उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति के चलते जहां एक तरफ प्रकृति की अद्भुत छटा देखने को मिलती है तो वहीं, परेशानियां भी आकर खड़ी हो जाती हैं। धारचूला के दूरस्थ कुरीला की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही है। प्रकृति की गोद में बसे इस गांव की तस्वीर देखते ही बनती है, पर स्वास्थ्य सुविधाओं, सड़क आदि के लिए मुसीबतों का पहाड़ है।
पिथौरागढ़ जिले के ग्राम सिर्दांग लोक कुरीला बंबा में कुल 110 परिवार रहते हैं। कोरोना काल में इस समय गांव के लगभग 90 लोग बुखार-जुकाम से पीड़ित हैं। इस गांव में सरकार की तरफ से न तो दवा पहुंच पाई है न ही स्वास्थ्य विभाग की टीम आई। आलम यह है कि आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव में गाड़ी चलने के लिए रोड नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता सोनू मर्तोलिया ने यह जानकारी देते हुए आरोप लगाया कि 8 किमी पैदल का सफर होने के कारण कोई स्वास्थ्य कर्मी नहीं आते हैं।
स्वास्थ्य सुविधाएं भी कुरीला गांव से करीब 8 किमी दूर हैं और यह दूरी लोगों को पैदल तय करनी पड़ती है। ऐसे में गांव तक जाने के लिए मेडिकल टीम भी तैयार नहीं होती है। समाज सेवक सोनू मर्तोलिया ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि जल्द से जल्द स्वास्थ्य विभाग की टीम कुरील बंबा के लिए भेजी जाए जिससे संक्रमित लोगों का इलाज सुनिश्चित हो सके।
समाजसेवी सोनू का कहना है कि कोरोना से बचने या संक्रमण फैलने से रोकने के लिए जल्द से जल्द स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों, अधिकारियों को यहां पहुंचना होगा। हिल मेल को सोनू ने तस्वीरें भेजकर बताया है कि गांववाले किस तरह मुख्य मार्ग से कटे रहते हैं।
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Soban Kafola
May 31, 2021, 7:02 pmक्या सर्कार बिचार करेगी की कुरील गावं bके बारे में
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