कपकोट के तहत आने वाले सूपी गांव में एक सात 27 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद इस गांव को मारक्रो कंटेनमेंट जोन में तब्दील कर दिया गया था। इसके बाद जीएस मर्तोलिया के नेतृत्व में युवाओं ने यहां के लोगों को राशन, पानी, दवाइयां और मास्क आदि मुहैया कराए। उनकी टीम ने यहां पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों के भोजन की भी व्यवस्था की।
लगभग 37 साल की पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद गणेश सिंह मर्तोलिया कोरोना के खिलाफ जंग में एक सिपाही की तरह जुटे हैं और सीमावर्ती दूरस्थ क्षेत्रों में खुद जाकर अपने निजी संसाधनों से जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं।
उत्तराखंड के अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी जीएस मर्तोलिया ने कपकोट में कंटेनमेंट जोन बने सूपी गांव में राशन बंटवाया और यहां तैनात पुलिसकर्मियों एवं स्वास्थ्यकर्मियों को मास्क वितरण किया।
कपकोट के तहत आने वाले सूपी गांव में एक सात 27 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद इस गांव को मारक्रो कंटेनमेंट जोन में तब्दील कर दिया गया था। इसके बाद मर्तोलिया के नेतृत्व में युवाओं ने यहां के लोगों को राशन, पानी, दवाइयां और मास्क आदि मुहैया कराए। उनकी टीम ने यहां पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों के भोजन की भी व्यवस्था की।
इस दौरान उत्तराखंड पुलिस के आईजी रहे मर्तोलिया ने कहा कि इस समय देश एक बड़ी महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में सभी को एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आना चाहिए। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि पिछले साल भी यहां कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के समय मर्तोलिया ने 25 परिवारों को राशन उपलब्ध कराया था।
इसके अलावा मर्तोलिया ने यहां सूपी में बने वैक्सीनेशन सेंटर में भी पीने के पानी, ग्लब्स और दूसरे जरूरी सामान की व्यवस्था करवाई। स्थानीय लोगों ने पूर्व आईजी मर्तोलिया द्वारा भेजी गई मदद के लिए उनका आभार जताया।
वर्ष 2020 के कोरोना काल के दौरान भी कुमाऊं मंडल के सीमावर्ती दारमा और पिंडर वैली क्षेत्र के साथ-साथ मुनस्यारी के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों को अपने निजी संसाधनों से व्यापक स्तर पर जीएस मर्तोलिया ने जरूरी खाद्य सामग्री मुहैया कराई थी
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