स्कूल जाने के लिए जान का जोखिम, हाथ थाम नदी पार करने को मजबूर छात्र

स्कूल जाने के लिए जान का जोखिम, हाथ थाम नदी पार करने को मजबूर छात्र

उत्तराखंड में बरसात के दौरान कई नदी नाले उफान पर आ जाते हैं जिससे स्कूल जाने वाले बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई जगहों के बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ता है। इन क्षेत्रों के लोग कई समय से पुल बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी मांग पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई और उसी का परिणाम है कि आज इन गांव के बच्चों को खतरा मोल लेकर स्कूल जाना पड़ता है।

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

पहाड़ में समस्याएं भी पहाड़ जैसी ही गंभीर हैं। पर्वतीय क्षेत्रों के विद्यार्थी भी इससे अछूते नहीं हैं। मानसून काल में विद्यार्थियों की दिक्कत तब बढ़ती है जब उन्हें उफनाए नालों और नदियों को जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। नदियों में पुल न होने से हर साल यही समस्या सामने आती है लेकिन इसका हल नहीं निकाला जाता। अल्मोड़ा के भैंसियाछाना विकासखंड के नागरखान गांव के 15 और स्याल्दे के कैहड़गांव के 60 से अधिक विद्यार्थी हर रोज उफनाई सुयाल और विनोद नदी को एक-दूसरे का हाथ पकड़कर खतरे के बीच पार कर स्कूल पहुंच रहे हैं।

सिस्टम की अनदेखी से सभी परेशान है। बच्चों के सुरक्षित घर पहुंचने तक अभिभावकों की नजरें रास्ते से नहीं हट रही। खतरा इतना है कि यदि थोड़ी सी भी चूक हुई तो नदियों का तेज प्रवाह सब कुछ बहा ले जाएगा। जलस्तर बढ़ने पर नदी पार करते समय भीगने से विद्यार्थियों को अपने बस्ते में दूसरी ड्रेस की भी व्यवस्था करनी पड़ती है और कई बार विद्यार्थी अपने बस्ते को विद्यालय में जमा कर खाली हाथ घर लौटते हैं। सिस्टम की अनदेखी से विद्यार्थी इन खतरनाक नदियों को पार कर जान जोखिम में डालकर सुनहरे भविष्य के सपने को साकार करने के लिए स्कूल पहुंच रहे हैं।

शिक्षा विभाग तो विद्यार्थियों की परेशानी को बखूबी समझ रहा है लेकिन वह भी सिस्टम से लाचार है। विद्यालयों के प्रधानाचार्यों ने दोनों गांवों के विद्यार्थियों और अभिभावकों से साफ तौर पर अधिक बारिश होने पर स्कूल न आने को कहा है। विभाग इसके अलावा और कुछ कर भी नहीं सकता है। नगरखान के विद्यार्थियों को हर रोज सुयाल नदी पार कर स्कूल पहुंचना पड़ता है। मानसून काल में विद्यार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए बारिश में उनसे विद्यालय न आने को कहा गया है। पढ़ाई के साथ उनकी सुरक्षा भी जरूरी है। बच्चों के स्कूल से घर वापस आने तक चिंता सताती रहती है। उन्हें बड़े हादसे का डर लगा रहता है।

क्षेत्रवासी वर्षों से तलियाबांज में इंटर कालेज और नौलापानी से शीशनगर के बीच झूला पुल बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। बारिश के कारण बंद मार्ग और क्षतिग्रस्त झूलापुल के कारण बच्चों के लिए खतरा मोल लेकर स्कूल जाना नियत बन गया है। नौलापानी ग्राम पंचायत की समस्याओं को लेकर अनेक बार जिला प्रशासन सहित सांसद, विधायक, मंत्रियों को झूला पुल बनाने की मांग की गई थी, लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हुई है। बच्चों के लिए खतरा मोल लेकर स्कूल जाना नियत बन गया है। कहीं पहाड़ दरकते हैं तो कहीं नदियों को विकराल रूप देखने को मिलता है। नदी-नाले उफान पर रहते हैं और इसी उफनते नदी-नाले के बीच से बच्चे स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं। इस कठिन परिश्रम से स्कूल पहुंचने की जिद मासूमों की जान को खतरे में डाल रही है।

अतिवृष्टि से हिमालय की तलहटी पर बसे गांवों में नाले उफन आए हैं। जिसके कारण लोगों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। नाले को विद्यार्थी जान जोखिम में डालकर पार कर रहे हैं। जिससे विकास की तस्वीर सामने आ रही है। प्रशासन की ओर से किए जा रहे दावों के बीच ये वीडियो कई सवाल खड़े कर रहा है। बच्चे अपने भविष्य को सुधारने के लिए हर रोज शिक्षा के मंदिर में जाते हैं, लेकिन ये रास्ता इतना कठिन है कि इनकी जान ही खतरे में है। पहाड़ों पर सड़कें और सुविधाएं हर घर तक तो नहीं पहुंच पाई है, लेकिन बच्चों का यूं उफनते पानी से स्कूल जाना कई सवाल खड़े कर रहा है।

लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं और वह दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।

Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this