा प्रशासन अलर्ट हो गया है।
राजाजी नेशनल पार्क में आबादी क्षेत्र से लगी 30 किलोमीटर की सीमा को अति संवेदनशील घोषित किया गया है। पार्क प्रशासन नियमित गश्त से यह सुनिश्चित कर रहा है कि आबादी क्षेत्र से लगे किसी भी गांव का कोई भी व्यक्ति, वन गुर्जर, तस्कर, लकड़ी बीनने वाली महिलाएं आदि पार्क में न घुस सके। अधिकारियों के मुताबिक, धोलखंड रेंज के बंदरजूट क्षेत्र में करीब 9.7 किलोमीटर सीमा, चीलावाली रेंज के बनियावाला क्षेत्र में तीन किलोमीटर, बेरीवाड़ा रेंज में टीरा, सैंडली क्षेत्र की 3.5 किलोमीटर सीमा, हरिद्वार रेंज के छिड़क, खड़खड़ी क्षेत्र में दो किलोमीटर सीमा, मोतीचूर रेंज के रायवाला, नेपाली फार्म से लगी 6 किलोमीटर, कांसरो रेंज के झबरावाला, बुग्गावाला क्षेत्र में छह किलोमीटर सीमा को अति संवेदनशील घोषित किया गया है। दरअसल, इन अति संवेदनशील क्षेत्रों से कई ऐसे गांव की सीमा लगी है, जिनमें जमातियों के आने जाने की संभावना है। ऐसे में पार्क प्रशासन द्वारा फ्लैग मार्च कर सतर्कता भी बरती जा रही है।
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कार्बेट पार्क में गश्त करने वाले 17 हाथियों के महावतों के घर आने-जाने और परिजनों से मिलने पर तत्काल रोक लगा दी गई है। यही नहीं हाथियों के लिए बाहर से गन्ने का आपूर्ति भी रोक दी गई है। पार्क प्रशासन को कोशिश है कि कोरोना वायरस किसी भी तरह से जंगल में न पहुंचने पाए, क्योंकि इससे पूरे पार्क में संक्रमण फैल सकता है। ऐहतियात के तौर पर कालागढ़, ढिकाला, बिजरानी, झिरना, लालढांग व हल्दूपड़ाव में हाथियों के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। हाथियों के कैंप को पूरी तरह सैनेटाइज किया गया है।
उधर, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की एडवाइजरी में स्पष्ट किया गया है कि देश भर में टाइगर और लेपर्ड को रेस्क्यू करने वाली टीमें एवं मृतक टाइगर तेंदुआ की पोस्टमार्टम करने वाली टीम सतर्क रहें। विश्व में बाघिन में कोरोना संक्रमण का पहला केस सामने आया है। इस घटना को ध्यान में रखते हुए देश भर के कोई भी वन कर्मचारी एवं वन्यजीव चिकित्सक खुद को स्वस्थ रखने के लिए कोरोना की कभी भी अपनी जांच करा सकते हैं।
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