क्या है कांवड़ यात्रा का महत्व और कब हुई थी इसकी शुरूआत

क्या है कांवड़ यात्रा का महत्व और कब हुई थी इसकी शुरूआत

देवों के महादेव को सावन महीना बेहद प्रिय है। इस माह में भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विधिपूर्वक सोमवार का व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। साथ ही महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा सावन में कांवड़ यात्रा का प्रारंभ होता है, जिसमें अधिक संख्या में शिव भक्त शामिल होते हैं।

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

कांवड़ एक बहुत बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें न केवल हरिद्वार बल्कि पडोसी जनपदों एवं राज्यों में भी अनेक चुनौतियां जैसे कानून व्यवस्था, भीड प्रबन्धन, यातायात प्रबन्धन आदि आती है। पूर्व में यह यात्रा केवल उत्तराखंड राज्य को ही प्रभावित करती थी पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में श्रवण कुमार ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। उनके अंधे माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा जाहिर की। ऐसे में उनके पुत्र श्रवण कुमार ने माता-पिता को कंधे पर कांवड़ में बैठाकर पैदल यात्रा की और उन्हें गंगा स्नान करवाया। इसके पश्चात वह अपने साथ वहां से गंगाजल लेकर, जिससे उन्होंने भगवन शिव का विधिपूर्वक अभिषेक। धार्मिक मान्यता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।

इसके अलावा कांवड़ यात्रा की शुरुआत की दूसरी कथा भी प्रचलित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करने से महादेव का गला जलने लगा, तो ऐसी स्थिति में देवी देवताओं ने गंगाजल से प्रभु का जलाभिषेक किया, जिससे प्रभु को विष के असर से मुक्ति मिली। ऐसा माना जाता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई। सावन माह की शुरुआत होते ही भक्त अपने-अपने स्थान से उत्तराखंड के हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री आदि स्थानों से गंगा नदी के पवित्र जल को लाने के लिए निकल पड़ते हैं। इसके बाद शिव भक्त गंगातट से कलश में गंगाजल भरते हैं और उसको अपनी कांवड़ से बांधकर अपने कंधों पर लटका लेते हैं। इसके बाद अपने क्षेत्र के शिवालय में लाकर इस गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

शास्त्रों में माना गया है कि सर्वप्रथम भगवान परशुराम ने कांवड़ यात्रा शुरू की थी। यात्रा के दौरान भक्तों को सात्विक भोजन ही करना चाहिए। साथ ही इस दौरान किसी भी प्रकार के नशे, मांस-मदिरा या तामसिक भोजन आदि से दूर रहना चाहिए। इस बात का भी खास ख्याल रखा जाता है कि यात्रा के दौरान कांवड़ को जमीन पर न रखा जाए। ऐसा होने पर कांवड़ यात्रा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में कांवड़िए को फिर से कांवड़ में पवित्र जल भरना होता है। कांवड़ियों के मोटरसाइकिल में साइलेंसर निकालने डीजे की उंचाई चौड़ाई की समस्याओं को लेकर विशेष मंथन हुआ है। आस्था का सम्मान है, लेकिन अराजकता नहीं होने दी जाएगी। सोशल मीडिया पर भी ख़ास निगाह रखी जाएगी। सुरक्षा के मद्देऩज़र एटीएस इंटेलिजेंस की एजेंसी भी मौजूद रहेगी। उन्होंने कहा कि मुज़फ्फरनगर से कांवड़ियों का ट्रैफिक किधर जाएगा, ये मालूम होता है। कांव़ड़ यात्रा के दौरान मार्ग पर मीट और वाइन शॉप्स बंद रहेंगे। कह सकते हैं कि कांवड़ यात्रा को लेकर फुलप्रूफ तैयारी कर ली गई है।

कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से 2 अगस्त तक चलेगी। उन्होंने बताया कि कांवड़ एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसका असर न केवल हरिद्वार बल्कि पड़ोसी जिलों और राज्यों पर भी पड़ता है, जिससे कानून-व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन और यातायात प्रबंधन जैसी चुनौतियां सामने आती हैं। उन्होंने कहा कि जहां पहले यह यात्रा मुख्य रूप से उत्तराखंड को प्रभावित करती थी, वहीं अब इसका असर अन्य उत्तर भारतीय राज्यों पर भी पड़ रहा है। कांवड़ यात्रा के लिए उत्तराखंड सरकार की तैयारियां शुरू हो गई हैं रूट डायवर्जन प्लान, संवेदनशील स्थानों का चिन्हांकन, और पूरे कांवड़ मार्ग की सुरक्षा व्यवस्था, साफ-सफाई, रेलिंग, बैरिकेडिंग, विद्युत व्यवस्था, सड़क मरम्मत, शौचालय आदि व्यवस्थाओं के संबंध में संबंधित अधिकारियों को प्लान बनाकर तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि पूर्व में की गई कांवड़ यात्रा तैयारियों का अवलोकन करते हुए कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। भगवान शिव की कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने अभी से कार्रवाई शुरू कर दी है और सम्पूर्ण कांवड़ यात्रा मार्ग का समग्रता के साथ प्लान बनाकर अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है। कांवड़ यात्रा में ट्रैफिक जाम और बड़ी कांवड़ के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया जा रहा है। उत्तराखंड सीमा के प्रवेश बिंदुओं पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फीड हरिद्वार स्थित कंट्रोल रुम से शेयर की जाएगी।

उन्होंने कहा कि शरारती तत्वों एवं आनावश्यक रुप से उपद्रव करने वाले कारकों को रोकने में एक दूसरे का पूरा सहयोग किया जाएगा और संयुक्त अभिसूचना तंत्र विकसित कर लाभप्रद सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाएगा। रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी से निगरानी, आरपीएफ और जीआरपी करेगी ट्रैक पेट्रोलिंगप्रिंसिपल चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर आरपीएफ उत्तर रेलवे ने उत्तराखंड के सभी रेलवे स्टेशनों पर आरपीएफ की जनशक्ति को और सुदृढ़ करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी छोटे-बड़े रेलवे स्टेशनों को सीसीटीवी से कवर किया जाएगा।

कांवड़ियों की सहायता के लिए रेलवे स्टेशनों पर नियमित अनाउंसमेंट भी कराए जाएंगे। साथ ही आरपीएफ और जीआरपी संयुक्त ट्रैक पेट्रोलिंग भी करेगी। वहीं पुलिस महानिरीक्षक सीआरपीएफ ने कांवड़ यात्रा में सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने चेकिंग फ्रिस्किंग के लिए सीआरपीएफ की बीडीएस टीम भेजने का आश्वासन दिया। कांवड यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के लिए अभी से कार्रवाई शुरू करने और सम्पूर्ण कांवड यात्रा मार्ग का समग्रता के साथ प्लान बनाकर अधिकारियों को जिम्मेदारी दिए जाने की बात कही। कांवड यात्रा में ट्रैफिक जाम तथा बडी कांवड के कारण होने वाली दुर्घटना इत्यादि को दृष्टिगत रखते हुये सुरक्षा व्यवस्था का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया है।

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं, लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।)

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