ऐसे समय में जब कोरोना संकट से लॉकडाउन के बाद उत्तराखंड के लोग बड़ी संख्या में लौटे हैं तो उन्हें रोजगार कैसे दिया जा सकता है। क्या चुनौतियां हैं और संभावनाएं क्या बन रही हैं। क्या सरकार ने इस दिशा में कोई पहल शुरू की है? इन्हीं सब सवालों पर ई-रैबार में हुई जानकारीपरक चर्चा…
हिल मेल की पहल ‘ई-रैबार’ में 6 मई 2020 को रिवर्स पलायन पर लाइव चर्चा हुई। दरअसल, कोरोना संकट में लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी अपने राज्य में लौटे (reverse migration) हैं और यह सिलसिला आगे भी जारी है। समझा जा रहा है इसमें से बड़ी आबादी प्रदेश में ही रहने वाली है। ऐसे में रिवर्स पलायन, आर्थिक परिदृश्य और रोजगार की संभावनाओं को समझने के लिए हमने मुख्यमंत्री उत्तराखंड के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट, उत्तराखंड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी और बिजनेस लीडर एवं प्रोफेशनल मेंटर मुकुल अग्रवाल के साथ हर पहलू को समझने की कोशिश की। शो में मॉडरेटर की भूमिका में थे जानेमाने वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा।
चैरिटी नहीं अवसर देना होगा…
बिजनेस लीडर एवं प्रोफेशनल मेंटर मुकुल अग्रवाल ने कहा कि आईटी सेक्टर भी कोविड-19 से प्रभावित हुई है। लॉकडाउन के दौरान बिजनस बंद हैं, कुछ की नौकरियां चली गईं, कुछ को सैलरी नहीं मिली, हजारों की संख्या में स्किल्ड और सेमी-स्किल्ड वर्कफोर्स उत्तराखंड में वापस आ रही है।
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अब हमारे सामने चुनौती यह है कि हम पलायन रोकने की बातें करते हैं तो कैसे इस रिवर्स पलायन को अवसर में तब्दील किया जाए। कैश का संकट पैदा हो गया है। फंडिंग घटेगी और अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। कंपनियों में अब भी यह संदेह है कि काम फिर से शुरू हो भी गया तो कहीं यह फिर से शुरू न हो जाए। बीमारी लॉकडाउन खुलने के बाद क्या फिर से बढ़ेगी। मुकुल अग्रवाल ने कहा कि आईटी इंडस्ट्री पर कई कंपनियों की निर्भरता है और जब वे प्रभावित हो रही हैं तो उतने ही गंभीर तरीके से यह क्षेत्र भी प्रभावित होगा। उन्होंने वर्कफोर्स को लेकर कहा कि उनके लिए चैरिटी नहीं अवसर उपलब्ध कराना होगा।
काफी अनुभवी लोग प्रदेश में लौटे हैं : एसएस नेगी
उत्तराखंड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने कहा कि उत्तराखंड लौटे लोग काफी अनुभवी हैं। मेरी करीब 200 लोगों से बात की है। हमारे राज्य में बहुत बड़ा मानव संसाधन आया, हम उसी हिसाब से अब आगे की योजना पर काम कर रहे हैं। 80 प्रतिशत लोग पर्वतीय जिलों में हैं। उन्होंने कहा कि लौटने वाले हर शख्स की मैपिंग करनी होगी।
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नेगी ने आगे कहा कि सरकार की मौजूदा योजनाओं में ही काफी संभावनाएं (employment in uttarakhand) हैं। बैंक काफी लोन दे सकते हैं। खेती के साथ मनरेगा में भी काफी फंड आया है। उन्होंने कहा कि प्रवासी अब भी आगे को लेकर स्पष्ट नहीं हैं कि वे यहां रुकेंगे या जो अभी उनका नियोक्ता है, वह आगे उन्हें वापस काम कर रखेगा। उन्होंने कहा कि इसको लेकर मीटिंग शुरू हो गई है। लोगों की सोशल इकोनॉमी को सुधारने के प्रयास तेज हो गए हैं।
लोगों को माइंडसेट बदलने की जरूरत
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट ने बताया कि प्रदेश के लोगों को अपना माइंडसेट चेंज करने की जरूरत है। हम हमेशा जॉब की तरफ भागते हैं। एक दिन पहले ही सरकार ने कृषि आधारित उद्योगों की समीक्षा के लिए समिति गठित की है। इस समय फोकस इस बात पर होना चाहिए कि स्किल्ड और अनस्किल्ड लोग वापस आए हैं और वे होटल, पर्यटन, सेवा क्षेत्र से ही ज्यादातर वापस आए हैं और इन्हें इसी क्षेत्र में जॉब देनी होगी। शॉर्ट टर्म के लिए इन्हें रोजगार क्या दिया जा सकता है, इस पर सोचना होगा।
पूरी चर्चा देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें….
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