विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि पूरे देश में कृषि विज्ञान केन्द्र एक ऐसा मॉडल है जो किसानों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर नवीनतम प्रौद्योगिकी का समावेश करते हुए उनके सतत् आय में वृद्धि करने का कार्य करती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अन्तर्गत लुधियाना स्थित कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग संस्थान (अटारी) एवं गोविन्द बल्लभ पंत पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर द्वारा जोन प्रथम के 72 कृषि विज्ञान केन्द्रों की कार्यशाला उत्तरांचल यूनिवर्सिटी, देहरादून में 26-28 जून, 2023 को आयोजित किया गया। इस कार्यशाला में लुधियाना स्थित अटारी के अन्तर्गत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब एवं लद्दाख के विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया।
कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि पूरे देश में कृषि विज्ञान केन्द्र एक ऐसा मॉडल है जो किसानों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर नवीनतम प्रौद्योगिकी का समावेश करते हुए उनके सतत् आय में वृद्धि करने का कार्य करती है।
उन्होंने कहा कि पर्वतीय उत्पादों जैसे मडुंवा, गहत, उगल, चौलाई इत्यादि के महत्ता और मूल्यवर्धन के बारे में चर्चा करते हुए किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही। उन्होंने बताया कि बकरी पालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन, मशरूम उत्पादन, मौन पालन जैसे उद्यमों को अपनाकर कृषक अपनी आय में पर्याप्त वृद्धि कर सकते हैं। यद्यपि, इन उद्यमों को प्रारम्भ करवाने में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक मदद्गार के रूप में भूमिका निभायें।
सहायक महानिदेशक, कृषि प्रसार डा. रंजय कुमार सिंह ने देश में बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ग्रामीण उत्थान के अनुरूप कार्य करने की सलाह दी। उत्तरांचल यूनिवर्सिटी, देहरादून के चांसलर डा. जितेन्द्र जोशी ने स्वंय सहायता समूह एवं क्लस्टर आधारित कृषि को बढ़ावा देने की बात कही। निदेशक-अटारी, लुधियाना डॉ. परविन्दर शैरोन ने कार्यशाला की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि कार्यशाला में वर्ष 2022 में किये गये प्रसार कार्यों की समीक्षा एवं वर्ष 2023 में आयोजित किये जाने वाले कार्ययोजना के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए प्राप्त संस्तुति के आधार पर कार्य संचालित किये जायेंगे।
निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के महत्व के बारे में चर्चा करने के साथ-साथ बताया कि इसमें विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के निदेशक प्रसार शिक्षा भी भाग लेकर अपने अनुभव साझा करेंगें।
उन्होंने विशेष रूप से उत्तराखंड के 13 कृषि विज्ञान केन्द्रों के बारे में बताया कि 09 कृषि विज्ञान केन्द्र, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय, 02 कृषि विज्ञान केन्द्र, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली, उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार (पौड़ी) एवं 02 कृषि विज्ञान केन्द्र, विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के अधीन कार्य करते हैं।
द्वितीय दिवस में विशेष अतिथि उपमहानिदेशक, कृषि प्रसार, डॉ. यू.एस. गौतम ने वैज्ञानिकों से वार्ता करते हुए आह्वान किया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों तथा कृषि विश्वविद्यालयों से विकसित तकनीक को देश के अन्तिम छोर तक बैठे कृषक तक पहुंचाकर उनकी आजीविका संवर्धन हेतु सतत् प्रयत्नशील रहें। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की नजर पूरे देश के कृषि विज्ञान केन्द्रों पर है और हमें उनकी आशा के अनुरूप कार्य करते हुए ग्रामीण विकास हेतु तत्पर और सजग रहने की आवश्यकता है।
तीन दिन के गहन परिचर्चा एवं मूल्यांकन के पश्चात निदेशक-अटारी, लुधियाना डॉ. परविन्दर शैरोन ने समापन अवसर पर बताया कि पूरे जोन प्रथम (चार राज्य) में कृषि विज्ञान केन्द्र-जम्मू को सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र का पुरस्कार, उत्तराखंड के कृषि विज्ञान केन्द्रों में कृषि विज्ञान केन्द्र-देहरादून को सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र का पुरस्कार एवं कृषि विज्ञान केन्द्र-नैनीताल को सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतिकरण का पुरस्कार दिया गया।
इस कार्यशाला में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली, उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय-भरसार (पौड़ी) के कुलपति डॉ. परविन्दर कौशल; सहायक महानिदेशक – नई दिल्ली, डॉ. राजवीर सिंह; निदेशक, भारतीय वानिकी संस्थान-देहरादून, डॉ. रेनू सिंह; निदेशक, केन्द्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र-शिमला, डॉ. बृजेष सिंह; निदेशक, केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान-श्रीनगर, डॉ. एन.के. वर्मा; निदेशक, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान-देहरादून, डॉ. एम. मधु सहित भारी संख्या में विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।
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