ई-रैबार : सीएम के सलाहकार डॉ. के एस पंवार ने बताया, लौटे प्रवासियों के लिए क्या है प्लान

ई-रैबार : सीएम के सलाहकार डॉ. के एस पंवार ने बताया, लौटे प्रवासियों के लिए क्या है प्लान

‘ई-रैबार: उत्तराखंड के कल की बात, दिग्गजों के साथ’ हिल मेल के इस कार्यक्रम में उत्तराखंड की जानीमानी और अपने क्षेत्र में मुकाम हासिल कर चुकी हस्तियां शामिल होकर लॉकडाउन के बाद प्रदेश को आगे ले जाने पर बात कर रही हैं। 27 अप्रैल को लाइव डिबेट में शामिल हुए सीएम के औद्योगिक सलाहकार डॉ. केएस पंवार ने क्या कहा, आइए जानते हैं…

उत्तराखंड में लॉकडाउन खत्म के बाद के हालात को लेकर चर्चा के लिए ‘हिल मेल’ ने ई-रैबार शुरू किया है। पहले एपिसोड में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के औद्योगिक सलाहकार डा. केएस पंवार लाइव जुड़े। उन्होंने बताया कि किस तरह उत्तराखंड के प्रवासी कामगारों को किस तरह दूसरे शहरों में मदद पहुंचाई जा रही है और राज्य लौटने वाले लोगों को किस तरह से काम देने के लिए सरकार प्लान बना रही है।

प्रवासियों के आने पर क्या है सरकार का प्लान

डा. पंवार ने कहा कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस योजना पर  काम कर रहे हैं कि बाहर से आए कितने लोग यहीं रुकना चाह रहे हैं और कितने वापस जाना चाहते हैं। हम दो तरह का प्लान तैयार कर रहे हैं। रिवर्स पलायन पर पूरा ध्यान है। उत्तराखंड में लॉकडाउन खत्म होने के बाद कृषि, बागवानी, पर्यटन समेत हर क्षेत्र के लिहाज से प्लानिंग की जा रही है।

उन्होंने बताया कि सरकार यह तैयारी कर रही है कि जो व्यक्ति बाहर से आया है और जिस फील्ड का वह एक्सपर्ट है, जिसमें वह काम करना चाहता है उसे वह काम उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए उन्हें कुछ रियायतें भी मिलेंगी। पंवार ने कहा कि सरकार भी चाहती है कि छोटे या बड़े स्केल पर काम करने के लिए लोग आएं और यहीं कुछ करें। कृषि, भेड़पालन, डेयरी जैसे बड़े क्षेत्र हैं जिसमें काफी कुछ किया जा सकता है।

लाइव चर्चा के दौरान  डा. के एस पंवार, राजेंद्र सिंह, अनुराग पुनेठा, और काव्य।

मुंबई में यूं कर रहे उत्तराखंडियों की मदद

डॉ. पवार ने बताया कि मुंबई में 5 लोगों की टीम बनाई गई है जो उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले लोगों के लिए काम कर रही है। ऐसे लोगों को राशन-पानी आदि की दिक्कत न हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। होटल या अन्य संस्थानों ने अगर उन्हें निकाला था तो उनसे बात कर अनुरोध किया गया है कि लॉकडाउन खत्म होने तक उन्हें काम पर रखा जाए। उन्होंने आगे कहा कि अब सबके अंदर डर बैठ गया है कि महानगरों में यह कभी भी हो सकता है और अपना घर तो अपना ही होता है। गांव की तरफ रुझान बढ़ा है। सरकार की तरफ से सर्वे किए जा रहे हैं।

 

डा. पंवार ने बताया कि व्यक्ति के साथ उद्योग जगत से भी बात की जा रही है कि लोगों को कैसे उनसे जोड़ा जाए। लॉकडाउन पीरियड तक फोन और वीडियो कॉल से बात हो रही है। चीन से कुछ कंपनियां शिफ्ट होने के बारे में सोच रही हैं। ऐसे में उनसे भी बात की जा रही है कि वे उत्तराखंड में आएं। जापान समेत कई देशों की कंपनियों को हम उत्तराखंड में निवेश के लिए आकर्षित कर रहे हैं। सरकार की तरफ कोशिश की जा रही है।

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उत्तराखंड की अपनी ब्रांडिंग की बात

आरजे काव्य ने उत्तराखंड की अपनी ब्रांडिग पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि हां, उत्तराखंड के सेब ब्रांडिंग के कारण ही हिमाचल के नाम से बेचे जाते हैं। ऐसे में हमें अपने राज्य की ब्रांडिग करने की जरूरत है। इस दिशा में ऊखीमठ में 5 साल पहले 6000 सेब के पेड़ लगाए थे। इस साल उत्तराखंड एपल्स के नाम से पेटियां बनवा रखी हैं। सब ठीक रहा तो हम उत्तराखंड एपल्स के नाम से उसे बाजार में उतारने की तैयारी में है।

डा. पंवार ने कहा कि इंडस्ट्री के लोग आएंगे तो बड़ी कंपनी पहाड़ में लगना मुश्किल है लेकिन हमारी कोशिश है कि छोटी छोटी यूनिट लगे और कृषि उत्पादों पर विशेष फोकस किया जाए।

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