पिरूल को आग के लिए जिम्मेदार न ठहराएं, लॉकडाउन में कुछ आकर्षक बनाएं; बड़ी आय होगी

पिरूल को आग के लिए जिम्मेदार न ठहराएं, लॉकडाउन में कुछ आकर्षक बनाएं; बड़ी आय होगी

अगर कुछ करने का जुनून हो तो आपकी उम्मीदों को न सिर्फ पंख लगते हैं बल्कि आप जीवन में सब कुछ पा भी सकते हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के द्वाराघाट की रहने वाली मंजू की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। पढ़ाई करते उन्हें पिरूल से उत्पाद बनाने का शौक लगा जो आज उन्हें अच्छी आमदनी भी करा रहा है।

पहाड़ के लोग पिरूल के बारे में भली-भांति से जानते हैं। पिरूल जिसे पहाड़ों में आग लगने की घटनाओं की मुख्य वजह माना जाता है। वही पिरूल आय का एक बड़ा जरिया भी बन सकता है, अगर उस पर काम किया जाए। एक तरफ राज्य सरकार  पिरूल से बिजली बनाने की योजना पर काम कर रही है तो दूसरी तरफ मंजू साह उसी पिरूल से आकर्षक चीजें बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं। जी हां, द्वाराहाट के हॉट गांव की रहने वाली मंजू लॉकडाउन के दौरान पिरूल के उत्पाद तैयार कर रही हैं।

हिल-मेल से बातचीत में उन्होंने बताया कि पिरूल के एक उत्पाद से कम से कम 100 रुपये से लेकर 500-800 रुपये तक की कमाई हो जाती है। पेन रखने का स्टैंड हो या डोरमैट या ऐसी ढेरों चीजें, मंजू इन्हें आकर्षक बना देती हैं। मंजू राजकीय इंटर कॉलेज ताड़ीखेत में प्रयोगशाला सहायक हैं। इस कारण उन्हें अपने इस हुनर के लिए समय कम मिल पाता है। इसके लिए वह अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर रही हैं, जिससे एक महिला समूह शुरू कर सकें।

 

पहाड़ में चीड़ बहुतायत पाया जाता है, चीड़ के पत्तों को ही पिरुल कहा जाता है। मंजू ने बताया कि कोलकाता में आयोजित इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2019 में उन्हें बेस्ट अपकमिंग आर्टिस्ट का खिताब मिल चुका है। वह पिरूल से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को बचाने के अभियान में लगी हुई हैं। उन्होंने बताया कि उनसे कई और महिलाएं सीखने आती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं चाहें तो बिना किसी खर्च के अपने इस हुनर से अच्छी कमाई कर सकती हैं।

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