कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में आ रहे मामले चिंतित कर रहे हैं। महाराष्ट्र, दिल्ली समेत कई राज्यों में पाबंदियां लगाई जाने लगी हैं। इधर उत्तराखंड में स्कूल खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश में अब भी 90 से 100 मामले आ रहे हैं।
पिछला एक साल कोरोना के संक्रमण के चलते मुश्किलों भरा रहा। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान छोटे-छोटे बच्चों का हुआ। जानलेवा वायरस से बचाने के लिए बच्चों को घर की चारदीवारी में सीमित कर दिया गया। स्टडी फ्रॉम होम कल्चर शुरू हुआ। हालांकि अब स्कूलों की घंटी बजने वाली है। 9वीं कक्षा से ऊपर के छात्रों के स्कूल तो खुल गए हैं, अब उत्तराखंड में एक से पांचवीं के बच्चों के भी स्कूल खुलने वाले हैं।
हालांकि यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब देश के कई राज्यों में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं। ऐसे में कामकाज भले शुरू हो गए हों, बाजारों में भीड़भाड़ हो पर लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में कार्यालय हों या स्कूल, कोविड प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य हो जाता है।
उत्तराखंड की बात करें तो शैक्षिक सत्र इस साल बदली परिस्थितियों में 1 अप्रैल के बजाए 15 अप्रैल से शुरू हो सकता है। इसके तहत एक से पांच तक की कक्षाएं शुरू हो जाएंगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षा सचिव और निदेशक को इस बाबत प्रस्ताव बनाने के निर्देश दे दिए हैं।
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यह पहले से ही साफ है कि छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के बाद अगली कक्षाओं में प्रमोट किया जा सकता है। शिक्षा मंत्री का कहना है कि कोरोना का खतरा धीरे-धीरे सामान्य होने लगा है। ऐसे में शैक्षिक सत्र फिर से शुरू किया जा सकता है।
कोरोना की वजह से स्कूल मार्च 2020 में बंद कर दिए गए थे। नवंबर 2020 में 10वीं व 12वीं कक्षाओं को खोला गया। इसके बाद 8 फरवरी से छठी से 11वीं तक की कक्षाएं भी शुरू कर दी गईं। सरकार का मानना है कि अब पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं भी शुरू कर दी जानी चाहिए।
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