केदारनाथ आपदा को भले ही 7 साल बीत गए हों पर प्रदेश के लोगों के जेहन में वे खौफनाक तस्वीरें अब भी ताजा हैं। ऐसे हजारों लोग भी उस दिन को याद कर सिहर उठते हैं, जिन्होंने अपनों को उस आपदा में खो दिया था या जिनके अपनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।
उत्तराखंड में साल 2013 में आई भीषणा आपदा में 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। बड़ी संख्या उन लोगों की भी है, जिनके बारे में आज तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई। इस बीच, लापता लोगों के अवशेष की तलाश के लिए चार दिनों का एक अभियान चलाया गया है। केदारनाथ आपदा में लापता ऐसे चार लोगों के नर कंकाल भी मिले हैं।
डीएनए सैंपलिंग लेने के बाद सोन नदी के संगम पर विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया गया। आपको बता दें कि 2013 के जून महीने में उत्तर भारत में भारी बारिश हुई थी। 24 जून को केदारनाथ में भारी तबाही आई। सैकड़ों गांव बाढ़ में जलमग्न हो गए। मंदिर और आसपास के इलाके में मलबा और कीचड़ आ गया था।
पढ़ें- अमरनाथ गुफा की तरह उत्तराखंड में भी प्रकट होते हैं ‘बाबा बर्फानी’
आपदा में लापता लोगों के मृत शरीर, नर कंकाल का पता लगाने के लिए 16 सितंबर से 10 टीमों ने अभियान चलाया। ये सभी टीमें अलग-अलग मार्गों पर रवाना हुईं। चार दिन की खोजबीन में एक टीम ने गोमुखड़ा से नीचे 4 कंकाल बरामद किए।
पढ़ें- दिल्ली के स्कूलों को टक्कर दे रहा उत्तराखंड के दुर्गम इलाके चोपता का यह सरकारी स्कूल
फिलहाल सभी टीमें वापस लौट गई हैं और इस अभियान का समापन हो गया है। बताया जाता है कि आपदा में करीब 3900 लोग ऐसे थे, जिनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। अब तक कुल 699 कंकाल बरामद किए गए थे। हाई कोर्ट के आदेश पर 3200 अन्य लापता लोगों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए यह अभियान चलाया गया।
1 comment
1 Comment
ओवैसी के शहर हैदराबाद में उत्तराखंडी बनवा रहे अपने बदरीनाथ का मंदिर - Hill-Mail | हिल-मेल
September 21, 2020, 1:55 pm[…] […]
REPLY