पंतनगर विश्वविद्यालय में वृक्षारोपण एवं हरेला पर्व पर गोष्ठी का आयोजन

पंतनगर विश्वविद्यालय में वृक्षारोपण एवं हरेला पर्व पर गोष्ठी का आयोजन

आजकल पूरे देश में हरेला पर्व मनाया जा रहा है पंतनगर विश्वविद्यालय में भी हरेला पर्व पर वृक्षारोपण और गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों को याद किया गया।

विश्वविद्यालय के समेटी के निकट एवं स्टेडियम के पीछे हरेला उद्यान में मुख्य अतिथि डा. हरीश रौतेला, प्रांत प्रचारक, ब्रज प्रांत उत्तर प्रदेश एवं डा. शैलेन्द्र, प्रांत प्रचारक, देहरादून, उत्तराखंड, प्रबंध परिषद सदस्य एवं विधायक, लालकुआं मोहन सिंह बिष्ट, प्रबंध परिषद सदस्य एवं विधायक, रूद्रपुर शिव अरोरा, कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान, कुलसचिव, अधिष्ठातागण, निदेशकगण एवं संकाय सदस्यों द्वारा वृक्षारोपण किया गया। तदोपरांत डा. रतन सिंह आडिटोरियम में हरेला पर्व के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीपप्रज्ज्वलन कर किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डा. हरीश रौतेला एवं डा. शैलेन्द्र, कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डा. बृजेश सिंह तथा अधिष्ठाता पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान महाविद्यालय, डा. एस.पी. सिंह मंचासीन थे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डा. शैलेन्द्र ने जीवन में पर्यावरण संरक्षण में पेड़ों की महत्ता पर वृहद रूप से प्रकाश डाला।

उन्होंने राजस्थान की अमृता देवी का वृक्षों को बचाने में किये गये बलिदान, विश्वनोई समाज का प्रकृति के प्रति प्रेम तथा चिपको आंदोलन में महिलाओं के योगदान विशेषरूप से गौरा देवी का वृक्षों के बचाव में उनकी भूमिका का संस्मरण किया। वर्तमान में मानव जीवन में पेड़, पानी और प्लास्टिक की भूमिका पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। साथ ही मोटे अनाजों का अच्छे स्वास्थ्य की भूमिका के ऊपर पर भी ज्ञानवर्धन किया।

मुख्य अतिथि डा. हरीश रौतेला जिनको कि गतवर्ष विश्व हरेला महोत्सव के आयोजन का श्रेय प्राप्त हैं तथा वृहद रूप से वृक्षारोपण के कारण मथुरा में भू-जल का स्तर 12 फिट तक ऊपर आ गया है, का भी श्रेय डा. रौतेला को जाता है। उनके द्वारा पर्यावरण संरक्षण के ऊपर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया।

उन्होंने प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले पृथ्वी सम्मेलन के बारे में बताया तथा पालीथीन की समस्या से किस प्रकार निजात पाये यह वर्ष 2023 की संयुक्त राष्ट्र संघ की थीम है। यूएनओ के एसडीजी 2002 सम्मेलन में यह बात उभर कर आयी थी कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सम्पूर्ण चिंतन भारत देश में हैं। उन्होंने नक्षत्र वाटिका, पंचतत्व वाटिका आदि के बारे में भी बताया।

उन्होंने पंतनगर विश्वविद्यालय के भारत देश के खाद्य उत्पादन में निर्भरता प्राप्त करने में किये गये योगदान का भी जिक्र किया। उनके द्वारा विश्वविद्यालय में हरेला पार्क विकसित करने पर प्रशंसा व्यक्त की गयी। कुलपति द्वारा दोनों मुख्य अतिथियों को स्मृति चिह्न एवं शाल भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने मुख्य अतिथि के उद्बोधन और उनके मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। हरेला पर्व को विश्वव्यापी बनाने में डा. हरीश जी के योगदान की सराहना की तथा पंतनगर से उनकी अपेक्षाओं के बारे में भी प्रकाश डाला।

उन्हांने कहा कि शोध में कुछ नया करने के लिए बहुत अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता है। उन्होंने हरेला उद्यान के विकास में डा. बृजेश सिंह, डा. जयंत सिंह, डा. ए.के. सिंह, डा. वी.के. राव आदि के प्रयासों को सराहा।

इस अवसर पर जिला प्रचारक जितेन्द्र, मनोहर लाल, विवेक सक्सेना, विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठाता, निदेशकगण, संकाय सदस्य तथा विद्यार्थी उपस्थित थे। डा. बृजेश सिंह अधिष्ठाता छात्र कल्याण द्वारा अतिथियों एवं सभी उपस्थित का स्वागत किया गया तथा डा. स्नेहा दोहरे, सहायक अधिष्ठाता छात्र कल्याण द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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