उत्तराखंड के चारों धामों के कपाट खुलने की तारीख नजदीक आ गई है। इसी महीने में 14 से 18 मई तक कपाट खुलेंगे। इस दौरान पूजा समय पर होगी लेकिन आम श्रद्धालुओं के लिए चार धाम यात्रा स्थगित रहेगी। उत्तराखंड में रोजाना 5 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं। ऐसे में सरकार संक्रमण को रोकने के लिए बड़े फैसले ले रही है।
उत्तराखंड के चारों देवस्थान परंपरागत तरीके से अपनी नियत तिथि और समय पर खोले जाएंगे। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए कई नियम बनाए गए हैं। जी हां, चारधाम में पूजा को लेकर देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने गाइडलाइंस जारी की है। बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन की ओर से जारी आदेश के मुताबिक कोविड-19 की दूसरी लहर के संक्रमण को देखते हुए लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चार धाम यात्रा आम श्रद्धालुओं के लिए अग्रिम आदेशों तक स्थगित की जाती है।
आदेश में यह साफ किया गया है कि चारों देवस्थान पूर्व परंपरानुसार निर्धारित तिथि एवं समय पर खोले जाएंगे। पूजा सांकेतिक रूप से जारी रहेगी।
पहले जानिए कपाट खुलने की तारीख
- यमुनोत्री- 14 मई दोपहर 12.15 बजे
- गंगोत्री- 15 मई सुबह 7.31 बजे
- केदारनाथ- 17 मई सुबह 5 बजे
- बदरीनाथ- 18 मई सुबह 4.15 बजे
अब जानिए नई गाइडलाइंस
– कपाट खुलने के बाद देवस्थान आम तौर पर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक खुलेंगे।
– जिन लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखेगा, केवल उन्हें ही देवस्थान परिसर में प्रवेश की अनुमति होगी।
– द्वार पर हाथों के लिए एल्कोहल युक्त सैनेटाइजर का प्रयोग किया जाएगा। थर्मल स्क्रीनिंग मशीन से भी जांच की जाएगी।
– सभी प्रवेश करने वाले लोगों को मास्क का प्रयोग करना अनिवार्य होगा।
– जूते-चप्पलों को निर्धारित स्थान पर ही रखना होगा।
– देवस्थानम परिसर के अंदर एवं बाहर सोशल डिस्टेसिंग का कड़ाई से पालन करना अनिवार्य होगा।
– देवस्थानम् गर्भ गृह में केवल रावल, पुजारी एवं संबंधितों के ही प्रवेश की अनुमति होगी।
– लाइन में लगने की स्थिति में लोगों को एक दूसरे से कम से कम 6 फीट की दूर रखनी होगी।
– बैठने के स्थानों को भी सोशल डिस्टेंसिंग के मानक अनुसार व्यवस्थित किया जाना आवश्यक होगा।
– मूर्तियों, घंटियों, प्रतिरूपों, ग्रंथों/पुस्तकों आदि को स्पर्श करने की अनुमति नहीं होगी।
– देवस्थानम् परिसर में किसी भी प्रकार का प्रसाद वितरण, टीका लगाने आदि की अनुमति नहीं होगी।
– भोग आदि वितरण के समय शारीरिक दूरी के मानकों का अनुपालन करना अनिवार्य होगा।
– देवस्थान के अंदर परिसर की लगातार सफाई एवं सैनेटाइज करना आवश्यक होगा।
– परिसर में निश्चित समय अंतराल पर फर्श की सफाई करनी होगी।
– मंदिर के अंदर एक ही मैट, दरी, चादर के प्रयोग से पूर्णतः बचना होगा।
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